अमरावती: साल 2024 के आम चुनावों को देखते हुए, आंध्र प्रदेश में सत्ता के लिए सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी उम्मीदवारों में बड़े बदलाव हुए हैं. तीन चरणों में घोषित सूचियों में कुल 51 विधानसभा सीटों के लिए नए प्रभारों की घोषणा की गई है. इसमें 24 मौजूदा विधायक हैं. 8 संसदीय सीटों पर प्रभारी बदले गए. इसने तीन सांसदों को टिकट देने से इनकार कर दिया.
प्रभारियों के बदलाव की कवायद के दौरान जहां कई नेताओं को टिकट नहीं मिला, वहीं कुछ समय पहले अप्रत्याशित रूप से नए लोगों को टिकट मिलने से पार्टी में बड़ी बहस छिड़ गई. वाईएसआरसीपी समन्वयकों की तीसरी सूची की घोषणा से साफ है कि पार्टी में सवाल उठाने की आवाज बंद हो जाएगी. पुथलपट्टू विधायक एमएस बाबू ने सीएम जगन से सवाल किया कि क्या दलित के रूप में जन्म लेना हमारा अपराध है?
उन्होंने सवाल किया कि क्या यह पाप है? मैंने क्या गलत किया? सिर्फ दलित सीटों पर पार्टी की नकारात्मकता? अगर कोई पैसे देगा तो क्या आई-पाक किसी का मन बदल देगा? उनकी जगह डॉ. मुथिरेवुला सुनीलकुमार को पार्टी प्रभारी नियुक्त किया गया है. सुनील ने 2014-19 के बीच उसी पुथलपट्टू से वाईएसआरसीपी विधायक के रूप में कार्य किया. 2019 में जिस तरह विधायक एमएस बाबू के साथ अन्याय हुआ, उसी तरह सुनील को भी किनारे कर दिया गया.
उन्होंने आत्महत्या करने की बात कहते हुए, जो वीडियो जारी किया था, वह उस समय सनसनी बन गया था. सीएम से मिलने के लिए वह उनके आवास लोटसपॉन्ड गए, लेकिन उन्हें मिलने का मौका नहीं मिला. अब पांच साल बाद उन्हें फिर से विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी चुना गया है. वाईसीपी एमएलसी दुव्वाडा श्रीनिवास की पत्नी ने पहले सीएम जगन से उनके पति पर टेक्काली निर्वाचन क्षेत्र में अराजकता करने की शिकायत की थी.
दुव्वाडा श्रीनिवास, जो उस समय तक टेक्कली वाईएसआरसीपी के समन्वयक के रूप में काम कर रहे थे, उनको उस जिम्मेदारी से हटा दिया गया और उनकी पत्नी वाणी को प्रभारी नियुक्त किया गया. गुरुवार को यह घोषणा की गई कि कुछ महीने भी नहीं बीते थे कि दुव्वदा श्रीनिवास को समन्वयक नियुक्त किया गया है. सत्ताधारी दल में इस बात पर बहस चल रही है कि क्या उन्हें संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है, जो अराजकता और अनियमितता करने के हकदार हैं या फिर उन्होंने सोचा कि चुनाव में अत्याचार करना ही बेहतर होगा.