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15 अगस्त तक आ सकती है कोवैक्सीन, भारत कैसे करेगा इसे संभव - Covid vaccine by Aug 15: How India will manage to get it early

सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने गुरुवार को उस समय सभी को आश्चर्यचकित कर दिया जब उसने बताया कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे कोरोनावायरस वैक्सीन (कोवैक्सीन) को 15 अगस्त तक सफल ट्रायल के बाद लॉन्च कर सकता है.

15 अगस्त तक कोवैक्सीन: क्या भारत जीत पाएगा वैक्सीन बनाने की वैश्विक रेस
15 अगस्त तक कोवैक्सीन: क्या भारत जीत पाएगा वैक्सीन बनाने की वैश्विक रेस
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Published : Jul 3, 2020, 12:43 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 3:33 PM IST

हैदराबाद: दुनिया बेसब्री से उस एक सफलता का इंतजार कर रही है जो कोरोना महामारी का अंत करेगी. जिसने दुनियाभर में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है और पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. पूरे विश्व की सरकारें, स्वास्थ्य नियामक और दवा कंपनियां वैक्सीन बनाने में दिन-रात जुटीं हुई हैं.

आम तौर पर एक कामकाजी टीका विकसित करने में 10 साल तक का समय लग सकता है. लेकिन महामारी की तात्कालिकता में आई तेज़ी को देखते हुए और मरने वालों की संख्या को देखते हुए, बड़े शोधकर्ता कोरोना वायरस का टीका जल्द से जल्द विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं.

इसी बीच भारत के सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने गुरुवार को उस समय सभी को आश्चर्यचकित कर दिया जब उसने बताया कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे कोरोनावायरस वैक्सीन (कोवैक्सीन) को 15 अगस्त तक सफल ट्रायल के बाद लॉन्च कर सकता है.

ये भी पढ़ें- 15 अगस्त तक लॉन्च हो सकती है देश की पहली कोरोना वैक्सीन, मानव परीक्षण 7 जुलाई से शुरू

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने एक बयान में कहा, "सभी क्लीनिकल परीक्षणों के पूरा होने के बाद 15 अगस्त 2020 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए वैक्सीन लॉन्च करने की परिकल्पना की गई है. भारत बायोटेक लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है. हालांकि, अंतिम परिणाम इस परियोजना में शामिल सभी क्लीनिकल परीक्षणों के सहयोग पर निर्भर करेगा."

भारत बायोटेक ने सोमवार को घोषणा की थी कि उसने कोरोना के लिए भारत का पहला वैक्सीन विकसित किया है. जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने फेस 1 और फेस 2 ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की अनुमति भी दे दी है. इसके पहले कंपनी ने प्रीक्लीनिकल स्टडीज से प्राप्त परिणाम सौंपे थे.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला ने बुधवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि "एक वैक्सीन जिसे विकसित होने में आमतौर पर 14-15 साल लगते हैं, उसे अब एक साल के भीतर विकसित किया जा रहा है. यह वाकई में चुनौती भरा काम है."

सरकार ने हाल ही में केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) को सभी दवाओं और वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण के लिए पंजीकरण करने का काम दिया गया था. ताकि आवेदन की प्राप्ति की तारीख से अनुमोदन के समय को तीन महीने तक कम किया जा सके जो पहले औसतन 12 महीने का था.

सीडीएससीओ ने 30 मार्च की अधिसूचना में यह भी कहा था कि कोरोना इलाज के क्लीनिकल परीक्षणों का संचालन करते समय सभी प्रोटोकॉल और नियमों का पालन करना मुश्किल होगा. हालांकि, यह स्पष्ट किया कि परीक्षण विषयों के अधिकारों या सुरक्षा की प्रक्रिया में समझौता नहीं किया जाएगा.

इससे पहले भारत सरकार ने भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 में कुछ छूट दी थी ताकि घरेलू फार्मा कंपनियों को वैक्सीन पर जल्दी काम करने में मदद मिल सके.

फिर भी क्लीनिकल परीक्षण के बाद वैक्सीन को बाजार में लाने में काफी लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है. उन्हें तीन अलग-अलग चरणों में आयोजित किया जाता है. जिसके बाद परीक्षण के परिणाम को अनुमोदन और सत्यापन के लिए नियामक को प्रस्तुत किया जाता है. यहां तक कि परीक्षणों के मामले में हर स्तर पर सफलता पर विचार करते हुए छह महीने से अधिक का समय लग सकता है.

