नई दिल्ली : किसान आंदोलन (Farmers Protest) के कारण बंद दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) को खुलवाने की मांग वाली हरियाणा सरकार (Haryana Government) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शनपाल समेत 43 किसान संगठनों को नोटिस (Notice issued to 43 farmer organizations) जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस और निर्देश पर संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश किसान महापंचायत के संदर्भ में आया है. किसान पंचायत और संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) दोनों अलग-अलग है. पहली बात मैं यह स्पष्ट कर दूं कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई ताल्लुक नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा कभी कोर्ट नहीं गया है. हमने तो पहले दिन से कृषि कानून (Agriculture Laws) का विरोध करने के लिए सड़क को चुना है.
योगेंद्र यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह कृषि कानून तो है ही नहीं? इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि हाथ जोड़कर वे कहना चाहते हैं कि कानून है, लेकिन इस पर स्टे लगा हुआ है. कोर्ट और जज साहब इसकी जांच कर सकते हैं. योगेंद्र यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अनाज की खरीद फरोख्त तो राज्य सरकार करती है तो फिर विरोध केंद्र के खिलाफ क्यों? कोर्ट की टिप्पणी पर योगेंद्र यादव का कहना है कि चूंकि नीति केंद्र सरकार बनाती हैं इसीलिए विरोध केंद्र के प्रति है.
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इस तमाम केस के बारे में कोर्ट ने कहा कि हम पूरे मसले की जांच कर रहे हैं तो जल्दीबाजी क्यों की जा रही है? इस पर योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav Reaction)) ने कहा कि कृषि कानून में निहित तीनों बिंदुओं पर किसानों को जो आपत्ति है उन आपत्तियों पर पिछले एक साल में कोई सुनवाई नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट को तीनों कानूनों की संवैधानिकता की जांच करनी चाहिए.