नई दिल्ली: हर बार चुनाव में राजनीतिक पार्टियां बड़े-बड़े वादे करती हैं. वादे पूरे न कर सकने पर सभी दल और उम्मीदवार सफाई भी देते हैं.हालांकि, अब चुनाव आयोग ऐसे रवैये पर सख्त रूख अपना सकता है. चुनावी वादों के संबंधमेंआज किसान यूनियन ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें उम्मीदवारों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है.
किसान यूनियन का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों द्वारा जनता से किए गए वादे अक्सर धुएंकी तरह उड़ जाते हैं. फिर अगले चुनाव में राजनीतिक पार्टियां जनता के सामने और वादों का पिटारा लेकर आती है. यह सिलसिला इसी तरह आगे बढ़ता चला जाता है.
इसी बीच राजनीतिक और चुनावी वादों से तंग आकर आज किसान यूनियन के नेताआज चुनाव आयोग पहुंचे. उन्होंने आयोग सेभविष्य में ऐसे राजनीतिक दलों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है जो चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहते हों.
भारतीय किसान यूनियन ने मांग की है कि चुनावी घोषणा पत्र को कानूनी दस्तावेज माना जाए.
अपने ज्ञापन मेंयूनियनने कहा है किअगर कोई राजनीतिक पार्टी चुनाव के दौरान किए गए वादेपूरा करने में फेल होजाए तो उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
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साथ ही यूनियन ने यह भी मांग की है कि इस तरह कि राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार को भी भविष्य में चुनाव लड़ने की इजाजत न दी जाए.
मीडिया से बात करते हुए किसान यूनियन के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादयान ने कहा कि सभी पार्टियां घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में असफल रहती हैं.
कादयान ने कहा कि चाहे किसानों के कर्ज माफी का मामला हो या फिर युवाओं को रोजगार देने का मामला राजनीतिक दल हमेशा जनता को धोखा देते हैं. उन्होंने कहा कि हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि ऐसे दलों पर कानूनी कार्रवाई कीजाए.