ईटीवी भारत- बाबा का ढाबा ने आपको जिदंगी के दोनों रंग दिखा दिए, अपार प्रसिद्ध हुए और उतने ही विवाद हुए, कैसे याद करते हैं वो दिन ?
गौरव वासन- मैंने बाबा के ढाबा पर पहुंच कर पिछले साल देखा कि वे काम कर रहे हैं, मेहनत कर रहे हैं. मेरा दिल दहल सा गया ये देख कर कि इतनी उम्र में इनको इतनी मेहनत करनी पड़ रही है. मैंने मदद की, लेकिन थोड़े दिनों बाद मुझ पर काफी गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए गए.
ईटीवी भारत- केस का क्या स्टेटस है ?
गौरव वासन- केस के लिए उन्होंने कहा कि वे केस वापस ले लेंगे. उन्होंने मीडिया को बयान दिया है कि मेरा उनके साथ कुछ नहीं है...बस वे ये चाहते हैं कि मैं उनके पास जाऊं रिपोर्ट वापस लेने, जबकि मैं ये चाहता हूं कि वे अपनी रिपोर्ट खुद वापस लेकर आएं, उसके बाद मुझे एक कापी देकर बोले कि हमने केस वापस ले लिया है...मेरी तरफ से पहले भी कुछ नहीं था. अब भी कुछ नहीं है और आगे भी शायद कुछ नहीं होगा.
ईटीवी भारत- यानी गौरव वासन ने इसे अब प्रेस्टीज प्वाइंट बना लिया है कि बाबा को मेरे पास आना होगा ...
गौरव वासन- नहीं, ऐसा नहीं है. चाहें वे आएं या मैं जाऊं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उनको लगता है कि शायद वो मेरे पास आएंगे तो वे छोटे हो जाएंगे...मैं उनके पास जाऊंगा तो मैं छोटा नहीं हो जाऊंगा, क्योंकि कहीं न कहीं किसी न किसी को अपनी ईगो मारनी पड़ती है. अगर किसी का फलस्वरूप अच्छा हो तो उसे उसी तरह एक्सेप्ट कर लेना चाहिए और उन्होंने जैसे बोला कि वो मुझसे माफी मांगते हैं. मैं छोटा बहुत हूं और मैं उनको अपना आदरणीय मानता हूं.
ईटीवी भारत- इसका मतलब ये समझूं कि आप वहां जाएंगे उनसे मिलेंगे और बड़े विवाद का हैप्पी एंडिंग होगा ?
गौरव वासन- अगर ऊपरवाले ने उन्हें अपने कर्म का फल दिया है तो मुझे जाने में कोई संकोच नहीं है... किसी चीज का अंत करना है तो किसी न किसी को तो पहल करनी पड़ेगी... सच्चाई सबके सामने आ गई है तो मुझे जाने में कोई संकोच नहीं है. हैप्पी एंडिंग तो शुरू से ही करना चाहता था. मैंने जो वीडियो बनाई थी वह ये सोच के नहीं बनाई थी कि उसका अंत ऐसे होगा.
ईटीवी भारत- पूरे घटनाक्रम में एक फैक्ट ये भी है कि सोशल मीडिया एक तरह से अलटर्नेट मीडिया ही बन गया. इस तरह सीरियसली लिया गया कि नेशनल इश्यू बन गया. कंटेंट क्रियेटर्स की भूमिका और अपेक्षाएं बढ़ गई हैं. सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी फील होती है ?
गौरव वासन- चाहे वह मैं हूं या कोई और कंटेंट क्रियेटर हो...बहुत सारे कंटेंट क्रियेटर्स को आलोचनाएं झेलनी पड़ती हैं. रोजाना सोशल मीडिया के थ्रू बहुत आसान होता है कुछ भी टाइप करके आप लोगों को मोटिवेट और डी-मोटिवेट दोनों कर सकते हैं. जो कंटेंट क्रियेटर्स होते हैं वो आउट ऑफ द बॉक्स जाकर कंटेंट बनाते हैं. जब मैंने बाबा का ढाबा की हेल्प की, उसके बाद न जाने कितने लोगों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए. शायद तब तक लोगों को ये अहसास ही नहीं था कि इतने बुजुर्ग लोग हैं हमारे देश में, जिनकी मदद होनी चाहिए. उस एक वीडियो ने पूरे देश की आंखें खोल दीं, लेकिन विवाद के बाद लोगों ने अपने हाथ भी खींच लिए कि पता नहीं क्या सिला मिलेगा. मैं यही कहना चाहता हूं कि मदद करते रहिए, मैं नहीं रुक रहा तो आप भी मत रुकिए.
