नई दिल्ली : सरकारी इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की योजना देश का पहला गैस-से-एथेनॉल संयंत्र लगाने की है. कंपनी महाराष्ट्र के चंद्रपुर में अपने फेरो मिश्र धातु संयंत्र में केंद्र सरकार की मदद से एथेनॉल का संयंत्र लगाने की योजना बना रही है. एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ इंडिया (एसआरटीएमआई) के निदेशक मुकेश कुमार ने बताया कि यह योजना कार्बन उत्सर्जन कम करने के अलावा कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है.
एसआरटीएमआई गैस-से-एथेनॉल संयंत्र स्थापित करने में सेल की मदद कर रहा है. इस संयंत्र की स्थापना पर सेल को लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. इसमें से 20 प्रतिशत वित्तपोषण जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 के तहत केंद्र सरकार के द्वारा मुहैया कराया जाएगा.
एसटीआरएमआई की स्थापना इस्पात मंत्रालय और घरेलू इस्पात कंपनियों ने मिलकर की है. इसका उद्देश्य उद्योग जगत, अकादमिक जगत और शोध निकायों के बीच तालमेल बढ़ाकर लौह व इस्पात क्षेत्र में शोध एवं विकास की गतिविधियों को तेज करना है.
चीन में दो, बेल्जियम में है एक संयत्र
कुमार ने कहा, 'यह इस्पात क्षेत्र में दुनिया का चौथा और भारत का पहला ऐसा संयंत्र होगा. अभी तक जैव-एथेनॉल ईंधन उत्पादन तकनीक का उपयोग चीन में दो संयंत्रों में और एक बेल्जियम में आर्सेलरमित्तल के संयंत्र में किया जा रहा है.'
सेल का चंद्रपुर फेरो मिश्रधातु संयंत्र (सीएफपी) देश में मैंगनीज आधारित फेरो मिश्र धातुओं का उत्पादन करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का एकमात्र कारखाना है. सीएफपी की प्रति वर्ष 1,00,000 टन (टीपीवाई) फेरो मैंगनीज उत्पादन की क्षमता है.
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कुमार ने नई प्रौद्योगिकी के बारे में कहा कि यह कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन जैसी गर्म गैसों को फर्मंटेशन प्रौद्योगिकी की मदद से एथेनॉल में बदलती है. ये गर्म गैस मिश्रधातु संयंत्र की भट्ठियों से उत्सर्जित होती हैं.