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विश्वबैंक ने श्रमिकों की मदद के लिए भारत को 50 करोड़ डॉलर ऋण स्वीकृत किया - श्रमिकों की मदद के लिए

विश्वबैंक ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित भारत के असंगठित क्षेत्र के मजदूर वर्ग की मदद के लिए बुधवार को 50 करोड़ डॉलर यानी 3,717.28 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी है.

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Published : Jun 30, 2021, 9:17 PM IST

नई दिल्ली : भारत के असंगठित क्षेत्र के मजदूर वर्ग की मदद के लिए बुधवार को 50 करोड़ डॉलर के ऋण को स्वीकृति के बाद विश्वबैंक ने एक बयान में कहा कि यह ऋण महामारी, भविष्य की स्थिति और आपदा के प्रभावों से निपटने में राज्यों को मजबूती देगा.

विश्वबैंक के अनुसार 50 करोड़ डॉलर ऋण में से 11.25 करोड़ डॉलर रियायती ऋण देने वाली उसकी एजेंसी अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) की ओर से दिया जाएगा. शेष 38.75 करोड़ डॉलर का कर्ज पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (विश्वबैंक) द्वारा मंजूर किया गया है. बैंक के अनुसार यह ऋण 18.5 वर्षो में लौटाना है. इसमें पांच वर्ष की छूट की अवधि शामिल है.

विश्वबैंक ने कहा कि कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से गरीब और कमजोर परिवारों की मदद के लिए भारत के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूत करने की दिशा में वह अबतक 1.65 अरब डॉलर यानी 12,264.54 करोड़ रुपये का ऋण दे चूका है. उसने कहा कि इस राशि का उपयोग शहर के अनौपचारिक श्रमिकों, अस्थायी कर्मियों और प्रवासी मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम में किया जाएगा.

भारत में विश्वबैंक के निदेशक जुनैद अहमद ने कहा कि जब देश आर्थिक बाधाओं और कोविड महामारी का सामना कर रहे हैं, तब इस रकम का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा में निवेश करके अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका के साधनों का निर्माण करना है. यह भारत में विश्वबैंक द्वारा समर्थित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का व्यापक उद्देश्य है.

यह भी पढ़ें-कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाई

रेहड़ी पटरी पर सामान बेचने वाले भारत की शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं. यह कार्यक्रम ऐसे लोगों को कम धंधे के लिए 10,000 रुपये तक के ऋण सहायता देने के लिए है. इस कार्यक्रम से करीब पचास लाख रेहड़ी पटरी वालों को सहायता मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत के असंगठित क्षेत्र के मजदूर वर्ग की मदद के लिए बुधवार को 50 करोड़ डॉलर के ऋण को स्वीकृति के बाद विश्वबैंक ने एक बयान में कहा कि यह ऋण महामारी, भविष्य की स्थिति और आपदा के प्रभावों से निपटने में राज्यों को मजबूती देगा.

विश्वबैंक के अनुसार 50 करोड़ डॉलर ऋण में से 11.25 करोड़ डॉलर रियायती ऋण देने वाली उसकी एजेंसी अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) की ओर से दिया जाएगा. शेष 38.75 करोड़ डॉलर का कर्ज पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक (विश्वबैंक) द्वारा मंजूर किया गया है. बैंक के अनुसार यह ऋण 18.5 वर्षो में लौटाना है. इसमें पांच वर्ष की छूट की अवधि शामिल है.

विश्वबैंक ने कहा कि कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से गरीब और कमजोर परिवारों की मदद के लिए भारत के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूत करने की दिशा में वह अबतक 1.65 अरब डॉलर यानी 12,264.54 करोड़ रुपये का ऋण दे चूका है. उसने कहा कि इस राशि का उपयोग शहर के अनौपचारिक श्रमिकों, अस्थायी कर्मियों और प्रवासी मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम में किया जाएगा.

भारत में विश्वबैंक के निदेशक जुनैद अहमद ने कहा कि जब देश आर्थिक बाधाओं और कोविड महामारी का सामना कर रहे हैं, तब इस रकम का उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा में निवेश करके अर्थव्यवस्थाओं और आजीविका के साधनों का निर्माण करना है. यह भारत में विश्वबैंक द्वारा समर्थित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का व्यापक उद्देश्य है.

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रेहड़ी पटरी पर सामान बेचने वाले भारत की शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं. यह कार्यक्रम ऐसे लोगों को कम धंधे के लिए 10,000 रुपये तक के ऋण सहायता देने के लिए है. इस कार्यक्रम से करीब पचास लाख रेहड़ी पटरी वालों को सहायता मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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