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पॉवर सेक्टर रिफॉर्म से आम जनता को होगा फायदा - पॉवर सेक्टर रिफॉर्म से आम जनता को फायदा होगा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट में निर्धारित नया लक्ष्य 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का रखा गया है. जिसे अगले 2025 तक तक हासिल करने की बात कही गई है. पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है.

पॉवर सेक्टर रिफॉर्म से आम जनता को होगा फायदा
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Published : Nov 22, 2019, 7:34 PM IST

Updated : Nov 25, 2019, 6:30 PM IST

हैदराबाद: भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट में निर्धारित नया लक्ष्य 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का रखा गया है. जिसे अगले 2025 तक तक हासिल करने की बात कही गई है.

पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है. इस प्रकार समान गति को बनाए रखते हुए केंद्रीय बजट 2019 में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र पर और जोर दिया गया था.

बजट भाषण में उल्लिखित इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के प्रावधान कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को अगले स्तर तक ले जाने के लिए हैं. बिजली क्षेत्र के लिए प्रस्तावित बड़े धमाकेदार सुधारों में सरकार ने पावर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर मॉडल पर निर्माण करने का वादा किया है.

ये भी पढ़ें- पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का सवाल ही नहीं: रंगराजन

जिसमें वन नेशन, वन ग्रिड शामिल हैं जो सस्ती दरों पर राज्यों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. वन नेशन-वन ग्रिड जैसे उपाय और किफायती आवास के साथ-साथ हरित बुनियादी ढांचे का निर्माण भी लोगों के जीवन में नया बदलाव लाएगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि बिजली दरों में सुधार की बहुत जरूरत है जिसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. 25 जुलाई 2018 को टिप्पणियों/सुझावों को आमंत्रित करते हुए सीईआरसी की वेबसाइट में 'री-डिजाइनिंग द रियल-टाइम इलेक्ट्रिसिटी मार्केट्स इन इंडिया' पर एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया गया था. जिसके जवाब में पोस्को, पावर एक्सचेंज, ट्रेडिंग लाइसेंस, आईपीपी, स्टेट यूटिलिटीज, स्टेट एलडीसी, जेनरेटर और कंसल्टेंट सहित 21 हितधारकों ने अपनी बात प्रस्तुत की थी.

प्रस्तावित रियल टाइम मार्केट न केवल प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बड़े बाजार तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करेगा, बल्कि जनरेटर को अपनी गैर-अपेक्षित क्षमता के साथ आरटीएम में भाग लेने की अनुमति देगा. यह निश्चित रूप से जनता द्वारा एक सस्ती दर पर बिजली की खरीद सुनिश्चित करेगा.

उच्च स्तरीय उच्चाधिकार समिति (एचएलईसी) की सिफारिशों को भी अब लागू किया जाएगा. जिसमें पुराने और अक्षम प्लांट बंद करना और प्राकृतिक गैस की कमी के कारण गैस संयंत्र की क्षमता के कम उपयोग को संबोधित करना शामिल है.

सीतारमण ने कहा कि सरकार उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसमें सुधार किया जाएगा. सरकार ने 2015 में उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) लॉन्च किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार योजना के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसे और बेहतर बनाया जाएगा.

उदय के बढ़ते कर्ज और डिस्कॉम के ओवरड्यूज के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. वित्तीय वर्ष 18 में उदय की शुरुआत में आपूर्ति और राजस्व वसूली की औसत लागत के बीच अंतर 59 पैसे से घटकर 17 पैसे हो गया. हालांकि, वित्त वर्ष 19 के नौ महीनों में राजस्व अंतर बढ़कर 35 पैसे हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 26 पैसे था.

राज्यों द्वारा कम सब्सिडी वितरण और केंद्र सरकार द्वारा अप्रभावी टैरिफ बढ़ोतरी, क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों सरकारें मिलकर काम करेंगी.

इन संरचनात्मक सुधारों के अलावा, टैरिफ नीति में काफी सुधार की आवश्यकता है. जल्द ही बिजली क्षेत्र के टैरिफ और संरचनात्मक सुधारों के पैकेज की घोषणा की जाएगी.

मौजूदा बाजार संचालन और सिस्टम संचालन में बाधाओं और वास्तविक समय में ऊर्जा असंतुलन का सामना करने वाली चुनौतियों को देखते हुए, यह सही समय है जब बाजार के डिजाइन में बदलाव किया गया है.

सीएलपी इंडिया में वित्त और रणनीति के कार्यकारी निदेशक सुब्बा राव अमरथलुरु ने कहा कि वन नेशन वन ग्रिड की सोच एक सकारात्मक कदम है और यह 2020 तक सभी के लिए सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में लाभदायक साबित होगा.

उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को चलाने के लिए ध्यान केंद्रित करना सराहनीय है और निश्चित रूप से इस क्षेत्र को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में मदद करेगा. यह निवेश को बढ़ावा देगा और तनावग्रस्त बिजली संयंत्रों से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगा.

(लेखक- डॉ हिरण्मय राय, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज देहरादून में अर्थशास्त्र और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग के प्रमुख हैं)

हैदराबाद: भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट में निर्धारित नया लक्ष्य 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का रखा गया है. जिसे अगले 2025 तक तक हासिल करने की बात कही गई है.

पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है. इस प्रकार समान गति को बनाए रखते हुए केंद्रीय बजट 2019 में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र पर और जोर दिया गया था.

बजट भाषण में उल्लिखित इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के प्रावधान कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को अगले स्तर तक ले जाने के लिए हैं. बिजली क्षेत्र के लिए प्रस्तावित बड़े धमाकेदार सुधारों में सरकार ने पावर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर मॉडल पर निर्माण करने का वादा किया है.

ये भी पढ़ें- पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का सवाल ही नहीं: रंगराजन

जिसमें वन नेशन, वन ग्रिड शामिल हैं जो सस्ती दरों पर राज्यों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. वन नेशन-वन ग्रिड जैसे उपाय और किफायती आवास के साथ-साथ हरित बुनियादी ढांचे का निर्माण भी लोगों के जीवन में नया बदलाव लाएगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि बिजली दरों में सुधार की बहुत जरूरत है जिसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. 25 जुलाई 2018 को टिप्पणियों/सुझावों को आमंत्रित करते हुए सीईआरसी की वेबसाइट में 'री-डिजाइनिंग द रियल-टाइम इलेक्ट्रिसिटी मार्केट्स इन इंडिया' पर एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया गया था. जिसके जवाब में पोस्को, पावर एक्सचेंज, ट्रेडिंग लाइसेंस, आईपीपी, स्टेट यूटिलिटीज, स्टेट एलडीसी, जेनरेटर और कंसल्टेंट सहित 21 हितधारकों ने अपनी बात प्रस्तुत की थी.

प्रस्तावित रियल टाइम मार्केट न केवल प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बड़े बाजार तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करेगा, बल्कि जनरेटर को अपनी गैर-अपेक्षित क्षमता के साथ आरटीएम में भाग लेने की अनुमति देगा. यह निश्चित रूप से जनता द्वारा एक सस्ती दर पर बिजली की खरीद सुनिश्चित करेगा.

उच्च स्तरीय उच्चाधिकार समिति (एचएलईसी) की सिफारिशों को भी अब लागू किया जाएगा. जिसमें पुराने और अक्षम प्लांट बंद करना और प्राकृतिक गैस की कमी के कारण गैस संयंत्र की क्षमता के कम उपयोग को संबोधित करना शामिल है.

सीतारमण ने कहा कि सरकार उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसमें सुधार किया जाएगा. सरकार ने 2015 में उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) लॉन्च किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार योजना के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसे और बेहतर बनाया जाएगा.

उदय के बढ़ते कर्ज और डिस्कॉम के ओवरड्यूज के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. वित्तीय वर्ष 18 में उदय की शुरुआत में आपूर्ति और राजस्व वसूली की औसत लागत के बीच अंतर 59 पैसे से घटकर 17 पैसे हो गया. हालांकि, वित्त वर्ष 19 के नौ महीनों में राजस्व अंतर बढ़कर 35 पैसे हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 26 पैसे था.

राज्यों द्वारा कम सब्सिडी वितरण और केंद्र सरकार द्वारा अप्रभावी टैरिफ बढ़ोतरी, क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों सरकारें मिलकर काम करेंगी.

इन संरचनात्मक सुधारों के अलावा, टैरिफ नीति में काफी सुधार की आवश्यकता है. जल्द ही बिजली क्षेत्र के टैरिफ और संरचनात्मक सुधारों के पैकेज की घोषणा की जाएगी.

मौजूदा बाजार संचालन और सिस्टम संचालन में बाधाओं और वास्तविक समय में ऊर्जा असंतुलन का सामना करने वाली चुनौतियों को देखते हुए, यह सही समय है जब बाजार के डिजाइन में बदलाव किया गया है.

सीएलपी इंडिया में वित्त और रणनीति के कार्यकारी निदेशक सुब्बा राव अमरथलुरु ने कहा कि वन नेशन वन ग्रिड की सोच एक सकारात्मक कदम है और यह 2020 तक सभी के लिए सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में लाभदायक साबित होगा.

उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को चलाने के लिए ध्यान केंद्रित करना सराहनीय है और निश्चित रूप से इस क्षेत्र को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में मदद करेगा. यह निवेश को बढ़ावा देगा और तनावग्रस्त बिजली संयंत्रों से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगा.

