नई दिल्ली : बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 74 प्रतिशत करने के बजट प्रस्तावों के कार्यान्वयन से देश में बीमा की पहुंच बढ़ेगी. विशेषज्ञों ने यह राय जताई है. डेलॉयट इंडिया के भागीदार एवं वित्तीय सेवा उद्योग के लीडर संजय दत्ता ने कहा कि क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के फैसले की लंबे समय से प्रतीक्षा थी. इससे देश की आबादी को पर्याप्त बीमा कवर उपलब्ध कराने के लिए पूंजी प्रवाह की जरूरत पूरी हो सकेगी.
दत्ता ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं के लिए भी मूल्य बढ़ेगा. उन्हें कम लागत पर अधिक बीमा विकल्प उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि हमें यह संभावना दिख रही है कि मौजूदा बीमा संयुक्त उपक्रमों में विदेशी भागीदार अपने स्वामित्व के स्तर को बढ़ाएंगे. साथ ही इससे मौजूदा निवेशकों (घरेलू और विदेशी दोनों को) को बाहर निकलने के लिए आकर्षक मूल्यांकन मिल सकेगा. साथ ही नए निवेशकों के प्रवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बीमा अधिनियम कानून, 1938 में संशोधन कर बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है. शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी की पार्टनर शैलजा लाल ने कहा कि उदार एफडीआई नीति से अधिक विदेशी पूंजी आकर्षित करने में मदद मिलेगी. इससे देश में बीमा की पहुंच बढ़ेगी. लाल ने कहा कि यह एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन विदेशी निवेशक इस घटनाक्रम पर सतर्क रुख अपनाएंगे. बहुत कुछ इसके लिए तय शर्तों पर निर्भर करेगा.
पढ़ें: नाबार्ड ने आरआईडीएफ के तहत चालू वित्त वर्ष में ₹ 16,500 करोड़ वितरित किए
उन्होंने कहा कि जब इस मामले पर स्थिति अधिक स्पष्ट होगी और ब्योरा आएगा, उसके बाद ही पता चलेगा कि कितने विदेशी निवेशक बोर्ड पर नियंत्रण की क्षमता के बिना पूंजी लगाने को तैयार हैं.