पणजी: प्रमोद सावंत सरकार ने गोवा विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया है. उन्हें 19 विधायकों का समर्थन चाहिए था. सरकार ने 20 विधायकों का समर्थन हासिल किया. विरोध में 15 मत पड़े. गोवा विधानसभा में अभी 36 विधायक हैं.दो दिन पहले प्रमोद सावंत ने सीएम पद की शपथ ली थी. मनोहर पर्रिकर के निधन से बाद सीएम पद रिक्त हुआ था. भाजपा और सहयोगी दलों ने प्रमोद सावंत को अपना नेता चुना था.
राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने सोमवार देर रात सावंत के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद सदन का विशेष सत्र बुधवार अपराह्न साढे 11 बजे बुलाया था. भाजपा के 11 विधायकों के अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) एवं महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के तीन -तीन तथा तीन निर्दलीय विधायकों ने सावंत का समर्थन किया.
विधानसभा सत्र की अध्यक्षता उपाध्यक्ष माइकल लोबो ने की.कांग्रेस के सभी 14 विधायकों और राकांपा के एक विधायक ने प्रस्ताव का विरोध किया.
विश्वास मत जीतने के बाद सावंत ने सभी विधायकों से अपील की कि वे राज्य के हर कोने में विकास कार्यों को पहुंचाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करें.
विश्वास मत से पहलेमुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विश्वास व्यक्त किया था कि जीत उनकी होगी.मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार ने बुधवार को सदन में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा है, जिससे वह अपना बहुमत साबित कर सके.
गोवा में कांग्रेस 14 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी
गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा की वास्तविक संख्या घटकर 36 रह गई है क्योंकि मनोहर पर्रिकर एवं भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया और कांग्रेस के दो विधायक सुभाष शिरोडकर एवं दयानन्द सोप्ते ने त्यागपत्र दे दिया था. गोवा में कांग्रेस 14 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि राकांपा का भी एक विधायक है.
11 मंत्रियों के साथ ली थी सावंत ने शपथ
सावंत (45 वर्ष) को सोमवार काफी देर रात में 11 मंत्रियों के साथ शपथ दिलवाई गई थी. उन्होंने पर्रिकर का स्थान लिया है जिनका अग्नाशय कैंसर के कारण रविवार को निधन हो गया था. सावंत पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक और आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता हैं.
पर्रिकर द्वारा शुरू की गयी परियोजनाओं को पूरा करना उनकी प्राथमिकता
दिलचस्प बात ये है कि नई सरकार में जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है, वे पर्रिकर मंत्रिमंडल में भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि पर्रिकर द्वारा शुरू की गयी परियोजनाओं को पूरा करना उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार मीरामार बीच पर पर्रिकर के नाम से उस स्थान पर स्मारक बनवाएगी जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था.
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एकजुट रहेगा गठबंधन
सावंत ने विश्वास व्यक्त कि भाजपा नीत गठबंधन शक्ति परीक्षण में सफल होगा तथा गठबंधन एकजुट रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के सहयोगी उनको समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं यह सुनिश्चित करने की चेष्टा करूंगा कि गठबंधन एकजुट रहे. मैं लोगों के साथ उसी तरह से बर्ताव करूंगा जिस तरह पर्रिकर करते थे.’ उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी.
जल्द होगा मंत्रियों को उनके विभागों का आवंटन
सावंत ने कहा कि उनके साथ जिन मंत्रियों को शपथ दिलवाई गयी है, उन्हें विभागों का आवंटन शीघ्र किया जाएगा. सावंत को मंगलवार रात दो बजे से कुछ पहले गोवा के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलवाई गई थी. इससे पहले भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत का लम्बा दौर चला था.
एक-एक विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा
राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने जिन 11 मंत्रियों को शपथ दिलवाई, उनमें भाजपा के सहयोगी एमजीपी एवं जीएफपी के विधायक शामिल हैं. पार्टी सूत्रों ने बताया कि सहयोगियों के साथ सत्ता समझौते को लेकर बनी समझ के तहत समर्थन देने वाले दोनों छोटे दलों के एक-एक विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. वे हैं जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई तथा एमजीपी विधायक सुदिन धावलिकर.
इन मंत्रियों को दिलाई गई शपथ
जिन मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई उनमें मौविन गोडिन्हो, विश्वजीत राणे, मिलिंद नाईक एवं नीलेश कबराल (सभी भाजपा), पालेकर एवं जयेश सालगांवकर (दोनों जीपीएफ), मनोहर अजगांवकर (एमजीपी) तथा निर्दलीय रोहन खुंटे एवं गोविंद गवाड़े शामिल हैं.
उत्तरी गोवा के संखालिम से विधायक हैं सावंत
शपथ ग्रहण समारोह को कई बार टाले जाने के बाद सावंत ने अंतत: मंगलवार रात एक बजकर 50 मिनट पर राजभवन में शपथ ली. सावंत उत्तरी गोवा के संखालिम से विधायक है.
पर्दे के पीछे शाह और गडकरी की अहम भूमिका
पर्रिकर के निधन के बाद राज्य में सत्ता भाजपा के पास ही बरकरार रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पर्दे के पीछे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इससे जुड़े घटनाक्रमों से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सरकार गठन को लेकर जारी हुआ था गतिरोध
पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध दोनों वरिष्ठ नेताओं द्वारा चतुराई से स्थितियों से निबटने के कारण दूर हुआ. सहयोगी दलों द्वारा अपनी मांगों पर अड़े होने के कारण यह गतिरोध बना था.
छोटे दलों के नेताओं को गडकरी ने किया था राजी
राज्य विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव के बाद भी जब भाजपा को बहुमत नहीं मिला था तो गडकरी यहां आए थे. उन्होंने छोटे दलों से बातचीत कर उन्हें मनाया और समर्थन देने के लिए राजी करवाया. इसके बाद ही पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा नीत गठबंधन सरकार बनी थी.