लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने विकास कार्यों को लेकर एक अंग्रेजी अखबार में विज्ञापन छपवाया तो बवाल मच गया. विज्ञापन में जब विकास की झूठी तस्वीर सामने आई और वह तस्वीर दूसरे राज्य की निकली तो सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर सरकार विपक्ष के साथ-साथ जनता के निशाने पर ट्रोल होना शुरू हो गई. ट्रोलिंग भी ऐसी की दिनभर टॉप ट्रेंड होती रही. दिनभर सरकार की फजीहत होती रही.
2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल सियासी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं. ऐसे में सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ-साथ अन्य सभी विपक्षी दल भी कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते. एक दिन पहले जब सरकार के कामकाज को लेकर एक अंग्रेजी अखबार के फ्रंट पेज पर विज्ञापन छपा तो जनता और विपक्षी दल सरकार को घेरने लगे. खास बात यह रही इस विज्ञापन में जिस विकास की तस्वीर लगाई गई, वह उत्तर प्रदेश से हजारों किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर की थी.
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कोलकाता में बने फ्लाई ओवर और एक होटल की तस्वीर यूपी के विकास की बताते हुए विज्ञापन छापा गया तो सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों के नाम लिखते हुए विदेशों की फोटो पोस्ट करने का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा. इसमें विकास को लेकर व्यंग कसे जाने लगे और कहा जाता रहा यह सीतापुर, गोरखपुर, बहराइच, कानपुर, लखनऊ, इटावा जालौन जैसे शहरों में विकास इतना तेजी से हो रहा है कि इसकी चर्चा अब विदेशों तक हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करने वाले श्याम रंगीला हो या फिर तमाम अन्य सोशल मीडिया के चेहरे, या फिर जन सामान्य सबकी तरफ से तीखे कमेंट्स किए गए.
सभी ने तमाम शहरों की फोटो पर व्यंग करते हुए पोस्ट किया. किसी ने लिखा गोरखपुर शहर में हाई स्पीड ट्रेन को हरी झंडी दिखाते मुख्यमंत्री. इसके अलावा तमाम विदेशी शहरों की बड़ी-बड़ी चकाचौंध वाली विकास की फोटो को पोस्ट करके यूपी के जिलों के नाम लिखे गए और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कटाक्ष किया गया. कहा गया कि विकास इतना तेजी से हो रहा है कि विदेश के शहर भी फेल हो गए. विपक्षी नेताओं की तरफ से भी सरकार के झूठ की पोल खोलने पर जबरदस्त हमले किए गए. सपा-कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सरकार के विकास की झूठी पोल खोल कर रख दी.
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सोशल मीडिया में लंदन ब्रिज को गोमतीनगर बताया गया तो एफिल टावर को 6जी का टावर बताया. क्योटो को बनारस तो विदेशी तस्वीरों में कहीं लखनऊ का हुसैनाबाद तो कहीं लालबाग के साथ फ़ोटो नजर आ रही है. आसामान चूमती इमारतें सीतापुर की बताई जा रही हैं तो कहीं बलिया की, लखनऊ से गोरखपुर के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ाने की तैयारी की तस्वीर भी योगी आदित्यनाथ के साथ है. लखनऊ की कुकरैल नाले की जगह विदेश की शानदार झील बहते हुए तस्वीर भी सरकार की किरकिरी करा रही है. तमाम तस्वीरों में धन्यवाद योगी जी भी लिखा हुआ है. ऐसी तस्वीरें सरकार की फजीहत कराती रहीं.
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ऐसा पहला मौका था जब ट्विटर पर सरकार के विकास की झूठी तस्वीर सामने आने पर योगी सरकार दिनभर फजीहत का सामना करती रही. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज को लेकर विपक्ष के अलावा जन सामान्य की तरफ से सरकार को ट्रोल करने का काम शुरू हुआ तो सरकारी ही नहीं बीजेपी संगठन के लोग भी चिंतित हो गए. बीजेपी के आईटी सेल की तरफ से भी मोर्चा संभाला गया और उत्तर प्रदेश के जिन शहरों में विकास हुआ और हाईटेक बिल्डिंग बनी उन्हें भी पोस्ट करने का सिलसिला शुरू हुआ, जिससे ट्रोल को रोका जा सके. हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी और सरकार की फजीहत भी हो गई. विकास की झूठी तस्वीर सामने आई तो सरकार चौतरफा हमलों से घिरी नजर आई.
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राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि निश्चित ही एक विज्ञापन से सरकार की फजीहत हुई है. कोलकाता के फ्लाई ओवर को यूपी के विज्ञापन में दिखाया गया, लेकिन इसके लिए न तो मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं न तो यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश को किसी अन्य प्रदेश से विकास की फोटो उधार लेने की जरूरत है. यह अक्षम्य गलती सूचना विभाग के किसी अधिकारी कर्मचारी की हो सकती है. इसकी जबाबदेही तय होनी चाहिए. जहां तक फ्लाई ओवर निर्माण की बात है, विगत चार वर्षों में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं. आश्चर्य है कि राजधानी लखनऊ में ही विगत दिनों जिन फ्लाईओवर का लोकार्पण हुआ, उनको विज्ञापन में दिखाने की जगह जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी कोलकाता क्यों पहुंच गए. इसे समझने की जरूरत है.
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