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हादसे ने बना दिया लाचार : हौसला अब भी पैरा ओलंपिक जीतने का, पिंटू के जज्बे को सलाम

ये कहानी अजब-गजब हौसले की है. पिंटू गहलोत ने 21 साल पहले हादसे में एक हाथ खो दिया था. फिर उन्होंने पैरा स्विमिंग शुरू की और कई गोल्ड जीते. 2 साल पहले पिंटू फिर हादसे का शिकार हुए और उनका आधा हाथ काटना पड़ा. पिंटू फिर भी तैराकी कर रहे हैं और मार्च में होने वाली पैरा स्विमिंग की नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी में लगे हैं.

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Published : Feb 23, 2021, 7:34 AM IST

Updated : Feb 23, 2021, 2:16 PM IST

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जोधपुर : अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत आत्मनिर्भरता को इंगित करती है. लेकिन आत्मनिर्भर होने के लिए हाथों की नहीं, बल्कि जज्बे और जुनून की जरूरत होती है. ये कहानी है जोधपुर के एक ऐसे पैरा स्विमर पिंटू गहलोत की, जिसकी जिंदगी को दो हादसों ने थामने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने हर बार खुद से यही कहा कि पिंटू फिर भी तैरेगा... और जीत की जिद में पिंटू पूल में पसीना बहा रहे हैं.

तमाम बाधाओं के बावजूद पिंटू गहलोत पैरा स्विमिंग चैम्पियन बनने की जद्दोजहद में लगे हैं. इस बार अगर उन्हें सफलता मिली, तो राज्य सरकार से नौकरी मिल जाएगी. जोधपुर के तैराक पिंटू गहलोत इन दिनों आधे हाथ से तैराकी कर रहे हैं और पूल में पसीना बहा रहे हैं.

पिंटू के साथ पहला हादसा

36 वर्षीय पिंटू के साथ पहला हादसा 1998 में हुआ. वे एक बस में सवार थे. बस की ट्रक से भिड़ंत हो गई और इस हादसे में पिंटू का एक हाथ कंधे से कट गया. लोग कहने लगे कि पिंटू अब कुछ नहीं कर सकता. लेकिन पिंटू ने तय किया कि वह बेचारगी का तमगा लेकर नहीं जिएगा.

नहीं मानी हार.

पिंटू ने तैराकी को अपना शौक बनाया. पूल में जब वे एक हाथ से तैरते, तो अच्छे-अच्छे तैराक आवाक रह जाते. जल्द ही तैराकी में वे पारंगत हो गए. शौकिया तैराकी से वे तैराकी के खेल में उतर गए. पूल को उन्होंने कई बार कई प्रतियोगिताओं में एक हाथ से तैरकर पार किया और मेडल पर मेडल जीतने लगे. बतौर पैरा स्विमर पिंटू ने कई प्रतियोगिताएं जीतीं.

2016 में नेशनल चैंपियनशिप भी पिंटू की झोली में आ गई. इसके साथ-साथ पिंटू ने बच्चों को स्विमिंग की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया. सब कुछ ठीक चल रहा था. एक हाथ और पूरे हौसले से जी रहे पिंटू के साथ फिर 2019 में दूसरा हादसा हो गया.

पिंटू के साथ दूसरा हादसा

2019 में पूल की सफाई करते समय लोहे के स्टैंड में करंट आने से पिंटू बुरी तरह झुलसे. उपचार के दौरान उनके करंट लगे हाथ को आधा काटना पड़ा. यह वही हाथ था जिसकी बदौलत पिंटू अपने सपने साकार कर रहे थे.

पढ़ें- जज को है पुलिस से जान का खतरा, अधीनस्थों पर भी गंभीर आरोप

पिंटू का जीवन एक बार फिर मायूसी के अंधेरों में डूबने लगा. लोगों ने फिर पिंटू पर तरस खाना शुरू कर दिया. फिर वही सवाल उठने लगा कि पिंटू अब क्या करेगा. लेकिन इस बार भी पिंटू ने अपने हौसले को मरने नहीं दिया. उन्होंने अपने आप से वादा किया कि पिंटू फिर भी तैरेगा.

कोरोना के अनलॉक के बाद पिंटू ने फिर से स्विमिंग पूल का रुख किया और आधे हाथ से ही तैरना शुरू किया. अब 20 से 22 मार्च को बेंगलुरु में आयोजित होने वाली पैरा स्विमिंग की नेशनल चैंपियनशिप के लिए वे तैयार हैं. पिंटू कहते हैं कि पैरा ओलिंपिक में भाग लेना उनका लक्ष्य है, जिसके लिए वे हमेशा कोशिश करते रहेंगे.

2016 के बाद मिलने लगी नौकरी

राजस्थान सरकार ने वर्ष 2016 के बाद नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सीधी नौकरी देने की व्यवस्था की है. पिंटू ने पैरा शिविर में 2016 में चैंपियनशिप जीती थी. ऐसे में उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया. अब मार्च में होने वाली चैंपियनशिप की तैयारी में वे जुटे हुए हैं. अगर उन्हें गोल्ड मेडल मिलता है, तो उन्हें राज्य सरकार से नौकरी मिल जाएगी. जिससे वे अपने परिवार का पालन कर सकेंगे.

