हैदराबाद : रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नाम की एक संस्था ने वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट किसी देश में मीडिया और प्रेस को दी गई स्वतंत्रता को निर्धारित करती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 180 देशों में भारत 142वें स्थान पर है.
अफ्रीकी देश इरिट्रिया इस सूची में सबसे नीचे है. वहीं चीन (177), उत्तर कोरिया (179) और तुर्मेकिस्तान (178) जैसे देश भारत से भी नीचे हैं. डेटा से पता चलता है कि एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में पत्रकारों के लिए संवेदनशील मामलों पर रिपोर्टिंग करना मुश्किल हो रहा है.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर ने कहा कि दुष्प्रचार की वैक्सीन पत्रकारिता है. दुर्भाग्य से, इसका उत्पादन और वितरण अक्सर राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और कभी-कभी सांस्कृतिक कारणों से अवरुद्ध हो जाता है.
रिपोर्ट से पता चला कि पत्रकारिता 73 देशों में पूरी तरह से अवरुद्ध या गंभीर रूप से बाधित है और 59 अन्य देशों में प्रभावित है.
शीर्ष पांच देश
रैंक | देश |
1 | नॉर्वे |
2 | फिनलैंड |
3 | स्वीडेन |
4 | डेनमार्क |
5 | कोस्टा रीका |
रिपोर्ट के मुताबित एशिया प्रशांत क्षेत्र में, भारत म्यांमार से भी पीछे हो गया, जो 140वें स्थान पर है. वहीं श्रीलंका 127वें और नेपाल 106वें स्थान पर पहुंच गया है. म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तपलट के बाद से वहां की प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठे हैं.
भारत के हालात
2020 में भारत में चार पत्रकारों की कथित रूप से उनकी पत्रकारिता के कारण हत्या हो गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकारों के काम करने के लिए भारत सबसे खतरनाक देशों में से एक हैै. उनपर कई तरह का खतरा मंडराता रहता है. इनमें पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा किए या कराए गए हमले शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से हालात और खराब हो गए हैं. इसमें कहा गया है कि एक विशेष विचारधारा का समर्थन करने वालों का विरोध करने वाले या उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों के खिलाफ सोशिल मीडिया पर संगठित अभियान चलाए जाते हैं.
महिला पत्रकारों के खिलाफ अपराध के भी कई मामले भी सामने आए हैं. यही नहीं, सत्ता विरोधी पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया जाता है, जिसके तहत कई पत्रकारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत 'देशद्रोह' का मामला चलाया जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार 2020 में सरकार ने कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौरान कई पत्रकारों के खिलाफ सिर्फ इसलिए कार्रवाई की क्योंकि उनके द्वारा दी गई जानकारी सरकारी तंत्र से अलग थी. कश्मीर में तो हालात और भी खराब हैं, जिसके कारण कश्मीर टाइम्स जैसे अखबार बंद हो गए.
2021 की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि पत्रकारिता दुष्प्रचार की वैक्सीन है. 180 देशों में सिर्फ 12 देश ऐसे हैं, जहा सुरक्षित रहते हुए पत्रकारिता करने का माहौल है.