मुंबई : अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश 2021-22 के बजट को 'साहसी' करार दिया और कहा कि यह राजकोषीय विस्तार पर केंद्रित है. हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने इस बात को लेकर चिंता भी जताई कि बजट में असमान वृद्धि की समस्या के हल के उपाय नहीं किए गए हैं.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट में 'सॉवरेन रेटिंग' की चिंता को नजरअंदाज किया गया है और वृद्धि की जरूरत के मद्देनजर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ऊंचा रखा गया है.
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, 'बजट असमान वृद्धि की समस्या को उचित तरीके से हल नहीं करता. महामारी की वजह से दुनियाभर में यह चिंता का विषय है. महामारी से प्रभावित क्षेत्रों मसलन आतिथ्य आदि के लिए किसी विशेष समर्थन की घोषणा नहीं की गई है.'
जापान की ब्रोकरेज नोमुरा ने कहा कि यह 'लोकलुभावन' बजट नहीं है. नोमुरा के भारत में प्रमुख प्रभात अवस्थी ने कहा, 'ऊंचे आय वर्ग पर कर बढ़ोतरी के जरिये आय के पुन:वितरण का कोई बड़ा प्रयास नहीं किया गया है.'
बरुआ ने कहा कि यह 'साहसी बजट' है. सरकार ने वृद्धि को समर्थन के लिए राजकोषीय घाटे में वृद्धि को नजरअंदाज किया है. इसके अलावा सरकार ने सॉवरेन रेटिंग में सुधार की चिंता की भी अनदेखी की.
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अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके 9.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.
बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था में शुरुआती पुनरुद्धार को समर्थन पर जोर दिया गया है, लेकिन कुल राजकोषीय खर्च अनुमान से कहीं आगे बढ़ है.
बार्कले इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि सरकार ने जो उपाय किए हैं उनसे राजकोषीय घाटे में बड़ी वृद्धि होगी.