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कोरोना से एमएसएमई क्षेत्र को लगा बड़ा झटका, कई ने अस्थायी रूप से बंद किया कारोबार: सर्वेक्षण

सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत एमएसएमई ने कहा कि वे सरकार से कर रियायत या पूरी तरह कर मुक्ति की उम्मीद कर रहे हैं. 36 प्रतिशत एमएसएमई का कहना था कि वे सरकार से शून्य ब्याज पर या सस्ता कर्ज चाहते हैं.

कोरोना से एमएसएमई क्षेत्र को लगा बड़ा झटका, कई ने अस्थायी रूप से बंद किया कारोबार: सर्वेक्षण
कोरोना से एमएसएमई क्षेत्र को लगा बड़ा झटका, कई ने अस्थायी रूप से बंद किया कारोबार: सर्वेक्षण
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Published : Jun 25, 2020, 5:18 PM IST

नई दिल्ली: कोविड-19 संकट की वजह से कई सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को अपना कारोबार बंद करना पड़ा है. एंड्यूरेंस इंटरनेशनल ग्रुप द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है. इस सर्वेक्षण में जून के पहले दो सप्ताह में करीब 500 भारतीय एमएसएमई इकाइयों के विचार लिए गए. इनमें से एक-तिहाई एमएसएमई ने इस बात की पुष्टि की कि स्थिति सामान्य होने तक उन्होंने अस्थायी तौर पर अपना कारोबार बंद कर दिया है.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य रूप से महानगरों तथा खुदरा और विनिर्माण क्षेत्र के एमएसएमई का कारोबार कोविड-19 संकट की वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. ज्यादातर यानी करीब 60 प्रतिशत एमएसएमई का मानना है कि कारोबार सामान्य होने में छह महीने तक का समय लगेगा. इस संकट से बाहर निकलने के लिए एमएसएमई क्षेत्र सरकार से मदद चाहता है.

ये भी पढ़ें- अब फेयर नहीं रहा 'फेयर एंड लवली', कंपनी बदलेगी नाम

सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत एमएसएमई ने कहा कि वे सरकार से कर रियायत या पूरी तरह कर मुक्ति की उम्मीद कर रहे हैं. 36 प्रतिशत एमएसएमई का कहना था कि वे सरकार से शून्य ब्याज पर या सस्ता कर्ज चाहते हैं.

कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते 30 प्रतिशत एमएसएमई ने बिजनेस वेबसाइट या ई-कॉमर्स सुविधा शुरू की है. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई द्वारा डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में सबसे अधिक उछाल आया है.

सर्वेक्षण में एक और खास बात यह सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स के जरिये कामकाज करने वाले एमएसएमई के कुल राजस्व में इसका हिस्सा बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है. खुदरा और शिक्षा क्षेत्र के राजस्व में ई-कॉमर्स का हिस्सा बढ़कर क्रमश: 53 और 65 प्रतिशत हो गया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कोविड-19 संकट की वजह से कई सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को अपना कारोबार बंद करना पड़ा है. एंड्यूरेंस इंटरनेशनल ग्रुप द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है. इस सर्वेक्षण में जून के पहले दो सप्ताह में करीब 500 भारतीय एमएसएमई इकाइयों के विचार लिए गए. इनमें से एक-तिहाई एमएसएमई ने इस बात की पुष्टि की कि स्थिति सामान्य होने तक उन्होंने अस्थायी तौर पर अपना कारोबार बंद कर दिया है.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य रूप से महानगरों तथा खुदरा और विनिर्माण क्षेत्र के एमएसएमई का कारोबार कोविड-19 संकट की वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. ज्यादातर यानी करीब 60 प्रतिशत एमएसएमई का मानना है कि कारोबार सामान्य होने में छह महीने तक का समय लगेगा. इस संकट से बाहर निकलने के लिए एमएसएमई क्षेत्र सरकार से मदद चाहता है.

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सर्वेक्षण में शामिल 50 प्रतिशत एमएसएमई ने कहा कि वे सरकार से कर रियायत या पूरी तरह कर मुक्ति की उम्मीद कर रहे हैं. 36 प्रतिशत एमएसएमई का कहना था कि वे सरकार से शून्य ब्याज पर या सस्ता कर्ज चाहते हैं.

कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते 30 प्रतिशत एमएसएमई ने बिजनेस वेबसाइट या ई-कॉमर्स सुविधा शुरू की है. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई द्वारा डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में सबसे अधिक उछाल आया है.

सर्वेक्षण में एक और खास बात यह सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स के जरिये कामकाज करने वाले एमएसएमई के कुल राजस्व में इसका हिस्सा बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है. खुदरा और शिक्षा क्षेत्र के राजस्व में ई-कॉमर्स का हिस्सा बढ़कर क्रमश: 53 और 65 प्रतिशत हो गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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