नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया कि वे आईएलएंडएस और उसके समूह की कंपनियों पर अपने बकाया कर्ज का खुलासा करें, जिसमें आय की पहचान और वर्गीकरण (आईआरएसी) के लिए किए गए प्रावधान और एनपीए (फंसे हुए कर्जे) के लिए किए गए वास्तविक प्रावधान की भी जानकारी दी जाए.
यह परिपत्र नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के 25 फरवरी के आदेश के बाद जारी किया गया है, जिसमें कहा गया था कि "पीलेट ट्रिब्यूनल की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी वित्तीय संस्थान 'इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेज लि.' या उसकी सहयोगी कंपनियों के खातों को एनपीए घोषित ना करें."
आरबीआई ने हालांकि उसके बाद इस दृष्टिकोण के खिलाफ कहा कि बैंकों को आईएलएंडएफएस और उसकी कंपनियों के खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए.
इस महीने की शुरुआत में, एनसीएलएटी में सुनवाई के दौरान आरबीआई के अधिवक्ता गोपाल जैन ने कहा कि बैंकों के खातों में सही प्रतिबिब निष्पक्ष लेखांकन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें शुरुआती चेतावनी के संकेत हैं.
आरबीआई ने कहा कि यह एक प्रक्रिया है, जिसका सभी बैंकों को अनुसरण करना होता है, जिसमें 90 दिनों तक कर्ज की किश्तों का भुगतान नहीं होने पर उस खाते या कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया जाता है.
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