श्रीनगर : टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार दिए गए प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) को एनआईए की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसको लेकर राजनीति दलों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. फैसले पर पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) ने सजा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
पीएजीडी के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने अपने बयान में कहा है कि यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा दुर्भाग्यपूर्ण और शांति के प्रयासों को झटका है. उन्होंने कहा कि हमें डर है कि इससे क्षेत्र में अनिश्चितताएं और बढ़ेंगी और इससे अलगाव और अलगाववादी भावनाओं को और बढ़ावा मिलेगा. एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाया है लेकिन न्याय नहीं. इस बीच हमारा सुझाव है कि यासीन मलिक को इस फैसले का विरोध करने के लिए सभी कानूनी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए.
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#WATCH | Yasin Malik has been awarded life imprisonment under section 17 UAPA, and a fine of Rs 10 lakhs, sentenced to 10 years of imprisonment under 120B & a fine of Rs 10,000 and other sections of IPC and UAPA...: Advocate Akhand Pratap Singh, court-appointed amicus pic.twitter.com/rn3HDKp729
— ANI (@ANI) May 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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वहीं अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि यासीन मलिक को यूएपीए की धारा 17 के तहत आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये का जुर्माना के अलावा 120बी के तहत 10 साल कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
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#WATCH | I honour whatever punishment the judges have awarded. They know better what punishment should be given in such a case... I'm 100% sure justice will be given to me...: Nirmal Khanna, wife of IAF officer Ravi Khanna, a victim of a terror attack carried out by Yasin Malik pic.twitter.com/hgcgRx1PnS
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यासीन मलिक द्वारा किए गए आतंकी हमले के शिकार हुए भारतीय वायुसेना अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने कहा है कि यह उसके (यासीन मलिक) द्वारा किए गए आतंकी हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय है. कुछ लोग संतुष्ट हो सकते हैं लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि मैं अपने मामले में उनके लिए मौत की सजा चाहती हूं. उन्होंने कहा किजजों ने जो भी सजा दी है, मैं उसका सम्मान करती हूं. वे बेहतर जानते हैं कि ऐसे मामले में क्या सजा दी जानी चाहिए. मुझे 100% यकीन है कि मुझे न्याय मिलेगा.
भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने किया यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा का स्वागत : जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा का स्वागत करते हुए कहा, वह लोगों और देश के खिलाफ किए गए पापों के लिए इसके हकदार थे.रैना ने फैसले के खिलाफ बोलने के लिए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधते हुए कहा, आतंकवादी किसी के दोस्त नहीं हैं, उनके द्वारा हजारों मुसलमानों के साथ-साथ पंडितों और सिखों जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा मार दिया गया था.
रैना ने कहा कि उन्होंने (मलिक) ने खुद को एनआईए अदालत के समक्ष दोषी ठहराया, जिसने अब उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है. उन्होंने कहा कि हम न्यायपालिका के फैसले का स्वागत करते हैं जिसने हमेशा निष्पक्ष तरीके से काम किया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में शायद ही कोई परिवार होगा जो आतंकवाद से प्रभावित न हुआ हो. वह (मलिक) पाकिस्तान और उसके प्रायोजित आतंकवाद के हमदर्द थे. उन्होंने लोगों और देश के खिलाफ पाप किए हैं. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं की आलोचना की और कहा, वे मलिक के साथ सहानुभूति रखते हैं, इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि आतंकवादी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में मुसलमानों की निर्दोष हत्याओं में शामिल थे.रैना ने कहा कि श्रीनगर में चंद लोगों के द्वारा विरोध किए जाने को पूरे जम्मू कश्मीर का नहीं समझा जाना चाहिए.
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गिरिराज सिंह बोले- कोर्ट ने अपना काम किया : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा दिए जाने पर कहा है कि कोर्ट ने अपना काम किया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो जैसा करता है वैसा भरता है. यासीन मलिक ने निर्दोष कश्मीरी पंडितों की निशृंस हत्या की उसकी जितनी निंदा की जाए कम है.
हुर्रियत ने मलिक को सजा दिए जाने की निंदा की : मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत द्वारा अलगाववादी नेता मोहम्मद यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने की निंदा की. हुर्रियत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'यासीन मलिक ने संघर्ष के समाधान के लिए 1994 से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीका अपनाया। वह कश्मीर समस्या से जुड़े पक्षों- जम्मू कश्मीर के लोग, भारत और पाकिस्तान- के बीच संवाद और समझौते के पक्षधर हैं. वह लगातार इसके समाधान के लिए काम कर रहे हैं.'
बयान में कहा गया कि मलिक ने वर्ष 2000 से लेकर अब तक नई दिल्ली और इस्लामाबाद में विभिन्न सरकारों के दौर में कश्मीर पर हुए सभी समझौतों में सक्रियता से भाग लिया. अलगाववादी संगठन ने कहा, 'इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार किया गया, तिहाड़ भेजा गया और अब दमनकारी कानूनों के तहत पैदा किये गए मामलों में दोषी ठहराया गया है. जम्मू कश्मीर पर उनकी राजनीतिक सोच और लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें सजा दी जा रही है.'