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मुश्किल में है चाय उद्योग: विशेषज्ञ - Guwahati

टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी दीपांजल डेका ने बताया कि देश में आज चाय का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन क्षेत्र मांग में भारी कमी से जूझ रहा है. जहां देश में इस बार अनुमान के 1,000 मिलियन किग्रा से भी ज्यादा (1,300 मिलियन किग्रा) चाय का उत्पादन हुआ है, वहीं चाय की मांग में कमी देखी जा रही है.

मुश्किल में है चाय उद्योग: विशेषज्ञ
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Published : Oct 10, 2019, 11:57 PM IST

गुवाहाटी: जहां एक तरफ देश में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से प्याज की उत्पादकता प्रभावित हुई है और इसकी कीमतों में आग लगी हुई वहीं दूसरी ओर असम में चाय के व्यापारी चाय की मांग में कमी के कारण परेशान है.

टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी दीपांजल डेका ने बताया कि देश में आज चाय का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन क्षेत्र मांग में भारी कमी से जूझ रहा है. जहां देश में इस बार अनुमान के 1,000 मिलियन किग्रा से भी ज्यादा (1,300 मिलियन किग्रा) चाय का उत्पादन हुआ है, वहीं चाय की मांग में कमी देखी जा रही है.

दीपांजल ने बताया कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति चाय का उपभोग 700 ग्राम ही है, जो कि अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है. यहां तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी चाय का उपभोग 1 किग्रा प्रति व्यक्ति है. वहीं देश में चाय के एक्पोर्ट में खासी बढ़ोतरी नहीं हुई है.

इसके साथ ही चाय के उत्पान मूल्य में बढ़ोतरी से भी मुश्किलें बढ़ी है. चाय के उत्पान में 50 फीसदी हिस्सा इसकी मजदूरी का होता है, जिसमें बढ़ोतरी से इसकी कीमतों में इजाफा हो जाता है, वहीं फर्टिलाइजर के दामों में भी तिगुना इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ें: सार्वजनिक क्षेत्र के आधा दर्जन बैंकों ने ऋण पर ब्याज चौथाई प्रतिशत तक घटाया

दीपांजल बताते हैं कि इन सबके बीच में जो सबसे बड़ी चुनौती है वह चाय के मांग में कमी, खासकर युवा वर्ग का चाय में कम दिलचस्पी लेना. उन्होंने बताया कि एक पेय पदार्थ के तौर पर युवा वर्ग चाय को लेकर खासा उत्साहित नहीं है.

दीपांजल ने बताया कि चाय को युवाओं के बीच लोकप्रिय कर हमें चाय के मांग में इजाफा करना होगा. साथ ही जो एक चीज है जिसे हमें सुधारना है वह है इसकी क्वालिटी. हमें चाय के बेहतर किस्मों पर काम कर इसकी मांग को बरकरार रखना होगा.

गुवाहाटी: जहां एक तरफ देश में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से प्याज की उत्पादकता प्रभावित हुई है और इसकी कीमतों में आग लगी हुई वहीं दूसरी ओर असम में चाय के व्यापारी चाय की मांग में कमी के कारण परेशान है.

टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी दीपांजल डेका ने बताया कि देश में आज चाय का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन क्षेत्र मांग में भारी कमी से जूझ रहा है. जहां देश में इस बार अनुमान के 1,000 मिलियन किग्रा से भी ज्यादा (1,300 मिलियन किग्रा) चाय का उत्पादन हुआ है, वहीं चाय की मांग में कमी देखी जा रही है.

दीपांजल ने बताया कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति चाय का उपभोग 700 ग्राम ही है, जो कि अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है. यहां तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी चाय का उपभोग 1 किग्रा प्रति व्यक्ति है. वहीं देश में चाय के एक्पोर्ट में खासी बढ़ोतरी नहीं हुई है.

इसके साथ ही चाय के उत्पान मूल्य में बढ़ोतरी से भी मुश्किलें बढ़ी है. चाय के उत्पान में 50 फीसदी हिस्सा इसकी मजदूरी का होता है, जिसमें बढ़ोतरी से इसकी कीमतों में इजाफा हो जाता है, वहीं फर्टिलाइजर के दामों में भी तिगुना इजाफा हुआ है.

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दीपांजल बताते हैं कि इन सबके बीच में जो सबसे बड़ी चुनौती है वह चाय के मांग में कमी, खासकर युवा वर्ग का चाय में कम दिलचस्पी लेना. उन्होंने बताया कि एक पेय पदार्थ के तौर पर युवा वर्ग चाय को लेकर खासा उत्साहित नहीं है.

दीपांजल ने बताया कि चाय को युवाओं के बीच लोकप्रिय कर हमें चाय के मांग में इजाफा करना होगा. साथ ही जो एक चीज है जिसे हमें सुधारना है वह है इसकी क्वालिटी. हमें चाय के बेहतर किस्मों पर काम कर इसकी मांग को बरकरार रखना होगा.

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गुवाहाटी: जहां एक तरफ देश में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से प्याज की उत्पादकता प्रभावित हुई है और इसकी कीमतों में आग लगी हुई वहीं दूसरी ओर असम में चाय के व्यापारी चाय की मांग में कमी के कारण परेशान है.

टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी दीपांजल डेका ने बताया कि देश में आज चाय का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन क्षेत्र मांग में भारी कमी से जूझ रहा है. जहां देश में इस बार अनुमान के 1,000 मिलियन किग्रा से भी ज्यादा (1,300 मिलियन किग्रा) चाय का उत्पादन हुआ है, वहीं चाय की मांग में कमी देखी जा रही है.

दीपांजल ने बताया कि वर्तमान में प्रति व्यक्ति चाय का उपभोग 700 ग्राम ही है, जो कि अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है. यहां तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी चाय का उपभोग 1 किग्रा प्रति व्यक्ति है. वहीं देश में चाय के एक्पोर्ट में खासी बढ़ोतरी नहीं हुई है.

इसके साथ ही चाय के उत्पान मूल्य में बढ़ोतरी से भी मुश्किलें बढ़ी है. चाय के उत्पान में 50 फीसदी हिस्सा इसकी मजदूरी का होता है, जिसमें बढ़ोतरी से इसकी कीमतों में इजाफा हो जाता है, वहीं फर्टिलाइजर के दामों में भी तिगुना इजाफा हुआ है.

दीपांजल बताते हैं कि इन सबके बीच में जो सबसे बड़ी चुनौती है वह चाय के मांग में कमी, खासकर युवा वर्ग का चाय में कम दिलचस्पी लेना. उन्होंने बताया कि एक पेय पदार्थ के तौर पर युवा वर्ग चाय को लेकर खासा उत्साहित नहीं है.

दीपांजल ने बताया कि चाय को युवाओं के बीच लोकप्रिय कर हमें चाय के मांग में इजाफा करना होगा. साथ ही जो एक चीज है जिसे हमें सुधारना है वह है इसकी क्वालिटी. हमें चाय के बेहतर किस्मों पर काम कर इसकी मांग को बरकरार रखना होगा.




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