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कुपोषण और सुविधाओं के अभाव में हुई बच्चों की मौत, चमकी बुखार पर AIIMS की रिपोर्ट

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत को लेकर एम्स की रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुपोषण और सुविधाओं के अभाव में बच्चों की मौत हुई.

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Published : Jul 3, 2019, 7:49 AM IST

Updated : Jul 3, 2019, 12:27 PM IST

चमकी बुखार पर सामने आई AIIMS की रिपोर्ट

नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 154 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था. अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की रिसर्च सामने आई है. इस रिसर्च में डॉक्टरों ने दावा किया है कि ठीक तरह से उपचार ना मिलने और अस्पताल में बेहतर सुविधाओं का ना होना बच्चों की मौत के कारण बना.

चमकी बुखार को लेकर AIIMS की रिपोर्ट आई सामने

'कुपोषण व सुविधाओं का अभाव है असली वजह'
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि AES के लक्षणों का परिजनों को रात में मालूम चला था, लेकिन वह पीड़ितों को सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई. रिसर्च में ये भी सामने आया कि जिन बच्चों की मौत हुई वो कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी भी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.


अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
एम्स की इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल पीड़ितों को इक्विपमेंट समेत दूसरी स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. इसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. एम्स की रिसर्च में यह भी पाया गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सक्रिय हो और उचित कदम उठाए.

नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के चलते 154 बच्चों की मौत का मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था. अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की रिसर्च सामने आई है. इस रिसर्च में डॉक्टरों ने दावा किया है कि ठीक तरह से उपचार ना मिलने और अस्पताल में बेहतर सुविधाओं का ना होना बच्चों की मौत के कारण बना.

चमकी बुखार को लेकर AIIMS की रिपोर्ट आई सामने

'कुपोषण व सुविधाओं का अभाव है असली वजह'
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि AES के लक्षणों का परिजनों को रात में मालूम चला था, लेकिन वह पीड़ितों को सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई. रिसर्च में ये भी सामने आया कि जिन बच्चों की मौत हुई वो कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी भी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.


अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
एम्स की इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल पीड़ितों को इक्विपमेंट समेत दूसरी स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. इसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. एम्स की रिसर्च में यह भी पाया गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सक्रिय हो और उचित कदम उठाए.

Intro:चमकी बुखार पर एम्स की रिसर्च, राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही आई सामने

दक्षिणी दिल्ली: बिहार के मुज्जफरपुर में चमकी बुखार के चलते जहां 154 बच्चों की मौत की मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था.वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली की एक टीम ने इस पर रिसर्च की.और यह रिसर्च अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि 154 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


Body:आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे. लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. उन्होंने अपने रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं और ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में इक्विपमेंट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. उन्होंने रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. और वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.इसलिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते भी बच्चों और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी का सामना करना पड़ा.


Conclusion:फिलहाल इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाएं.
Last Updated : Jul 3, 2019, 12:27 PM IST
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