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क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन बीजेपी की रणनीतिक आवश्यकता : सुबिमल भट्टाचार्जी

कई राष्ट्रीय पार्टियां लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अपने घटक दलों और क्षेत्रीय पार्टियों को साथ गठबंधन कर रही हैं. इसका फायदा और नुकसान उन्हें चुनाव में देखने को मिलेगा. इसकी समीक्षा राजनीतिक विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्जी ने की.

सुबिमल भट्टाचार्जी.
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Published : Mar 23, 2019, 8:37 PM IST

नई दिल्ली: क्षेत्रीय दलों के साथ कई मुख्य मुद्दों पर बातचीत करना प्रमुख राष्ट्रीय दलों के लिए विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता है. ये बात राजनीतिक विषयों के जानकार सुबिमल भट्टाचार्जी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कही.

सुबिमल भट्टाचार्जी का कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों से अच्छे संबंध बनाना बीजेपी की रणनीतिक जरूरत हो गई है. ये रणनीति कांग्रेस के कुछ क्षेत्रों में पकड़ मजबूत न होने से रोकने के लिए अपनाई जा रही है.

भट्टाचार्जी ने कहा कि बीजेपी ने शिवसेना और अकाली दल से संबंधों को सही तरीके से संभाला है. ये दोनों ही बीजेपी के सहयोगी दल रहे हैं. आगे वे कहते हैं कि क्षेत्रीय दल का भी राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ता है.

भट्टाचार्जी ने कहा कि दक्षिण में बीजेपी ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ गठबंधन किया है. ऐसा करना बीजेपी के लिए अच्छा है क्योंकि ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां पार्टी का प्रभाव कम है, वहां ये गठबंधन हितकारी होते हैं.

सुबिमल भट्टाचार्जी ने लोकसभा चुनाव पर बातचीत की.

हालांकि, विशेषज्ञ राष्ट्रीय राजनीति में असम गण परिषद (एजीपी) की बात किए जाने पर निराशावादी थे. भट्टाचार्जी ने कहा कि एक समय पर एजीपी ऐसे क्षेत्रीय दलों का हिस्सा था, लेकिन बीते वर्षों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक हो गया है.

बता दें कि एजीपी, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) असम स्थित प्रभावशाली छात्र संगठन की एक आक्रामक राजनीतिक पार्टी थी.

भट्टाचार्जी आगे बताते हैं कि एजीपी ने असम एजिटेशन की शुरुआत कर असम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए, पर वह लागू नहीं हो सका. एजीपी अभी भी अपने इस मुद्दे को आगे बढ़ा रही है.

बीजेपी ने एजीपी के साथ असम में गठबंधन किया है, लेकिन ये नहीं लगता कि ये लाभदायक होगा.

वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कर्नाटक में जनता दल सेकुलर (जदएस), जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ गठबंधन किया है. साथ ही कांग्रेस ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ आने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए गठबंधन किया है.

नई दिल्ली: क्षेत्रीय दलों के साथ कई मुख्य मुद्दों पर बातचीत करना प्रमुख राष्ट्रीय दलों के लिए विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता है. ये बात राजनीतिक विषयों के जानकार सुबिमल भट्टाचार्जी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कही.

सुबिमल भट्टाचार्जी का कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों से अच्छे संबंध बनाना बीजेपी की रणनीतिक जरूरत हो गई है. ये रणनीति कांग्रेस के कुछ क्षेत्रों में पकड़ मजबूत न होने से रोकने के लिए अपनाई जा रही है.

भट्टाचार्जी ने कहा कि बीजेपी ने शिवसेना और अकाली दल से संबंधों को सही तरीके से संभाला है. ये दोनों ही बीजेपी के सहयोगी दल रहे हैं. आगे वे कहते हैं कि क्षेत्रीय दल का भी राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ता है.

भट्टाचार्जी ने कहा कि दक्षिण में बीजेपी ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ गठबंधन किया है. ऐसा करना बीजेपी के लिए अच्छा है क्योंकि ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां पार्टी का प्रभाव कम है, वहां ये गठबंधन हितकारी होते हैं.

सुबिमल भट्टाचार्जी ने लोकसभा चुनाव पर बातचीत की.

हालांकि, विशेषज्ञ राष्ट्रीय राजनीति में असम गण परिषद (एजीपी) की बात किए जाने पर निराशावादी थे. भट्टाचार्जी ने कहा कि एक समय पर एजीपी ऐसे क्षेत्रीय दलों का हिस्सा था, लेकिन बीते वर्षों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक हो गया है.

बता दें कि एजीपी, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) असम स्थित प्रभावशाली छात्र संगठन की एक आक्रामक राजनीतिक पार्टी थी.

भट्टाचार्जी आगे बताते हैं कि एजीपी ने असम एजिटेशन की शुरुआत कर असम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए, पर वह लागू नहीं हो सका. एजीपी अभी भी अपने इस मुद्दे को आगे बढ़ा रही है.

बीजेपी ने एजीपी के साथ असम में गठबंधन किया है, लेकिन ये नहीं लगता कि ये लाभदायक होगा.

वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कर्नाटक में जनता दल सेकुलर (जदएस), जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ गठबंधन किया है. साथ ही कांग्रेस ने तमिलनाडु में द्रमुक के साथ आने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए गठबंधन किया है.

Intro:New Delhi: Striking deals with the regional parties is a strategic requirement for major national parties especially for BJP.


Body:"Making friendship with regional parties is a requirement for strategic purpose. It is necessary to stop entry of Congress in particular areas," said strategic and political affairs expert Subimal Bhattacharjee to ETV Bharat.

In an exclusive interview Bhattacharjee said that the saffron brigade has managed its own allies like the Shiv Sena and Akali Dal well.

Regional parties here also paly a very significant role in national politics.

"In South they (BJP) have tied up with the AIADMK. Its necessary to make such strategy especially in areas where you don't have so much presence," said Bhattacharjee.

The expert was, however, pessimist over AGP's prospect in national politics.

"AGP was harbinger of such regional parties. But over the years their performance become dismal," said Bhattacharjee.

AGP was an offshoot political party of All Assam Students Union (AASU), Assam based influential student organisation.

"They started the Assam agitation, they signed Assam Accord but it was not implemented...AGP is still fighting it's own battle," said Bhattacharjee.

Assam agitation was initiatied by AASU in late 70s and in 1985 they signed Assam Accord with the Governmnet to end years long movement against "foreigners."

"BJP has make an alliance with the AGP in Assam but it may not bring required result...however, it's necessary to keep Congress out of the race," said Bhattacharjee.


Conclusion:The opposition Congress struck deals with RJD in Bihar, JD (S) in Karnataka , National Conference in Jammu & Kashmir. The Congress struck deals with DMK in Tamil Nadu too keeping in mind the coming general election.

Now only time can say, the outcome of such deals.

End.
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