नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के इंजिनियरों और लेखा पेशेवरों के एक संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कंपनी के पुनरूद्धार के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.उन्होंने कहा है कि बीएसएनएल पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए. कंपनी में उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं.
'दि ऑल इंडिया ग्रैजुएट इंजिनियर्स ऐंड टेलकॉम आफिसर्स एसोसिएशन (एआईजीईटीओए)' ने 18 जून को प्रधानमंत्री को इस बारे में पत्र लिखा है. पत्र में प्रधानमंत्री से कंपनी के नकदी संकट को दूर करने के लिये बजट समर्थन दिए जाने का अनुरोध किया गया है.
इसमें कहा गया है कि नकदी संकट की वजह से कंपनी का परिचालन और सेवाओं का रखरखाव प्रभावित हो रहा है. पत्र में कहा गया है, "हमारा मानना है कि मौजूदा नकदी संकट को दूर करने के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाले न्यूनतम समर्थन से भी बीएसएनएल को एक बार फिर से मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में शामिल किया जा सकता है."
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एसोसिएशन ने कहा कि बीएसएनएल में कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन आधारित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। . इससे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जा सकेगा जबकि खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों से जवाब मांगा जा सकेगा. सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल 2010 से घाटे में चल रही हैं.
उस समय इन कंपनियों से उनके परिचालन वाले सभी सर्किलों के लिए नीलामी में निकले स्पेक्ट्रम मूल्य का भुगतान करने को कहा गया था. एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में तथा बीएसएनएल शेष 20 दूरसंचार सर्किलों में परिचालन करती है.
एमटीएनएल जहां लगातार घाटे में है वहीं बीएसएनएल ने 2014-15 में 672 करोड़ रुपये, 2015-16 में 3,885 करोड़ रुपये और 2016-17 में 1,684 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ दर्ज किया था. पत्र में कहा गया है कि बाजार बिगाड़ने वाली परिस्थितियों के चलते बीएसएनएल सहित पूरा दूरसंचार क्षेत्र दबाव में आया है. इसके बावजूद बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो रही है. इंजिनियरों और अधिकारियों की एसोसिएशन ने कहा है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद बीएसएनएल आत्मनिर्भर है और उस पर कोई कर्ज बोझ नहीं है.
यह दूसरी दूरसंचार कंपनियों के एकदम उलट स्थिति है जो कि भारी कर्ज बोझ तले दबी हैं. दूरसंचार क्षेत्र की अन्य कंपनियों बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज बोझ तले दबी हैं. पत्र में कहा गया है कि बीएसएनएल कभी भी कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने में पीछे नहीं रही है. केवल एक महीने ऐसा हुआ है लेकिन तब भी कंपनी ने अपने खुद के संसाधनों से बिना किसी बाहरी समर्थन के परिचालन को व्यवस्थित रखा है.