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बेंगलुरु की सड़काें पर भूखे रह रहे जरूरतमंदाें काे मुफ्त भाेजन कराते हैं ये दाे युवा

बेंगलुरु के दाे मुस्लिम युवा लॉकडाउन (lockdown) के दाैरान सड़क पर जीवन गुजारने वाले गरीबाें काे राेजाना मुफ्त में भाेजन करा रहे हैं.

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Published : Jun 6, 2021, 3:21 PM IST

बेंगलुरु : कोरोना महामारी (corona pandemic) के कारण लगाए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब हैं, जाे राेज अपनी दाे वक्त की राेटी जुटाता है.

जरूरतमंदाें की मदद कर रहे मुस्लिम युवा

लॉकडाउन के कारण गरीब और मेहनतकश भूखे मरने के कगार पर आ गए हैं. इन परिस्थितियों में बेंगलुरु के दो मुस्लिम युवाओं ने उनकी मदद करने का फैसला किया है और वे पिछले डेढ महीने से राेजाना ऐसे लाेगाें काे मुफ्त भाेजन करा रहे हैं.

बेंगलुरु की सड़काें पर भूखे रह रहे जरूरतमंदाें काे मुफ्त भाेजन कराते हैं

बता दें कि शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन (railway station), बस स्टैंड और उसके आस-पास के इलाकाें में रात के समय सड़काें पर भूखे साे रहे लाेगाें काे ये भाेजन कराते हैं.

रमजान से मिली सीख

इन युवाओं का कहना है कि रमजान के समय से वे इस कार्य में जुटे हैं. उन्हाेंने कहा कि रमजान भी हमें ऐसे लाेगाें की भूख का एहसास कराता है और इनकी मदद करने की सीख देता है. वे राेजाना रात के समय ऐसे जरूरतमंदाें काे भाेजन कराते हैं, जाे स्वयं खाने में असमर्थ हाेते हैं. उन्हें अपने हाथाें से भी खिलाते हैं.

इसे भी पढ़ें : दिल्ली अनलॉक : सात जून से चलेगी मेट्रो, मॉल-बाजार और ऑफिस खुलेंगे

उन्हाेंने कहा कि दिन में ताे नहीं लेकिन रात में ऐसे बहुत गरीब मिलते हैं, जिनके पास खाने तक काे कुछ नहीं हाेता. उन्हाेंने कहा कि वे आस-पास के इलाकाें में घूम-घूमकर ऐसे लाेगाें काे भाेजन कराते हैं.

बेंगलुरु : कोरोना महामारी (corona pandemic) के कारण लगाए गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब हैं, जाे राेज अपनी दाे वक्त की राेटी जुटाता है.

जरूरतमंदाें की मदद कर रहे मुस्लिम युवा

लॉकडाउन के कारण गरीब और मेहनतकश भूखे मरने के कगार पर आ गए हैं. इन परिस्थितियों में बेंगलुरु के दो मुस्लिम युवाओं ने उनकी मदद करने का फैसला किया है और वे पिछले डेढ महीने से राेजाना ऐसे लाेगाें काे मुफ्त भाेजन करा रहे हैं.

बेंगलुरु की सड़काें पर भूखे रह रहे जरूरतमंदाें काे मुफ्त भाेजन कराते हैं

बता दें कि शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन (railway station), बस स्टैंड और उसके आस-पास के इलाकाें में रात के समय सड़काें पर भूखे साे रहे लाेगाें काे ये भाेजन कराते हैं.

रमजान से मिली सीख

इन युवाओं का कहना है कि रमजान के समय से वे इस कार्य में जुटे हैं. उन्हाेंने कहा कि रमजान भी हमें ऐसे लाेगाें की भूख का एहसास कराता है और इनकी मदद करने की सीख देता है. वे राेजाना रात के समय ऐसे जरूरतमंदाें काे भाेजन कराते हैं, जाे स्वयं खाने में असमर्थ हाेते हैं. उन्हें अपने हाथाें से भी खिलाते हैं.

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उन्हाेंने कहा कि दिन में ताे नहीं लेकिन रात में ऐसे बहुत गरीब मिलते हैं, जिनके पास खाने तक काे कुछ नहीं हाेता. उन्हाेंने कहा कि वे आस-पास के इलाकाें में घूम-घूमकर ऐसे लाेगाें काे भाेजन कराते हैं.

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