चिक्कबल्लापुर: कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले में जीका वायरस पाया गया है. स्वास्थ्य विभाग इस पर कड़ी नजर रख रहा है. जानकारी के मुताबिक जीका वायरस के मामलों को देखते हुए विभाग गाइडलाइन तैयार करने पर काम कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने शिदलाघाट तालुक के तलकायालाबेट्टा गांव के पास एक लैब में मच्छरों का परीक्षण किया था. तब वहां के मच्छरों में जीका पाया गया था. विभाग पहले से ही सर्वे का काम कर रहा है. लेकिन इंसानों में इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. जिला प्रशासन गांव समेत करीब 5 किलोमीटर के दायरे में एहतियात बरत रहा है.
बताया जा रहा है कि इस गांव में 5 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने खासतौर से गर्भवती महिलाओं के साथ अन्य लोगों की निगरानी कर रहा है. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडुराव ने स्पष्ट किया है कि कर्नाटक में किसी व्यक्ति में जीका संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है.
मच्छर जनित यह वायरस ज्यादातर गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक होता है. यह वायरस सबसे पहले बच्चे को प्रभावित करता है. वायरस भ्रूण के मस्तिष्क तक भी जा सकता है और माइक्रोसेफली नामक गंभीर जन्म दोष का कारण बन सकता है. इसका मतलब है कि बच्चे के मस्तिष्क का विकास धीमा हो जाता है और बच्चे के ऑटिज्म जैसी बीमारी के साथ पैदा होने की संभावना अधिक होती है. यह सुनने और देखने की क्षमता में कमी, जोड़ों में गति की कमी, तंत्रिका विकास में असामान्यता सहित कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकता है.
बेंगलुरु के बन्नेरुघट्टा रोड स्थित फोर्टिस अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अनु श्रीधर ने ईटीवी भारत को बताया कि अगर गर्भवती महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली कम है, तो भी बच्चे का जीवन प्रभावित हो सकता है.
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वर्तमान में जीका वायरस के लिए कोई स्थापित उपचार या टीका नहीं है. जीका दिन के समय मच्छरों के काटने से फैलता है. इसलिए घर के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए. मच्छर भगाने वाली क्रीम का उपयोग, पूरे कपड़े पहनना और मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. डॉ. अनु श्रीधर ने कहा कि इस बीमारी वाले क्षेत्र में जाने पर संभोग नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस समय गर्भधारण भी ठीक नहीं है.