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किसानों के खातों में रकम अगले हफ्ते से : गर्ग

नई दिल्ली : पिछले हफ्ते पेश किए गए अंतरिम बजट में किसानों के लिए प्रत्यक्ष आय योजना की घोषणा की गई थी. इसके तहत किसानों के खातों में रकम अगले हफ्ते से पहुंचने लगेगी. यह जानकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने दी. उन्होंने उन आशंकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि भू-अभिलेखों के कारण इस योजना का भुगतान रुक सकता है. कॉन्सेप्ट इमेज।

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Published : Feb 11, 2019, 10:23 AM IST

उन्होंने बताया कि बहुत गंभीरता से तैयारियां चल रही हैं. कुछ राज्य अपनी सूची के साथ तैयार हैं. आप वास्तव में कुछ राज्यों में योजना के तहत 22 फरवरी से पहले रकम का हस्तांतरण देखेंगे, जैसा कि कृषि मंत्री ने भी कहा है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य तैयारियों के विभिन्न स्तर पर हैं, लेकिन कुछ राज्यों ने अपनी सूची तैयार रखी है और अगले कुछ दिनों में इसे अपलोड कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ राज्यों में जहां पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं, वहां रकम के हस्तांतरण में देरी होगी.

उन्होंने कहा, "कुछ राज्यों में डेटा बहुत सटीक हैं. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां डेटाबेस में मिलान की आवश्यकता है, साथ ही भौतिक पुष्टि की भी जरूरत होगी. लेकिन सभी राज्यों के पास किसानों के जोत के जो आंकड़े हैं, वे मामूली और छोटे हैं. यह परिवार का डेटाबेस बनाने का एक प्रारंभिक बिन्दु है."

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि दो एकड़ तक की जमीन रखने वाले सभी किसान परिवारों को 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, जो साल में तीन किश्तों में दी जाएगी.

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक यह योजना एक दिसंबर, 2018 से प्रभावी होगी. इसमें किसान परिवारों को 31 मार्च, 2019 तक खत्म होनेवाली चार महीनों की अवधि का भुगतान 2,000 रुपये किया जाएगा.

गर्ग ने उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि इस योजना से बहुत कम लोगों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि वास्तव में इसके दायरे में दो-तिहाई ग्रामीण आबादी आएगी, जबकि बाकी बचे एक-तिहाई आबादी के लिए भी कई योजनाएं लागू की गई हैं, ताकि संतुलन बना रहे.

उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रीय योजना है, जिसके दायरे में पूरे देश के किसान हैं. ग्रामीण इलाकों में कुल 18 करोड़ घर हैं। इस योजना के दायरे में 12 से 12.5 करोड़ परिवार आएंगे."

उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष आय समर्थन किसानों के लिए इकलौती योजना नहीं है. बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी योजनाएं भी हैं, जो किसानों को लागत से 50 फीसदी अधिक मुहैया कराती हैं.

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गर्ग ने कहा कि जो एक-तिहाई ग्रामीण आबादी इस योजना के दायरे में नहीं आएगी, उसके लिए मनरेगा योजना है.

उन्होंने कहा, "ये भूमिहीन लोग ऑफ सीजन में गांवों से शहरों में निर्माण स्थलों पर मजदूरी करने जाते हैं. असंगठित क्षेत्र के ऐसे लोगों के लिए सरकार ने 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन योजना की घोषणा की है."
(आईएएनएस)
पढ़ें : आरबीआई की दर कटौती का ब्याज दरों में कमी से कहीं ज्यादा असर होगा : गर्ग

उन्होंने बताया कि बहुत गंभीरता से तैयारियां चल रही हैं. कुछ राज्य अपनी सूची के साथ तैयार हैं. आप वास्तव में कुछ राज्यों में योजना के तहत 22 फरवरी से पहले रकम का हस्तांतरण देखेंगे, जैसा कि कृषि मंत्री ने भी कहा है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य तैयारियों के विभिन्न स्तर पर हैं, लेकिन कुछ राज्यों ने अपनी सूची तैयार रखी है और अगले कुछ दिनों में इसे अपलोड कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ राज्यों में जहां पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं, वहां रकम के हस्तांतरण में देरी होगी.

उन्होंने कहा, "कुछ राज्यों में डेटा बहुत सटीक हैं. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां डेटाबेस में मिलान की आवश्यकता है, साथ ही भौतिक पुष्टि की भी जरूरत होगी. लेकिन सभी राज्यों के पास किसानों के जोत के जो आंकड़े हैं, वे मामूली और छोटे हैं. यह परिवार का डेटाबेस बनाने का एक प्रारंभिक बिन्दु है."

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि दो एकड़ तक की जमीन रखने वाले सभी किसान परिवारों को 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, जो साल में तीन किश्तों में दी जाएगी.

