नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि अगर खेती को मुनाफे का धंधा बनाना है तो किसानों को परंपरागत खेती के साथ साथ पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन की तरफ भी बढ़ना पड़ेगा.
कृषि मंत्री ने किसानों से रसायन और उर्वरक का इस्तेमाल कम से कम कर जैविक खादों का उपयोग करने की सलाह दी है. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने ये भी कहा है कि सिर्फ गेहूँ और धान उगाने से देश का किसान समृद्ध नहीं बन सकता.
दिल्ली के पूसा में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान कृषि वैज्ञानिक, किसान, अधिकारियों और छात्रों को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हम सब केमिकल और फर्टिलाइजर के हानिकारक प्रभावों पर बात करते हैं और उनकी बुराइयां भी करते हैं लेकिन जब खेती की बारी आती है तो उसके अत्यधिक इस्तेमाल से भी थकते नहीं हैं.
ये भी पढ़ें: जीएसटी के वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 3 महीने बढ़ी, अंतिम तारीख 30 नवंबर
ऐसी परिस्थिति में कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की है कि वो आर्गेनिक खेती की तरफ जाएं. साथ ही आर्गेनिक खेती के लिये कृषि मंत्री ने पशुपालन पर भी जोर देने की बात कही.
उत्पादन केंद्रित खेती से आय केंद्रित खेती की ओर बढ़ने की बात कहते हुए कृषि मंत्री ने कहा है कि अगर किसानों को आमदनी बढ़ानी है तो उन्हें मधुमक्खी पालन, मछली पालन और मवेशी पालन भी करना चाहिये और परंपरागत खेती जो हमने कहीं पीछे छोड़ दी है उसे फिर से व्यवहार में लाने की जरूरत है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में भी 'शून्य बजट खेती' की बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने की थी. साथ ही 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का भी लक्ष्य मोदी सरकार ने तय किया है.
ऐसे में सरकार और उसके मंत्री लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के उपायों पर बल दे रहे हैं.
किसानों की आय बढ़ाने के लिये इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि किस तरह से खेती में लागत मूल्य को कम से कम किया जाए. खेती में कम लागत मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ मोदी सरकार 2.0 अपने निर्धारित लक्ष्य को साधने में जुट गई है.
हालांकि विशेषज्ञ लगातार ये कहते रहे हैं कि मौजूदा कृषि विकास दर को देखते हुए 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का लक्ष्य मुश्किल लगता है.