ये हैं पिंटू की सफलताएं

पिंटू की सफलता.
पिंटू की सफलता.

जोधपुर : अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत आत्मनिर्भरता को इंगित करती है. लेकिन आत्मनिर्भर होने के लिए हाथों की नहीं, बल्कि जज्बे और जुनून की जरूरत होती है. ये कहानी है जोधपुर के एक ऐसे पैरा स्विमर पिंटू गहलोत की, जिसकी जिंदगी को दो हादसों ने थामने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने हर बार खुद से यही कहा कि पिंटू फिर भी तैरेगा... और जीत की जिद में पिंटू पूल में पसीना बहा रहे हैं.

तमाम बाधाओं के बावजूद पिंटू गहलोत पैरा स्विमिंग चैम्पियन बनने की जद्दोजहद में लगे हैं. इस बार अगर उन्हें सफलता मिली, तो राज्य सरकार से नौकरी मिल जाएगी. जोधपुर के तैराक पिंटू गहलोत इन दिनों आधे हाथ से तैराकी कर रहे हैं और पूल में पसीना बहा रहे हैं.

पिंटू के साथ पहला हादसा

36 वर्षीय पिंटू के साथ पहला हादसा 1998 में हुआ. वे एक बस में सवार थे. बस की ट्रक से भिड़ंत हो गई और इस हादसे में पिंटू का एक हाथ कंधे से कट गया. लोग कहने लगे कि पिंटू अब कुछ नहीं कर सकता. लेकिन पिंटू ने तय किया कि वह बेचारगी का तमगा लेकर नहीं जिएगा.

नहीं मानी हार.

पिंटू ने तैराकी को अपना शौक बनाया. पूल में जब वे एक हाथ से तैरते, तो अच्छे-अच्छे तैराक आवाक रह जाते. जल्द ही तैराकी में वे पारंगत हो गए. शौकिया तैराकी से वे तैराकी के खेल में उतर गए. पूल को उन्होंने कई बार कई प्रतियोगिताओं में एक हाथ से तैरकर पार किया और मेडल पर मेडल जीतने लगे. बतौर पैरा स्विमर पिंटू ने कई प्रतियोगिताएं जीतीं.

2016 में नेशनल चैंपियनशिप भी पिंटू की झोली में आ गई. इसके साथ-साथ पिंटू ने बच्चों को स्विमिंग की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया. सब कुछ ठीक चल रहा था. एक हाथ और पूरे हौसले से जी रहे पिंटू के साथ फिर 2019 में दूसरा हादसा हो गया.

पिंटू के साथ दूसरा हादसा

2019 में पूल की सफाई करते समय लोहे के स्टैंड में करंट आने से पिंटू बुरी तरह झुलसे. उपचार के दौरान उनके करंट लगे हाथ को आधा काटना पड़ा. यह वही हाथ था जिसकी बदौलत पिंटू अपने सपने साकार कर रहे थे.

पढ़ें- जज को है पुलिस से जान का खतरा, अधीनस्थों पर भी गंभीर आरोप

पिंटू का जीवन एक बार फिर मायूसी के अंधेरों में डूबने लगा. लोगों ने फिर पिंटू पर तरस खाना शुरू कर दिया. फिर वही सवाल उठने लगा कि पिंटू अब क्या करेगा. लेकिन इस बार भी पिंटू ने अपने हौसले को मरने नहीं दिया. उन्होंने अपने आप से वादा किया कि पिंटू फिर भी तैरेगा.

कोरोना के अनलॉक के बाद पिंटू ने फिर से स्विमिंग पूल का रुख किया और आधे हाथ से ही तैरना शुरू किया. अब 20 से 22 मार्च को बेंगलुरु में आयोजित होने वाली पैरा स्विमिंग की नेशनल चैंपियनशिप के लिए वे तैयार हैं. पिंटू कहते हैं कि पैरा ओलिंपिक में भाग लेना उनका लक्ष्य है, जिसके लिए वे हमेशा कोशिश करते रहेंगे.

2016 के बाद मिलने लगी नौकरी

राजस्थान सरकार ने वर्ष 2016 के बाद नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सीधी नौकरी देने की व्यवस्था की है. पिंटू ने पैरा शिविर में 2016 में चैंपियनशिप जीती थी. ऐसे में उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया. अब मार्च में होने वाली चैंपियनशिप की तैयारी में वे जुटे हुए हैं. अगर उन्हें गोल्ड मेडल मिलता है, तो उन्हें राज्य सरकार से नौकरी मिल जाएगी. जिससे वे अपने परिवार का पालन कर सकेंगे.

ये हैं पिंटू की सफलताएं

पिंटू की सफलता.
पिंटू की सफलता.
Last Updated : Feb 23, 2021, 2:16 PM IST
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