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक यह योजना एक दिसंबर, 2018 से प्रभावी होगी. इसमें किसान परिवारों को 31 मार्च, 2019 तक खत्म होनेवाली चार महीनों की अवधि का भुगतान 2,000 रुपये किया जाएगा.

गर्ग ने उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि इस योजना से बहुत कम लोगों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि वास्तव में इसके दायरे में दो-तिहाई ग्रामीण आबादी आएगी, जबकि बाकी बचे एक-तिहाई आबादी के लिए भी कई योजनाएं लागू की गई हैं, ताकि संतुलन बना रहे.

उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रीय योजना है, जिसके दायरे में पूरे देश के किसान हैं. ग्रामीण इलाकों में कुल 18 करोड़ घर हैं। इस योजना के दायरे में 12 से 12.5 करोड़ परिवार आएंगे."

उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष आय समर्थन किसानों के लिए इकलौती योजना नहीं है. बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी योजनाएं भी हैं, जो किसानों को लागत से 50 फीसदी अधिक मुहैया कराती हैं.

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गर्ग ने कहा कि जो एक-तिहाई ग्रामीण आबादी इस योजना के दायरे में नहीं आएगी, उसके लिए मनरेगा योजना है.

उन्होंने कहा, "ये भूमिहीन लोग ऑफ सीजन में गांवों से शहरों में निर्माण स्थलों पर मजदूरी करने जाते हैं. असंगठित क्षेत्र के ऐसे लोगों के लिए सरकार ने 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन योजना की घोषणा की है."
(आईएएनएस)
पढ़ें : आरबीआई की दर कटौती का ब्याज दरों में कमी से कहीं ज्यादा असर होगा : गर्ग

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नई दिल्ली : पिछले हफ्ते पेश किए गए अंतरिम बजट में किसानों के लिए प्रत्यक्ष आय योजना की घोषणा की गई थी. इसके तहत किसानों के खातों में रकम अगले हफ्ते से पहुंचने लगेगी. यह जानकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने दी. उन्होंने उन आशंकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि भू-अभिलेखों के कारण इस योजना का भुगतान रुक सकता है.



उन्होंने बताया कि बहुत गंभीरता से तैयारियां चल रही हैं. कुछ राज्य अपनी सूची के साथ तैयार हैं. आप वास्तव में कुछ राज्यों में योजना के तहत 22 फरवरी से पहले रकम का हस्तांतरण देखेंगे, जैसा कि कृषि मंत्री ने भी कहा है.



उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य तैयारियों के विभिन्न स्तर पर हैं, लेकिन कुछ राज्यों ने अपनी सूची तैयार रखी है और अगले कुछ दिनों में इसे अपलोड कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ राज्यों में जहां पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं, वहां रकम के हस्तांतरण में देरी होगी.



उन्होंने कहा, "कुछ राज्यों में डेटा बहुत सटीक हैं. लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां डेटाबेस में मिलान की आवश्यकता है, साथ ही भौतिक पुष्टि की भी जरूरत होगी. लेकिन सभी राज्यों के पास किसानों के जोत के जो आंकड़े हैं, वे मामूली और छोटे हैं. यह परिवार का डेटाबेस बनाने का एक प्रारंभिक बिन्दु है."



वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि दो एकड़ तक की जमीन रखने वाले सभी किसान परिवारों को 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी, जो साल में तीन किश्तों में दी जाएगी.



प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक यह योजना एक दिसंबर, 2018 से प्रभावी होगी. इसमें किसान परिवारों को 31 मार्च, 2019 तक खत्म होनेवाली चार महीनों की अवधि का भुगतान 2,000 रुपये किया जाएगा.



गर्ग ने उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि इस योजना से बहुत कम लोगों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि वास्तव में इसके दायरे में दो-तिहाई ग्रामीण आबादी आएगी, जबकि बाकी बचे एक-तिहाई आबादी के लिए भी कई योजनाएं लागू की गई हैं, ताकि संतुलन बना रहे.



उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रीय योजना है, जिसके दायरे में पूरे देश के किसान हैं. ग्रामीण इलाकों में कुल 18 करोड़ घर हैं। इस योजना के दायरे में 12 से 12.5 करोड़ परिवार आएंगे."



उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष आय समर्थन किसानों के लिए इकलौती योजना नहीं है. बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी योजनाएं भी हैं, जो किसानों को लागत से 50 फीसदी अधिक मुहैया कराती हैं.



गर्ग ने कहा कि जो एक-तिहाई ग्रामीण आबादी इस योजना के दायरे में नहीं आएगी, उसके लिए मनरेगा योजना है.



उन्होंने कहा, "ये भूमिहीन लोग ऑफ सीजन में गांवों से शहरों में निर्माण स्थलों पर मजदूरी करने जाते हैं. असंगठित क्षेत्र के ऐसे लोगों के लिए सरकार ने 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन योजना की घोषणा की है."

(आईएएनएस)

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