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कोविड 19: जीएसटी, सीमा और उत्पाद अधिनियम से जुड़ी अपीलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी सुनवायी - सीमा और उत्पाद अधिनियम से जुड़ी अपीलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी सुनवायी

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमाशुल्क बोर्ड ने करदाताओं को राहत देते हुए जीएसटी, सीमा और उत्पाद शुल्क इत्यादि से जुड़ी अपीलों की ऑनलाइन सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं. कोरोना वायरस संकट के बीच दूरी सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है.

कोविड 19: जीएसटी, सीमा और उत्पाद अधिनियम से जुड़ी अपीलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी सुनवायी
कोविड 19: जीएसटी, सीमा और उत्पाद अधिनियम से जुड़ी अपीलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी सुनवायी
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Published : Aug 23, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Aug 23, 2020, 6:29 PM IST

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी के दौरान करदाताओं को एक बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क ने निर्देश दिया है कि सीजीएसटी, आईजीएसटी, कस्टम, उत्पाद शुल्क, उत्पाद कानूनों की सभी व्यक्तिगत सुनवाई वित्त अधिनियम, 1994 के अध्याय पांच के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा.

इस साल अप्रैल में सीबीआईसी ने वीडियो लिंक के माध्यम से सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और अपील अधिनियम 1994 के के तहत सभी अपीलों और स्थगन प्रक्रिया का संचालन करने का निर्णय लिया है.

ये भी पढ़ें- क्या भारत कर सकता है 'कैनबिस डॉलर' के लहर की सवारी?

हितधारकों और क्षेत्र संरचनाओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद बोर्ड ने सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों के तहत सभी अपील करने के लिए करदाता के अनुकूल सुविधा का विस्तार करने का फैसला किया है.

बोर्ड ने अब विभिन्न प्राधिकारियों के लिए इसे अनिवार्य बनाने का फैसला किया है. जैसे कि आयुक्त अपील, मूल अधिनिर्णय प्राधिकरण और कंपाउंडिंग प्राधिकरण, सीमा शुल्क अधिनियम 1962, केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 और वित्त अधिनियम के अध्याय पांच के तहत किसी भी कार्यवाही की व्यक्तिगत सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी. यह 2017 की सीजीएसटी और आईजीएसटी अधिनियमों के तहत सभी कार्यवाही को भी कवर करेगा.

अधिकारियों के अनुसार इस पहल से सभी हितधारकों जैसे जीएसटी, आयातकों, निर्यातकों, यात्रियों, अधिवक्ताओं, कर चिकित्सकों और अधिकृत प्रतिनिधियों को सुविधा मिलेगी.

शुक्रवार को जारी अपने आदेश में सीबीआईसी ने भी विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान किए ताकि अपील और पक्षपात के चल रहे काम को त्वरित रूप से न्यायिक कार्यवाही के माध्यम से न्याय के त्वरित वितरण के लिए पूरा किया जाए.

ईटीवी भारत ने पहले बताया था इस साल जून में बोर्ड ने करदाताओं को केवल एक संदेश भेजकर नील जीएसटीआर -1 और निल जीएसटीआर -3 बी रिटर्न दाखिल करने की अनुमति दी है. जुलाई में सीबीआईसी ने कंपोजिशन स्कीम के तहत करदाताओं के लिए तिमाही रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया था.

इस महीने बोर्ड ने सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों के तहत सभी विवादों को कवर करने के लिए सभी अपीलों और स्थगन कार्यवाही की अनिवार्य आभासी सुनवाई की सुविधा का विस्तार करने का निर्णय लिया है.

इस कदम से न केवल याचियों और करदाताओं के समय और यात्रा प्रतिबद्धताओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी. बल्कि यह देश में 56,000 से अधिक लोगों की जान लेने वाले कोविद -19 वैश्विक महामारी के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने में भी मदद करेगा.

अपने आदेश में बोर्ड ने कहा कि ये दिशानिर्देश 2020 के सू मोटो राइट (सिविल) नंबर 5 में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में भी हैं.

अपने दिशानिर्देशों में सीबीआईसी ने कहा कि यह अपील करने के लिए अपीलीय या सहायक प्राधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि व्यक्तिगत सुनवाई एक वीडियो लिंक के माध्यम से होगी और वे पत्राचार के लिए एक ईमेल पता भी प्रदान करेंगे.

