ओइरास (लिस्बन): तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान से भागी और पुर्तगाल में शरण लेने वाली महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की खिलाड़ियों ने राजधानी लिस्बन के बाहरी इलाके में फुटबॉल प्रशिक्षण फिर से शुरू कर दिया है.
यहां के ही दुनिया के मशहूर फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो हैं. अफगान महिला फुटबॉल खिलाड़ी देश छोड़कर पहले पाकिस्तान पहुंचती थीं. लेकिन, अब वह रोनाल्डो के देश में हैं. टीम की सदस्य उम्म अल बनिन रामजी ने छह महीने बाद अपने पहले प्रशिक्षण सत्र के दौरान बताया, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है. मैं फिर से फुटबॉल खेलने में सक्षम होने से बहुत खुश हूं.
उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में खेल के हालात बहुत खराब हैं. मुझे खुशी है कि मैं पुर्तगाल में हूं, क्योंकि क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी यहां हैं. लाल शर्ट और काले रंग का स्कार्फ पहने उम्म अल-बानिन ने कहा, वह क्रिस्टियानो रोनाल्डो से मिलना चाहती हैं.
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अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान छोड़ने के कई प्रयासों के बाद, महिला फुटबॉल टीम ने अंततः पुर्तगाल में जगह बनाईं. फिलहाल टीम के सभी खिलाड़ी लिस्बन के बाहरी इलाके के होटलों में अस्थायी रूप से ठहरे हुए हैं. पुर्तगाली सरकार का कहना है, एक संयुक्त पुर्तगाली-अमेरिकी ऑपरेशन ने महिलाओं को अफगानिस्तान छोड़ने की अनुमति दी है.
तालिबान द्वारा महिलाओं के समाज में उनकी भूमिका का विरोध करने के बाद उम्म अल-बनिन और उनके साथियों ने बाद में अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला किया. 15 अगस्त को सत्ता संभालने के बाद तालिबान ने कहा, महिलाएं फुटबॉल खेल सकती हैं, लेकिन उन्हें सख्त शर्तें माननी होंगी, जिनमें से एक बाहर खेलने पर प्रतिबंध था.
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पुर्तगाली सरकार ने कहा, खिलाड़ी अफगानिस्तान से पुर्तगाल तब पहुंचीं जब दोनों देशों के अधिकारियों ने एक संयुक्त अभियान चलाया. महिला फुटबॉल टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को आतंकवादियों ने धमकी दी थी और कुछ को तालिबान ने मार डाला था. इनमें से कई खिलाड़ी अगस्त के अंत में ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुई थीं.
साल 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में अपने शासन के दौरान, तालिबान ने महिलाओं के खेल में भाग लेने या मैच देखने पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, पिछले 15 साल में, अफगानिस्तान में महिला फुटबॉल टीम का उदय होना शुरू हो गया और इस खेल की लोकप्रियता देश में तब से बढ़ी है.
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डेनमार्क की पूर्व राष्ट्रीय कप्तान खालिदा पोपल, जो अब राष्ट्रीय टीम प्रबंधक हैं. उन्होंने बताया, फुटबॉल महासंघ में विभिन्न स्तरों पर लगभग 3 हजार से 4 हजार महिलाएं और लड़कियां पंजीकृत थीं. यह सब रातों-रात खत्म हो गया, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया.
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जब तक उम्म अल-बानिन, उनकी टीम के साथी और उनके परिवार ने अफगानिस्तान छोड़ा, तब तक उनके पास निजी सामान के नाम पर बहुत कुछ नहीं था, यहां तक कि उनकी खुद की फुटबॉल किट भी नहीं थी, लेकिन टीम के कप्तान फरखुंडा मोहताज ने समस्या का समाधान कर दिया. उन्होंने कनाडा से पुर्तगाल की यात्रा की थी और प्रशिक्षण सत्र से एक दिन पहले आवश्यक खेल उपकरण वितरित किए थे.