हालांकि स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के मामले में इन समयसीमाओं को और अधिक संशोधित किया गया था. आईसीएमआर के बयान में डॉ. भार्गव ने कहा, "कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति को देखते हुए और वैक्सीन लॉन्च करने की तात्कालिकता के कारण आपको कड़ाई से सलाह दी जाती है कि क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने से संबंधित सभी स्वीकृतियों को जल्दी से जल्दी करें और सुनिश्चित करें कि ट्रायल 7 जुलाई 2020 से शुरु किया जा सके."

इससे पहले बुधवार को डॉ. कृष्णा एला ने कहा था कि भारत बायोटेक आने वाले महीनों में जल्द ही कोरोना वैक्सीन विकसित करने में सफल होगा. इसके साथ ही उन्होंने वैक्सीन के विभिन्न चरणों के बारे में भी बताया था. उन्होंने बताया कि पहले चरण में एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव होता है जो कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ हो. यह परीक्षण 28 दिनों के लिए होता है और इस दौरान कोरोना मुक्त व्यक्ति को भर्ती करने के बाद सीरोलॉजी विश्लेषण किया जाता है. एक बार आरटी-पीसीआर परीक्षण हो जाता है तो स्वयंसेवकों की भर्ती की जाती है. फिर उन्हें वैक्सीन की खुराक दी जाती है और फिर 28वें दिन नमूने लिए जाते हैं. फिर सीरोलॉजी किया जाता हैं. वैक्सीन से शरीर में उत्पादित एंटीबॉडी वायरस को बढ़ने से रोकते हैं. इसे न्यूट्रलाइजेशन कहा जाता है. फिर बीएसएल-3 लैब में रक्त के नमूने और वायरस लाए जाते हैं और अगर वायरस नहीं बढ़ा तो उसके बाद इसे दूसरे और तीसरे चरण में ले जाया जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया भर में परीक्षणों के विभिन्न चरणों में लगभग 140 वैक्सीन हैं. जिनमें लगभग 10 परीक्षण मानव विकास चरणों में हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वैक्सीन 2021 की शुरुआत में बाजार में आ सकती है. अगर भारत में मानव परीक्षण ट्रायल सफल रहा तो भारत के पास कोरोना से जंग के लिए बड़ा हथियार मिल जाएगा.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

हैदराबाद: दुनिया बेसब्री से उस एक सफलता का इंतजार कर रही है जो कोरोना महामारी का अंत करेगी. जिसने दुनियाभर में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया है और पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. पूरे विश्व की सरकारें, स्वास्थ्य नियामक और दवा कंपनियां वैक्सीन बनाने में दिन-रात जुटीं हुई हैं.

आम तौर पर एक कामकाजी टीका विकसित करने में 10 साल तक का समय लग सकता है. लेकिन महामारी की तात्कालिकता में आई तेज़ी को देखते हुए और मरने वालों की संख्या को देखते हुए, बड़े शोधकर्ता कोरोना वायरस का टीका जल्द से जल्द विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं.

इसी बीच भारत के सर्वोच्च चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने गुरुवार को उस समय सभी को आश्चर्यचकित कर दिया जब उसने बताया कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे कोरोनावायरस वैक्सीन (कोवैक्सीन) को 15 अगस्त तक सफल ट्रायल के बाद लॉन्च कर सकता है.

ये भी पढ़ें- 15 अगस्त तक लॉन्च हो सकती है देश की पहली कोरोना वैक्सीन, मानव परीक्षण 7 जुलाई से शुरू

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने एक बयान में कहा, "सभी क्लीनिकल परीक्षणों के पूरा होने के बाद 15 अगस्त 2020 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए वैक्सीन लॉन्च करने की परिकल्पना की गई है. भारत बायोटेक लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है. हालांकि, अंतिम परिणाम इस परियोजना में शामिल सभी क्लीनिकल परीक्षणों के सहयोग पर निर्भर करेगा."