अधिकारी न केवल व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख और समय प्रदान करेंगे, बल्कि इन आभासी सुनवाई में भाग लेने में पार्टियों की सहायता भी करेंगे.

इस कदम से न केवल करदाताओं के समय और यात्रा प्रतिबद्धताओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी. बल्कि यह कोरोना महामारी के दौरान सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने में भी मदद करेगा.

(कृष्णानंद त्रिपाठी, ईटीवी भारत)

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी के दौरान करदाताओं को एक बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क ने निर्देश दिया है कि सीजीएसटी, आईजीएसटी, कस्टम, उत्पाद शुल्क, उत्पाद कानूनों की सभी व्यक्तिगत सुनवाई वित्त अधिनियम, 1994 के अध्याय पांच के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा.

इस साल अप्रैल में सीबीआईसी ने वीडियो लिंक के माध्यम से सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और अपील अधिनियम 1994 के के तहत सभी अपीलों और स्थगन प्रक्रिया का संचालन करने का निर्णय लिया है.

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हितधारकों और क्षेत्र संरचनाओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद बोर्ड ने सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों के तहत सभी अपील करने के लिए करदाता के अनुकूल सुविधा का विस्तार करने का फैसला किया है.

बोर्ड ने अब विभिन्न प्राधिकारियों के लिए इसे अनिवार्य बनाने का फैसला किया है. जैसे कि आयुक्त अपील, मूल अधिनिर्णय प्राधिकरण और कंपाउंडिंग प्राधिकरण, सीमा शुल्क अधिनियम 1962, केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 और वित्त अधिनियम के अध्याय पांच के तहत किसी भी कार्यवाही की व्यक्तिगत सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी. यह 2017 की सीजीएसटी और आईजीएसटी अधिनियमों के तहत सभी कार्यवाही को भी कवर करेगा.

अधिकारियों के अनुसार इस पहल से सभी हितधारकों जैसे जीएसटी, आयातकों, निर्यातकों, यात्रियों, अधिवक्ताओं, कर चिकित्सकों और अधिकृत प्रतिनिधियों को सुविधा मिलेगी.

शुक्रवार को जारी अपने आदेश में सीबीआईसी ने भी विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान किए ताकि अपील और पक्षपात के चल रहे काम को त्वरित रूप से न्यायिक कार्यवाही के माध्यम से न्याय के त्वरित वितरण के लिए पूरा किया जाए.

ईटीवी भारत ने पहले बताया था इस साल जून में बोर्ड ने करदाताओं को केवल एक संदेश भेजकर नील जीएसटीआर -1 और निल जीएसटीआर -3 बी रिटर्न दाखिल करने की अनुमति दी है. जुलाई में सीबीआईसी ने कंपोजिशन स्कीम के तहत करदाताओं के लिए तिमाही रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया था.

इस महीने बोर्ड ने सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों के तहत सभी विवादों को कवर करने के लिए सभी अपीलों और स्थगन कार्यवाही की अनिवार्य आभासी सुनवाई की सुविधा का विस्तार करने का निर्णय लिया है.

इस कदम से न केवल याचियों और करदाताओं के समय और यात्रा प्रतिबद्धताओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी. बल्कि यह देश में 56,000 से अधिक लोगों की जान लेने वाले कोविद -19 वैश्विक महामारी के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने में भी मदद करेगा.

अपने आदेश में बोर्ड ने कहा कि ये दिशानिर्देश 2020 के सू मोटो राइट (सिविल) नंबर 5 में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में भी हैं.

अपने दिशानिर्देशों में सीबीआईसी ने कहा कि यह अपील करने के लिए अपीलीय या सहायक प्राधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि व्यक्तिगत सुनवाई एक वीडियो लिंक के माध्यम से होगी और वे पत्राचार के लिए एक ईमेल पता भी प्रदान करेंगे.

अधिकारी न केवल व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख और समय प्रदान करेंगे, बल्कि इन आभासी सुनवाई में भाग लेने में पार्टियों की सहायता भी करेंगे.

इस कदम से न केवल करदाताओं के समय और यात्रा प्रतिबद्धताओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी. बल्कि यह कोरोना महामारी के दौरान सामाजिक मानदंडों को बनाए रखने में भी मदद करेगा.

(कृष्णानंद त्रिपाठी, ईटीवी भारत)

Last Updated : Aug 23, 2020, 6:29 PM IST
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