जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल में शुक्रवार तड़के लंग्स कैंसर से पीड़ित मरीज की मौत हो गई. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रंबधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों के अनुसार ट्रॉमा सेंटर में बिजली जाने से वेंटिलेटर बंद हो गया था. वार्ड में एक नर्सिंग स्टाफ मौजूद थी, लेकिन आपाधापी के बीच युवक की मौत हो गई. अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजपुरोहित ने बताया कि मरीज की हालत बेहद गंभीर थी. लंग्स कैंसर से पीड़ित था, इस कारण हाई ऑक्सीजन की जरूरत थी. इसके चलते उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. वेंटिलेटर बंद होने पर मरीज को ऑक्सीजन प्वाइंट पर स्विचओवर किया गया. इस दौरान उनकी मृत्यु हो गई. बिजली जाने पर जनरेटर चला था. परिजनों की शिकायत पर प्रोफेसर डॉ गणपत चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है, जो भी दोषी होगा उसे सजा मिलेगी.
एसीपी नरेंद्र दायमा ने शव को मोर्चरी में रखवाया है. परिजनों के अनुसार ओसियां के पली निवासी गोपालभाटी पुत्र पारसराम भाटी कैंसर की फर्स्ट स्टेज का मरीज था. वह परिवार का इकलौता बेटा था. उसके सांस की तकलीफ होने पर गुरुवार शाम को यहां भर्ती करवाया गया था. एमडीएम के ट्रॉमा सेंटर के रेडजोन वार्ड में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. शुक्रवार तड़के करीब चार बजे अचानक बिजली चली गई. इससे गोपाल का वेंटीलर कुछ देर में ही डाउन हो गया.
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परिजनों ने बताया कि मौजूद नर्सिंग स्टाफ मनीषा ने ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए, लेकिन वे खाली निकले. एक सिलेंडर खोलने में मशक्कत की गई. आरोप है कि वार्ड का सीनियर मेल नर्स ओमाराम अपने कमरे में सो रहा था, उसे जगाया गया लेकिन वह 15 मिनट बाद आया. ड्यूटी पर लगे सीएमओ डॉ. कुलदीप भी नदारद थे. उनकी जगह ईएनटी के डॉक्टर थे. इस आपाधापी में गोपाल की मृत्यु हो गई. परिजनों ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी बनाया. पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया है.
अधीक्षक ने कही जांच की बात : गोपाल के चाचा अशोक कुमार ने बताया कि हमने अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित को फोन कर सूचित किया. वे 10 मिनट में अस्पताल पहुंच गए. उनको पूरा घटनाक्रम बताया गया. डॉ. राजपुरोहित ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर प्रोफेसर डॉ. गणपत चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है, जो भी दोषी होगा उसे सजा मिलेगी. सुबह चार बजे परिजनों ने इस घटनाक्रम का वीडियो बनाया है. जब तक सीनियर स्टाफ आता मरीज की हालत बिगड़ गई. समय रहते वेंटिलेटर बंद होते ही अगर एंबु बैग लगा देते तो शायद नए वेंटिलेटर पर शिफ्ट हो पाता, लेकिन नर्सिंग स्टाफ ये निर्णय नहीं ले पाए. इस दौरान कोई डॉक्टर भी वहां मौजूद नहीं था.