भारत बायोटेक ने सोमवार को घोषणा की थी कि उसने कोरोना के लिए भारत का पहला वैक्सीन विकसित किया है. जिसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने फेस 1 और फेस 2 ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की अनुमति भी दे दी है. इसके पहले कंपनी ने प्रीक्लीनिकल स्टडीज से प्राप्त परिणाम सौंपे थे.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला ने बुधवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि "एक वैक्सीन जिसे विकसित होने में आमतौर पर 14-15 साल लगते हैं, उसे अब एक साल के भीतर विकसित किया जा रहा है. यह वाकई में चुनौती भरा काम है."

सरकार ने हाल ही में केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) को सभी दवाओं और वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण के लिए पंजीकरण करने का काम दिया गया था. ताकि आवेदन की प्राप्ति की तारीख से अनुमोदन के समय को तीन महीने तक कम किया जा सके जो पहले औसतन 12 महीने का था.

सीडीएससीओ ने 30 मार्च की अधिसूचना में यह भी कहा था कि कोरोना इलाज के क्लीनिकल परीक्षणों का संचालन करते समय सभी प्रोटोकॉल और नियमों का पालन करना मुश्किल होगा. हालांकि, यह स्पष्ट किया कि परीक्षण विषयों के अधिकारों या सुरक्षा की प्रक्रिया में समझौता नहीं किया जाएगा.

इससे पहले भारत सरकार ने भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 में कुछ छूट दी थी ताकि घरेलू फार्मा कंपनियों को वैक्सीन पर जल्दी काम करने में मदद मिल सके.

फिर भी क्लीनिकल परीक्षण के बाद वैक्सीन को बाजार में लाने में काफी लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है. उन्हें तीन अलग-अलग चरणों में आयोजित किया जाता है. जिसके बाद परीक्षण के परिणाम को अनुमोदन और सत्यापन के लिए नियामक को प्रस्तुत किया जाता है. यहां तक कि परीक्षणों के मामले में हर स्तर पर सफलता पर विचार करते हुए छह महीने से अधिक का समय लग सकता है.

हालांकि स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के मामले में इन समयसीमाओं को और अधिक संशोधित किया गया था. आईसीएमआर के बयान में डॉ. भार्गव ने कहा, "कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति को देखते हुए और वैक्सीन लॉन्च करने की तात्कालिकता के कारण आपको कड़ाई से सलाह दी जाती है कि क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने से संबंधित सभी स्वीकृतियों को जल्दी से जल्दी करें और सुनिश्चित करें कि ट्रायल 7 जुलाई 2020 से शुरु किया जा सके."

इससे पहले बुधवार को डॉ. कृष्णा एला ने कहा था कि भारत बायोटेक आने वाले महीनों में जल्द ही कोरोना वैक्सीन विकसित करने में सफल होगा. इसके साथ ही उन्होंने वैक्सीन के विभिन्न चरणों के बारे में भी बताया था. उन्होंने बताया कि पहले चरण में एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव होता है जो कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ हो. यह परीक्षण 28 दिनों के लिए होता है और इस दौरान कोरोना मुक्त व्यक्ति को भर्ती करने के बाद सीरोलॉजी विश्लेषण किया जाता है. एक बार आरटी-पीसीआर परीक्षण हो जाता है तो स्वयंसेवकों की भर्ती की जाती है. फिर उन्हें वैक्सीन की खुराक दी जाती है और फिर 28वें दिन नमूने लिए जाते हैं. फिर सीरोलॉजी किया जाता हैं. वैक्सीन से शरीर में उत्पादित एंटीबॉडी वायरस को बढ़ने से रोकते हैं. इसे न्यूट्रलाइजेशन कहा जाता है. फिर बीएसएल-3 लैब में रक्त के नमूने और वायरस लाए जाते हैं और अगर वायरस नहीं बढ़ा तो उसके बाद इसे दूसरे और तीसरे चरण में ले जाया जाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया भर में परीक्षणों के विभिन्न चरणों में लगभग 140 वैक्सीन हैं. जिनमें लगभग 10 परीक्षण मानव विकास चरणों में हैं. विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वैक्सीन 2021 की शुरुआत में बाजार में आ सकती है. अगर भारत में मानव परीक्षण ट्रायल सफल रहा तो भारत के पास कोरोना से जंग के लिए बड़ा हथियार मिल जाएगा.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

Last Updated : Jul 3, 2020, 3:33 PM IST
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