नई दिल्ली: मार्च के महीने में लगे लॉकडाउन के बाद घर से काम करने का चलन काफी बढ़ गया है. इसके लिए सरकार ने आईटी/आईटीईएस/बीपीओ सेक्टर के कर्मचारियों के लिए लिए वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) और वर्क फ्रॉम एनीवेयर (डब्ल्यूएफए) की सुविधा देने के नियमों में सुधार किया है.
इन सुधारों के बाद कंपनियों को इसे 'नया सामान्य' बनाने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी पड़ेगी. इसके लिए कंपनियों को अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण और कौशल विकास पर फिर से ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि लाखों कर्मचारी फिलहाल अपने घर से काम कर रहे हैं.
ये महामारी इस सदी की सबसे बड़ी रुकावट है और सरकार का यह कदम आईटी और बीपीओ उद्योग के लिए एक गेमचेंजर हो सकता है. ये भारत को वैश्विक आउटसोर्सिग हब के रूप में अग्रणी बना सकता है और छोटे शहरों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकता है.
ये कंपनियों को कहीं से भी टैलेंट को कम लागत में आकर्षित करने का अवसर देता है. इससे नए मानव संसाधन, विपणन, बिक्री और कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी.
साइएंट के अध्यक्ष और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) कार्तिकेयन नटराजन, जो एक प्रमुख इंजीनियरिंग और डिजिटल समाधान कंपनी है, ने सरकार के कदम की सराहना करते हुए कहा कि, "इस दिशानिर्देश से न सिर्फ वर्कफोर्स को मैनेज करने में मदद मिलेगी, बल्कि टियर-2 और 3 शहरों में रोजगार का सृजन भी होगा. खासकर ऐसे समय में, जब महामारी अगले दो सालों के लिए कहीं नहीं जा रही."
स्टार्टअप कंपनियां ऑनलाइन व्यवसाय का कुशलतापूर्वक संचालन करने के लिए वर्कफोर्स को प्रशिक्षण देने को लेकर आशावादी हैं.
एमवाईजेन की सह-संस्थापक शम्मी पंत, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) आधारित कोचिंग देती हैं, दफ्तरों के क्रियाकलाप को मजबूत करने और पूरी तरह से बदलने के जबरदस्त अवसर के तौर पर इसे देख रही हैं.
उनके अनुसार, कर्मचारियों के साथ प्रभावी संचार व्यवस्था इस मॉडल को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाएगी. लर्निग एंड डेवलपमेंट (एलएंडडी) टीम की भूमिका सही लर्निग सॉल्यूशन्स देने में काफी महत्वपूर्ण होगी. ये टीमें उच्च तकनीक वाले डिजिटल और एआई सीखने वाले टूल पेश कर सही लर्निग सॉल्यूशंस देंगी.
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दूसरी ओर, कंपनियां भी सक्रिय रूप से इन मुद्दों पर विचार कर रही हैं, जो अब वर्क फ्रॉम होम के 6 महीने से अधिक समय में उत्पन्न हुई नई समस्याओं का हल ढूंढने में लगी हैं.
बारको इंडिया के प्रबंध निदेशक राजीव भल्ला के अनुसार, "जब हम कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव का आकलन करते हैं, तो कर्मचारियों के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वे आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने आप को ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित करें."
सरकार द्वारा इस नीति की घोषणा डिजिटल दुनिया में बदलते परिदृश्य के मद्देनजर है. मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के समय से ही घर से काम करने के नियमों को आसान किया गया है.
उदाहरण के लिए, अप्रैल में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने घर से काम करने के समझौते के लिए सुरक्षा राशि जमा करने की आवश्यकता को खत्म कर दिया. 5 नवंबर को डीओटी ने बीपीओ और आईटीईएस कंपनियों के अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) और कर्मचारियों के लिए भारत में स्थायी डब्ल्यूएफएच या डब्ल्यूएफए की अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से बदल दिया.
(आईएएनएस)