मुंबई: वेदांता रिर्सोसेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि सरकार का व्यवसाय व्ययसाय करना नहीं है. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम कर 50 प्रतिशत पर ला दे तो वे और अच्छे तरीके से चलेंगे. फिलहाल 14-15 बैंक और 40-45 कंपनियां हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी काफी ऊंची है.
अग्रवाल ने भारत आर्थिक सम्मेलन 2019 में एक परिचर्चा के दौरान कहा, "सरकार का व्यवसाय यह नहीं है कि वह व्यवसाय करे."
उद्योगपति ने कहा कि उनकी कंपनी ने चार सरकारी कंपनियों का अधिग्रहण किया है और उनमें से सभी पहले से तीन गुना अधिक उत्पादक हैं.
अग्रवाल ने कहा, "आज सरकार की बैंक समेत कंपनियों में हिस्सेदारी औसतन 87 प्रतिशत है. अगर उसे घटाकर 50 प्रतिशत पर लाया जाता है, उन्हें 1,000 अरब डॉलर मिलेंगे और वे ज्यादा बड़ी होंगी."
उन्होंने कहा कि अगर सरकार प्रत्येक कंपनियों में 5 से 10 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के लिये छोड़ती है, वे अपेक्षाकृत बेहतर करेंगी.
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अग्रवाल ने कहा, "जब हम सरकार से हिस्सेदारी बिक्री की बात करते हैं, वे कहते हैं कि हम संपत्ति को देखेंगे. लेकिन मेरा मानना है कि सरकार को राजस्व को ध्यान में रखकर नहीं सोचना चाहिए और...धन सृजित होने देना चाहिए."
उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोयला और हीरा के साथ सबसे बड़े और उम्दा तेल एवं गैस तथा कोयला भंडार हैं. वहीं दूसरी तरफ देश संसाधनों के आयात के लिये करीब 500 अरब डॉलर खर्च कर रहा हैं जो बढ़कर आने वाले समय में 1,000 अरब डॉलर हो जाएगा.
अग्रवाल ने कहा, "ऐसा नहीं है कि सरकारी कंपनी बेहतर काम नहीं कर सकती है लेकिन यह महत्वपूर्ण है के उन्हें मुक्त किया जाए. अत: तेल एवं गैस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां या कोल इंडिया को किसी और को दिया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "सरकार के कानून भी कहते हैं कि अगर किसी कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से नीचे आती है तो कैग से आडिट की जरूरत नहीं होगी और सीईओ स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं. ऐसे कदम का शेयर बाजार भी स्वागत करता है. अगर हम प्राकृतिक प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी कंपनियों और बैंकों को मुक्त करें तो भारत पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा."
अग्रवाल ने कंपनियों के कामकाज में नौकरशाहों का हस्तक्षेप बना हुआ हैं और इसमें कमी लायी जानी चाहिए.