हैदराबाद : आज सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर बहुत ही उपयोगी साबित हो रहा है. बिना इसके कोई भी संगठन काम करने में असमर्थ सा है. कंप्यूटर सीखने की प्रक्रिया में हाल के वर्षों में काफी तेजी आई है. यही वजह है कि 2 दिसंबर को विश्व में 'विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस' मनाया जाता है. इस दिवस को शुरू करने का उद्देश्य पूरी तरह से कंप्यूटर और तकनीक के बारे में लोगों को जागरूक करना था. जो अभी तक पर्याप्त लोगों तक नहीं पहुंचा है. वहीं, जागरुकता फैलाने के कुछ सबसे सामान्य तरीके सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों पर कंप्यूटर का विज्ञापन कर रहे हैं, जो इसके लाभ और उपयोग के बारे में लोगों को जानते होंगे.
विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस का इतिहास
भारतीय प्रोफेशनल कॉरपोरेशन एनआईआईटी(NIIT) द्वारा शुरू किए गए विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस को 2001 में मान्यता प्रदान की गई थी. बता दें, विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस NIIT के 20वें स्मरणोत्सव को दर्शाता है. दुनिया में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए हर साल 2 दिसंबर को विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है. ब्रिटिश गणितज्ञ और मैकेनिकल इंजीनियर चार्ल्स बैबेज ने दुनिया के पहला कंप्यूटर का आविष्कार किया. वहीं, इनके विचारों ने कंप्यूटर के आविष्कार के लिए रास्ता बनाने में मदद की थी.
दुनिया में कंप्यूटर का महत्व
आज के समय में कंप्यूटर का हर क्षेत्र में जबरदस्त योगदान है. इसके साथ-साथ वर्तमान समय में यह लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है. समय-समय पर कंप्यूटर की नई-नई तकनीक से कई विकास भी हुए हैं. जो सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक है. आज कंप्यूटर तेज और आसानी से सुलभ हो जाते हैं और हम लोगों को पलक झपकते ही सभी जरूरी सूचना उपलब्ध कराते हैं. कंप्यूटर मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं और इस प्रकार इनका प्रसार किया जाना चाहिए कि लोग इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें और लेटेस्ट तकनीक के साथ अपने जीवन का पोषण कर सकें. हालांकि, आमतौर पर सभी छात्रों को इसकी जरूरत है. धीरे-धीरे कंप्यूटर की आवश्यकता भी बढ़ रही है.
विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस का महत्व क्या है
- विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस दुनिया में डिजिटल विभाजन को कम करने पर केंद्रित है.
- विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस वंचित समुदायों को भी डिजिटल पहुंच प्रदान करता है.
- विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस डिजिटल जागरूकता को बढ़ावा भी देता है.
- विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस सभी आयु वर्ग के लिए कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी के ज्ञान पर केंद्रित है
आज की पीढ़ी में कंप्यूटर एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. छोटी गणितीय समस्या को हल करने से लेकर दुनिया के सबसे बड़े मुद्दों पर शोध करने के लिए कंप्यूटर ही सब कुछ करता है. विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस को विशेष रूप से घोषित किया जाता है और दुनिया में डिजिटलीकरण के महत्व को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है.
विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस के रोचक तथ्य
- हर साल 2 दिसंबर को विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है.
- द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, कंप्यूटर साक्षरता नहीं थी.
- चार्ल्स बैबेज ने दुनिया का पहला कंप्यूटर बनाया.
- 1930 के उत्तरार्ध में प्रोग्रामेबल कंप्यूटर पेश किए गए थे.
- उद्यमशीलता को डिजिटल साक्षरता द्वारा बढ़ावा दिया जाता है.
- विश्व की कुल आबादी का 55% हिस्सा होने के बावजूद, एशिया में केवल 49% इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं.
- उत्तरी अमेरिका में 95% इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं जबकि उनके पास वैश्विक जनसंख्या का केवल 4.8% है.
- विश्व कंप्यूटर साक्षरता कंप्यूटर और उसके संचालन में प्रोग्रामिंग की समझ पैदा करता है.
भारत में डिजिटल डिवाइड
- एनएसएसओ(NSSO) के आंकड़ों के अनुसार केवल 4.4% ग्रामीण परिवारों और 23.4% शहरी परिवारों के पास कंप्यूटर है. जबकि 42% शहरी घरों में इंटरनेट कनेक्शन है. वहीं, ग्रामीण घरों में केवल 14.9% तक ही यह उपलब्ध है.
2. 2019 में नील्सन की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि 70% ग्रामीण आबादी के पास सक्रिय इंटरनेट की सुविधा नहीं है.
3. एनएसएसओ के 75वें दौर के राष्ट्रीय सर्वेक्षण (2017-2018) के आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पुरुष और महिला आबादी के बीच कंप्यूटर संचालित करने और इंटरनेट का उपयोग करने की क्षमता में अंतर है.
शहरी-ग्रामीण विभाजन
लॉकडाउन के दौरान भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को न केवल शिक्षा में उजागर किया गया है, बल्कि टेलीमेडिसिन, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, ई-गवर्नेंस हर जगह स्पष्ट है, जो सभी के माध्यम से ही सुलभ हो गया. लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट से ऑनलाइन क्लासरूम, वित्तीय लेनदेन और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाओं के साथ-साथ फोन, टैबलेट और कंप्यूटर को संचालित करने की क्षमता की आवश्यकता होती है.
शिक्षा पर 2017-'18 की राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, केवल 24% भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है. जबकि भारत की 66% आबादी गांवों में रहती है लेकिन केवल 15% से अधिक ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच है. वहीं शहरी परिवारों में यह आंकड़ा 42% है.
- वास्तव में, पांच से 24 वर्ष की आयु के सदस्यों वाले सभी परिवारों में से केवल 8% के पास कंप्यूटर और इंटरनेट दोनों कनेक्शन हैं. वहीं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण परिभाषा के मुताबिक एक उपकरण या इंटरनेट सुविधा वाले घर का यह मतलब नहीं है कि कनेक्शन और उपकरण उस परिवार के स्वामित्व में हैं.
- डिजिटल विभाजन वर्ग, लिंग, क्षेत्र या निवास स्थान में स्पष्ट है. इनमें सबसे गरीब 20% घरों में, केवल 2.7% के पास कंप्यूटर और 8.9% इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंच है. वहीं शीर्ष 20% परिवारों के मामले में यह अनुपात 27.6% और 50.5% है.
- वहीं अंतरराज्यीय मामलों में भी स्थिति कुछ इसी प्रकार की है. उदाहरण के लिए, कंप्यूटर तक पहुंच रखने वाले परिवारों का अनुपात बिहार में 4.6 फीसदी तो केरल में 23.5 फीसदी और दिल्ली में 35 फीसदी है.
- इसी प्रकार इंटरनेट के मामले में दिल्ली, केरल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों में, 40% से अधिक घरों में कनेक्शन है. जबकि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह अनुपात 20% से कम है.