ETV Bharat / bharat

World Smallest Horse: दुनिया का सबसे छोटा घोड़ा, जिसकी उम्र 45 साल और हाइट महज ढाई से 3 फीट है - Marwari Horse Show begins in Jodhpur

आज हम आपको दुनिया के सबसे छोटे घोड़े के बारे में बताएंगे. जिसकी हाइट ढाई से तीन फीट और उम्र 45 साल (World smallest horse) है.

World Smallest Horse in Jodhpur
World Smallest Horse in Jodhpur
author img

By

Published : Feb 17, 2023, 7:41 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 9:04 PM IST

दुनिया का सबसे छोटा घोड़ा

जोधपुर. मारवाड़ होर्स शो में पहली बार शुक्रवार को दुनिया के सबसे छोटे घोड़े फलाबेला का प्रदर्शन किया गया. जिसकी हाइट महज ढाई से तीन फीट रही और उसे देखने के लिए लोगों का रेला लग गया. फलाबेला नस्ल के घोड़ों की हाइट ऐसे भी कम ही होती है, लेकिन कई बार तो इनसे अधिक हाइट स्वान की होती है. सबसे खास बात यह है कि इस घोड़े की औसत आयु 45 साल है, जो सामान्य घोड़ों से कहीं अधिक है. फलाबेला नस्ल के इस घोड़े को मिनिएचर हॉर्स भी कहा जाता है, जो घोड़ों का छोटा रूप है.

ज्यादातर इनका उपयोग केवल हॉर्स शो में ही होता है और ये मूल रुप से अर्जेंटीना में पाए जाते हैं. लेकिन इसके अलावा भी कई यूरोपीय देशों में ये घोड़े आपको देखने को मिल सकते हैं. वहीं, इस बार जोधपुर में आयोजित आठवें हार्स शो में एक अरबी घोड़ा भी शामिल हुआ है. इसके बावजूद यहां मुख्य रुप से मारवाड़ नस्ल के घोड़े ही शो का आकर्षण हैं. अबकी करीब 150 मारवाड़ी घोड़ों को शो में शामिल किया गया है.

सूर्य नगरी जोधपुर में शुक्रवार से दो दिवसीय ऑल इंडिया मारवाड़ हार्स शो का आगाज हुआ. ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी और जोधपुर व मारवाड़ी हॉर्स बुक रजिस्ट्रेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में महाराजा गजसिंह स्पोर्ट्स फाउंडेशन पोलो ग्राउंड में इस शो का रंगारंग आगाज हुआ. जिसकी शुरुआत पूर्व नरेश गजसिंह ने अश्वदेव रेवंत की पूजा अर्चना से की. शो में मारवाड़ी नस्ल के पूरे देश से 150 से अधिक घोड़े शामिल हुए हैं.

रंगारंग हुआ मार्चपास्टः उद्घाटन समारोह के अवसर पर अश्वों के साथ मार्च पास्ट, सामूहिक गैर लोक नृत्य लंगा और मांगणियार लोक कलाकारों की लोक गीतों की स्वर लहरियों के साथ ही मेहरानगढ़ बैंड, सुंदर बैंड और बीएसएफ के कैमल बैंड ने अपनी स्वरलहरियां बिखेरी. इस मौके पर पूर्व नरेश गजसिंह ने बताया कि इस शो के शुरू होने से अश्व पालकों को काफी लाभ हुआ है. साथ ही मारवाड़ी नस्ल के घोड़े काफी लोकप्रिय भी हुए हैं. जिनकी अब अच्छी कीमत मिलने लगी है.

इसे भी पढ़ें - मारवाड़ी हॉर्स शो का आगाज, दो हजार घोड़े होंगे शामिल...लुभाएगी मारवाड़ी घोड़े की रेवा चाल

नाक और कान है पहचान - अश्वपालन काफी महंगा शौक है. घोड़े के छोटे बच्चे को संतान की तरह पालना पड़ता है. प्रतापगढ़ से अपने 27 माह के घोड़े के साथ आए रिजवान ने बताया कि वो हर दिन डेढ़ से दो घंटे उसे देते हैं. अभी वो बच्चा है और उसकी हाइट 6 फीट से ज्यादा और रंग काला होने से वो काफी सुंदर दिखता है. मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की पहचान की बात करते हुए रिजवान बताया कि आठ से दस नस्ल होती हैं और इनकी पहचान इनके नाक और कान से की जाती है. इसी तरह से इनके नाक की हड्डी के उभार से भी इन्हें पहचाना जाता है.

कभी कोल माइंस में काम आते थे फलाबेला - फलाबेला और अरबियन घोड़े लेकर आए पंजाब के बठिंडा निवासी हरप्रितसिंह सिद्धू ने बताया कि फलाबेला ब्रीड आज से दो सौ साल पहले पश्चिमी देशों की कोयले की खदानों में काम आती थी. खदानों का मुंह छोटा होने से इन घोड़ों पर कोयला लाद कर निकाला जाता था. उस समय इनकी कदकाठी मजबूत हुआ करती थी. धीरे-धीरे मशीनें आने के बाद इनका उपयोग बंद हो गया. अब ये सिर्फ शो में ही प्रदर्शन के लिए आते हैं. हरप्रीत ने बताया कि उनका भाई आयरलैंड में डॉक्टर है. जहां से वो तीन फलाबेला लाए हैं. अरबियन भी वहीं से लेकर आए हैं. उन्होंने कहा कि अभी घोड़ों पर कस्टम व अन्य ड्यूटी बहुत लगती है. ऐसे में हमारा प्रयास होता है कि हम अरबियन नस्ल के घोड़ों को ही ज्यादा लगाए.