(लेखक- डॉ हिरण्मय राय, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज देहरादून में अर्थशास्त्र और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग के प्रमुख हैं)

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पॉवर सेक्टर रिफॉर्म से आम जनता को फायदा होगा

हैदराबाद: भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 5 जुलाई को पेश किए गए पूर्ण केंद्रीय बजट में निर्धारित नया लक्ष्य 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का रखा गया है. जिसे अगले 2025 तक तक हासिल करने की बात कही गई है. 

पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है. इस प्रकार समान गति को बनाए रखते हुए केंद्रीय बजट 2019 ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र पर और जोर दिया गया था.

बजट भाषण में उल्लिखित इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के प्रावधान कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को अगले स्तर तक ले जाने के लिए हैं. बिजली क्षेत्र के लिए प्रस्तावित बड़े धमाकेदार सुधारों में सरकार ने पावर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर मॉडल पर निर्माण करने का वादा किया है. जिसमें वन नेशन, वन ग्रिड शामिल हैं जो सस्ती दरों पर राज्यों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. एक राष्ट्र-एक ग्रिड जैसे उपाय और किफायती आवास के साथ-साथ हरित बुनियादी ढांचे का निर्माण भी लोगों के जीवन में नया बदलाव लाएगा. 

वित्त मंत्री ने कहा कि बिजली दरों में सुधार की बहुत जरूरत है जिसे  जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. 25 जुलाई 2018 को टिप्पणियों/सुझावों को आमंत्रित करते हुए सीईआरसी की वेबसाइट में 'री-डिजाइनिंग द रियल-टाइम इलेक्ट्रिसिटी मार्केट्स इन इंडिया' पर एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया गया था. जिसके जवाब में पोस्को, पावर एक्सचेंज, ट्रेडिंग लाइसेंस, आईपीपी, स्टेट यूटिलिटीज, स्टेट एलडीसी, जेनरेटर और कंसल्टेंट सहित 21 हितधारकों ने अपनी बात प्रस्तुत की थी. 

प्रस्तावित रियल टाइम मार्केट न केवल प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बड़े बाजार तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र प्रदान करेगा, बल्कि जनरेटर को अपनी गैर-अपेक्षित क्षमता के साथ आरटीएम में भाग लेने की अनुमति देगा. यह निश्चित रूप से जनता द्वारा एक सस्ती दर पर बिजली की खरीद सुनिश्चित करेगा. 

उच्च स्तरीय उच्चाधिकार समिति (एचएलईसी) की सिफारिशों को भी अब लागू किया जाएगा. जिसमें पुराने और अक्षम प्लांट बंद करना और प्राकृतिक गैस की कमी के कारण गैस संयंत्र की क्षमता के कम उपयोग को संबोधित करना शामिल है. 

सीतारमण ने कहा कि सरकार उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसमें सुधार किया जाएगा. सरकार ने 2015 में उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) लॉन्च किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार योजना के प्रदर्शन की जांच कर रही है और इसे और बेहतर बनाया जाएगा.

उदय के बढ़ते कर्ज और डिस्कॉम के ओवरड्यूज के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. वित्तीय वर्ष 18 में उदय की शुरुआत में आपूर्ति और राजस्व वसूली की औसत लागत के बीच अंतर 59 पैसे से घटकर 17 पैसे हो गया. हालांकि, वित्त वर्ष 19 के नौ महीनों में राजस्व अंतर बढ़कर 35 पैसे हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 26 पैसे था.

राज्यों द्वारा कम सब्सिडी वितरण और केंद्र सरकार द्वारा अप्रभावी टैरिफ बढ़ोतरी, क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों सरकारें मिलकर काम करेंगी. 

इन संरचनात्मक सुधारों के अलावा, टैरिफ नीति में काफी सुधार की आवश्यकता है. जल्द ही बिजली क्षेत्र के टैरिफ और संरचनात्मक सुधारों के पैकेज की घोषणा की जाएगी.

मौजूदा बाजार संचालन और सिस्टम संचालन में बाधाओं और वास्तविक समय में ऊर्जा असंतुलन का सामना करने वाली चुनौतियों को देखते हुए, यह सही समय है जब बाजार के डिजाइन में बदलाव किया गया है. 

सीएलपी इंडिया में वित्त और रणनीति के कार्यकारी निदेशक सुब्बा राव अमरथलुरु ने कहा कि वन नेशन वन ग्रिड की सोच एक सकारात्मक कदम है और यह 2020 तक सभी के लिए सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में लाभदायक साबित होगा.

उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को चलाने के लिए ध्यान केंद्रित करना सराहनीय है और निश्चित रूप से इस क्षेत्र को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में मदद करेगा. यह निवेश को बढ़ावा देगा और तनावग्रस्त बिजली संयंत्रों से संबंधित मुद्दों का समाधान करेगा.


Conclusion:
Last Updated : Nov 25, 2019, 6:30 PM IST

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