नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद मंत्रिमंडल का गठन हुआ और सबने अपनी जिम्मेदारी भी संभाल ली है. लेकिन चंद महीने बाद जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, वहां नेतृत्व को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. ऐसा ही हाल दिल्ली का है.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश बीजेपी में नेतृत्व को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. पार्टी के कई नेता दिल्ली में बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री का ख्वाब देखने लगे हैं.
कई नेता देखने लगे हैं ख्वाब
प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व को लेकर कुछ नवनिर्वाचित सांसद नाराज बताए जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी का मनोबल काफी बढ़ा हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव में इस बार पार्टी की राह आसान हो सकती है. ऐसे में कई नेता मुख्यमंत्री का ख्वाब देखने लगे हैं.
फिलहाल नेतृत्व का ख्वाब देखने वालों में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता शामिल हैं.
मौजूदा अध्यक्ष के बदलने की चर्चा
पिछले कुछ दिनों से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी को बदले जाने की चर्चा तेज हो गई है. उनका प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल इसी साल के आखिर में खत्म हो जाएगा. लेकिन मनोज तिवारी के समर्थक इस बात को हवा देने में लगे हैं कि उन्हें हटाने से पार्टी का पूर्वांचल वोट खिसक सकता है. बीते 5 साल में मनोज तिवारी पूर्वांचल का चेहरा बन गए हैं.
मनोज तिवारी को लेकर विरोध
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी को लेकर संगठन में भी विशेष विरोध बढ़ने लगा है. इसकी एक बानगी 25 मई को प्रदेश कार्यालय में उस समय देखने को मिली जब अध्यक्ष की तरफ से सभी नवनिर्वाचित सांसदों का मीडिया के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन उसमें दो सांसद नहीं पहुंचे. प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थ और प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू के साथ उनके संबंध पहले ही मधुर नहीं रहे हैं.