ईटीवी भारत- सोशल मीडिया, जिसे अलटर्नेट मीडिया कहा जा रहा है. वहां कुछ ऐसी चीजें भी वायरल हो रही हैं, जो हमारी वैल्यूज को खत्म कर रही हैं. कल्चर और परवरिश सबको एफेक्ट कर रही हैं. ऐसे कंटेंट पर क्या टेक है आपका ?
गौरव वासन- हर कंटेंट क्रियेटर का अपना स्पेस होता है. मैं किसी के पर्सनल स्पेस में जाकर उस पर चर्चा नहीं करना चाहता, क्योंकि अगर मैं एक फूड एक्सप्लोरर हूं तो मुझे पता है मेरा दायरा क्या है. बाकी कंटेंट क्रियेटर्स हैं वे भी अपने फॉलोवर्स पर भरोसा करते हैं. उन्हें क्या देखना पसंद है...
ईटीवी भारत- तो क्या कंटेंट क्रिएटिंग के काम को सिर्फ व्यूज़, वायरलिटी पर छोड़ दिया जाए ? किसी तरह के रूल्स, रेग्युलेशन की जरूरत नहीं ? मतलब वही बात कर रहे हैं आप जो फिल्मकार करते हैं क्रिएटिव फ्रीडम सर्वोपरि है ?
गौरव वासन- मुझे नहीं लगता कि रूल्स, रेग्युलेशन्स लाने से कोई फर्क पड़ेगा. सबका अपना पर्सनल स्पेस होता है. मेरा सिर्फ ये कहना है कि कंटेंट क्रियेटर ऐसा कंटेंट बनाए कि किसी के सेंटीमेंट्स हर्ट न हो. धर्म या किसी की प्राइवेसी को वायलेट करने वाला कंटेंट नहीं बनाना चाहिए.
ईटीवी भारत- लेकिन इसमें एक्पर्टीज़ का इश्यू भी आ रहा है. मसलन, आप फूड ब्लॉगर-यूट्यूबर हैं. अचानक से आप पॉलिटिकल या क्रिकेट के इश्यू पर बोलने लग जाएं. आप जो करेंगे लॉयल व्यूअर भी हैं और व्यूज़ भी मिल जाएंगे...क्या ये सही होगा ?
गौरव वासन- भगवान ने हर इंसान के अंदर कुछ न कुछ टैलेंट डाला हुआ है, उसे खोजना खुद को होता है... मुझे फूड आइटम एक्प्लोर करना पसंद है. मैं हमेशा से सेफ (Chef) बनना चाहता था. शायद वो मेरे लिए बेहतर नहीं था और अभी जहां हूं आप सबके सामने हूं. एक्पर्टीज़ हासिल करना है तो आपको दो नावों में सवारी से बचना होगा, तुरंत कुछ व्यूज़ मिल जाएं लेकिन वे सस्टनेबल नहीं होंगे, ये तय है. इसीलिए जो आपका प्रमुख क्षेत्र (Niche area), उसी पर काम करना चाहिए.
ईटीवी भारत- नए कंटेंट क्रियेटर्स के सामने दो च्वाइस हैं, पहला साफ सुथरा कंटेंट जो मुश्किल से वायरल होगा. दूसरा शॉर्ट कट प्रेंक्स, कॉमेडी, वर्लगेरिटी इत्यादि...और दोनों तरह का कंटेंट वायरल होता है. नए कंटेंट क्रियेटर्स को आप क्या सजेक्ट करेंगे ?
गौरव वासन- मैं उनको यही बोलना चाहता हूं कि जो भी आप कंटेंट बनाएं ऑरिजनल कंटेंट हो, नियमितता हो, ऐसा कंटेंट बनाएं जिसे देखकर दूसरा कुछ सीखे, हंसी मजाक अलग बात है, लेकिन सोसायटी को बहुत अच्छा और नया कंटेंट दिया जा सकता है. कुछ लिबर्टी लेनी भी जरूरी है क्योंकि ये ट्रेडिशनल मीडियम नहीं है. पर्सनल च्वाइस व्यूअर के पास है. केस टू केस अलग पैमाने हैं.
ईटीवी भारत- दिल्ली का कौन सा फूड आपको पसंद है?
गौरव वासन - मैं एक फूडी हूं तो मेरा कोई पर्सनल फेवरेट नहीं है कि हां मेरे को यहीं जाके खाना है. हर खाने की चीज के लिए अलग-अलग जगह है. दिल्ली की स्ट्रीट फूड के साथ देश-दुनिया का स्ट्रीट फूड एक्प्लोर करूंगा ये सोचा है.