केंद्रीय मंत्री हुए शामिल - शुक्रवार शाम को हुए हॉर्स शो में केंद्रीय पशुपालन डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोतम रुपाला भी शामिल हुए. रुपाला ने पूर्व नरेश गजसिंह के मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित होने वाले इस शो की तारीफ की.

दुनिया का सबसे छोटा घोड़ा

जोधपुर. मारवाड़ होर्स शो में पहली बार शुक्रवार को दुनिया के सबसे छोटे घोड़े फलाबेला का प्रदर्शन किया गया. जिसकी हाइट महज ढाई से तीन फीट रही और उसे देखने के लिए लोगों का रेला लग गया. फलाबेला नस्ल के घोड़ों की हाइट ऐसे भी कम ही होती है, लेकिन कई बार तो इनसे अधिक हाइट स्वान की होती है. सबसे खास बात यह है कि इस घोड़े की औसत आयु 45 साल है, जो सामान्य घोड़ों से कहीं अधिक है. फलाबेला नस्ल के इस घोड़े को मिनिएचर हॉर्स भी कहा जाता है, जो घोड़ों का छोटा रूप है.

ज्यादातर इनका उपयोग केवल हॉर्स शो में ही होता है और ये मूल रुप से अर्जेंटीना में पाए जाते हैं. लेकिन इसके अलावा भी कई यूरोपीय देशों में ये घोड़े आपको देखने को मिल सकते हैं. वहीं, इस बार जोधपुर में आयोजित आठवें हार्स शो में एक अरबी घोड़ा भी शामिल हुआ है. इसके बावजूद यहां मुख्य रुप से मारवाड़ नस्ल के घोड़े ही शो का आकर्षण हैं. अबकी करीब 150 मारवाड़ी घोड़ों को शो में शामिल किया गया है.

सूर्य नगरी जोधपुर में शुक्रवार से दो दिवसीय ऑल इंडिया मारवाड़ हार्स शो का आगाज हुआ. ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी और जोधपुर व मारवाड़ी हॉर्स बुक रजिस्ट्रेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में महाराजा गजसिंह स्पोर्ट्स फाउंडेशन पोलो ग्राउंड में इस शो का रंगारंग आगाज हुआ. जिसकी शुरुआत पूर्व नरेश गजसिंह ने अश्वदेव रेवंत की पूजा अर्चना से की. शो में मारवाड़ी नस्ल के पूरे देश से 150 से अधिक घोड़े शामिल हुए हैं.

रंगारंग हुआ मार्चपास्टः उद्घाटन समारोह के अवसर पर अश्वों के साथ मार्च पास्ट, सामूहिक गैर लोक नृत्य लंगा और मांगणियार लोक कलाकारों की लोक गीतों की स्वर लहरियों के साथ ही मेहरानगढ़ बैंड, सुंदर बैंड और बीएसएफ के कैमल बैंड ने अपनी स्वरलहरियां बिखेरी. इस मौके पर पूर्व नरेश गजसिंह ने बताया कि इस शो के शुरू होने से अश्व पालकों को काफी लाभ हुआ है. साथ ही मारवाड़ी नस्ल के घोड़े काफी लोकप्रिय भी हुए हैं. जिनकी अब अच्छी कीमत मिलने लगी है.

इसे भी पढ़ें - मारवाड़ी हॉर्स शो का आगाज, दो हजार घोड़े होंगे शामिल...लुभाएगी मारवाड़ी घोड़े की रेवा चाल

नाक और कान है पहचान - अश्वपालन काफी महंगा शौक है. घोड़े के छोटे बच्चे को संतान की तरह पालना पड़ता है. प्रतापगढ़ से अपने 27 माह के घोड़े के साथ आए रिजवान ने बताया कि वो हर दिन डेढ़ से दो घंटे उसे देते हैं. अभी वो बच्चा है और उसकी हाइट 6 फीट से ज्यादा और रंग काला होने से वो काफी सुंदर दिखता है. मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की पहचान की बात करते हुए रिजवान बताया कि आठ से दस नस्ल होती हैं और इनकी पहचान इनके नाक और कान से की जाती है. इसी तरह से इनके नाक की हड्डी के उभार से भी इन्हें पहचाना जाता है.

कभी कोल माइंस में काम आते थे फलाबेला - फलाबेला और अरबियन घोड़े लेकर आए पंजाब के बठिंडा निवासी हरप्रितसिंह सिद्धू ने बताया कि फलाबेला ब्रीड आज से दो सौ साल पहले पश्चिमी देशों की कोयले की खदानों में काम आती थी. खदानों का मुंह छोटा होने से इन घोड़ों पर कोयला लाद कर निकाला जाता था. उस समय इनकी कदकाठी मजबूत हुआ करती थी. धीरे-धीरे मशीनें आने के बाद इनका उपयोग बंद हो गया. अब ये सिर्फ शो में ही प्रदर्शन के लिए आते हैं. हरप्रीत ने बताया कि उनका भाई आयरलैंड में डॉक्टर है. जहां से वो तीन फलाबेला लाए हैं. अरबियन भी वहीं से लेकर आए हैं. उन्होंने कहा कि अभी घोड़ों पर कस्टम व अन्य ड्यूटी बहुत लगती है. ऐसे में हमारा प्रयास होता है कि हम अरबियन नस्ल के घोड़ों को ही ज्यादा लगाए.

केंद्रीय मंत्री हुए शामिल - शुक्रवार शाम को हुए हॉर्स शो में केंद्रीय पशुपालन डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोतम रुपाला भी शामिल हुए. रुपाला ने पूर्व नरेश गजसिंह के मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित होने वाले इस शो की तारीफ की.

Last Updated : Feb 17, 2023, 9:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.