मुंबई: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि सरकार केन्द्रीय बैंक से 30,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश मांग सकती है ताकि वह अपनी राजस्व कमी की भरपाई कर सके.
सरकार ने कंपनी कर में करीब 10 प्रतिशत की कटौती की है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर बढ़ाया गया अधिभार वापस ले लिया है. विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों के लिये कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी. अर्थव्यवस्था में मांग और निवेश बढ़ाने के लिये किये गये इन उपायों से सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है.
इसी के मद्देनजर मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार चालू वित्त वर्ष के आखिरी महीनों में केंद्रीय बैंक से 30,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के रूप में मांग सकती है. इससे सरकार को अपना राजकोषीय घाटा बजट के 3.3 प्रतिशत के तय लक्ष्य के दायरे में रखने में मदद मिलेगी.
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रिजर्व बैंक की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद दास ने इस संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा, "मैंने भी इसे (अंतरिम लाभांश मांग) मीडिया में देखा है. सरकार की तरफ से अंतरिम लाभांश मांगे जाने के बारे में मुझे किसी तरह की जानकारी नहीं है."
इससे पहले 2017- 18 में सरकार को रिजर्व बैंक से 10,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के तौर पर मिले थे. पिछले महीने ही रिजर्व बैंक ने अपने अधिशेष से सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित करने संस्तुति दी है. यह राशि विमाल जालान समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश के मुताबिक दी गई है.
इस राशि में 1,23,414 करोड़ रुपये 2018-19 के अधिशेष के हैं और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के हैं जिसकी संशोधित आर्थिक पूंजी रूपरेखा (ईसीएफ) के तौर पर पहचान की गई है.
बीते वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक ने 1,23,414 करोड़ रुपये की अपनी शुद्ध आय में से 28,000 करोड़ रुपये पहले ही अंतरिम लाभांश के तौर पर सरकार को हस्तांतरित कर दिए थे. जालान समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि अधिशेष हस्तांतरण के बाद कोई अंतरिम लाभांश नहीं दिया जायेगा.