नई दिल्ली: क्षेत्रीय दलों के साथ कई मुख्य मुद्दों पर बातचीत करना प्रमुख राष्ट्रीय दलों के लिए विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता है. ये बात राजनीतिक विषयों के जानकार सुबिमल भट्टाचार्जी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कही.
सुबिमल भट्टाचार्जी का कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों से अच्छे संबंध बनाना बीजेपी की रणनीतिक जरूरत हो गई है. ये रणनीति कांग्रेस के कुछ क्षेत्रों में पकड़ मजबूत न होने से रोकने के लिए अपनाई जा रही है.
भट्टाचार्जी ने कहा कि बीजेपी ने शिवसेना और अकाली दल से संबंधों को सही तरीके से संभाला है. ये दोनों ही बीजेपी के सहयोगी दल रहे हैं. आगे वे कहते हैं कि क्षेत्रीय दल का भी राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ता है.
भट्टाचार्जी ने कहा कि दक्षिण में बीजेपी ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ गठबंधन किया है. ऐसा करना बीजेपी के लिए अच्छा है क्योंकि ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां पार्टी का प्रभाव कम है, वहां ये गठबंधन हितकारी होते हैं.
हालांकि, विशेषज्ञ राष्ट्रीय राजनीति में असम गण परिषद (एजीपी) की बात किए जाने पर निराशावादी थे. भट्टाचार्जी ने कहा कि एक समय पर एजीपी ऐसे क्षेत्रीय दलों का हिस्सा था, लेकिन बीते वर्षों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक हो गया है.
बता दें कि एजीपी, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) असम स्थित प्रभावशाली छात्र संगठन की एक आक्रामक राजनीतिक पार्टी थी.
भट्टाचार्जी आगे बताते हैं कि एजीपी ने असम एजिटेशन की शुरुआत कर असम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए, पर वह लागू नहीं हो सका. एजीपी अभी भी अपने इस मुद्दे को आगे बढ़ा रही है.
बीजेपी ने एजीपी के साथ असम में गठबंधन किया है, लेकिन ये नहीं लगता कि ये लाभदायक होगा.
वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कर्नाटक में जनता दल सेकुलर (जदएस), जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ गठबंधन किया है. साथ ही कांग्रेस ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ आने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए गठबंधन किया है.