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प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता सोनल शुक्ला का निधन

प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता सोनल शुक्ला (women’s rights activist Sonal Shukla ) का दिल का दौरा पड़ने से यहां बृहस्पतिवार को निधन हो गया

सोनल शुक्ला का निधन
सोनल शुक्ला का निधन
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Published : Sep 9, 2021, 5:05 PM IST

मुंबई : प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता सोनल शुक्ला (women’s rights activist Sonal Shukla ) का दिल का दौरा पड़ने से यहां बृहस्पतिवार को निधन हो गया. वह 80वर्ष की थीं.

उनके एक सहयोगी ने यह जानकारी दी. शुक्ला 'वाचा' धर्मार्थ न्यास की संस्थापक और प्रबंध न्यासी थीं. वह पिछले चालीस साल से लड़कियों और महिलाओं के लिए काम कर रही थीं. वह 'सोनल बेन' के नाम से प्रसिद्ध थीं और 'फोरम अगेंस्ट रेप' नामक समूह की सह-संस्थापिका थीं जिसे आज 'फोरम अगेंस्ट ऑप्रेशन ऑफ वूमन' के नाम से जाना जाता है.

वाचा की शुरुआत 1987 में एक पुस्तकालय और महिलाओं के लिए संसाधन केंद्र के रूप में की गई थी. केवल महिलाओं के लिए खुला यह पहला पुस्तकालय था जिसमें तीन हजार से ज्यादा पुस्तकें थीं. वर्ष 1991 में इस संस्था ने दो संगीत एल्बम और स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी पर दो वृत्तचित्र बनाये थे.

मुंबई के सांताक्रूज में एक क्लिनिक चलाने वाली डॉ वर्षा गुप्ता ने कहा, 'उन्होंने हमें बहुत कुछ सिखाया, हमारी अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान में सुधार किया और लड़कियों के लिए बहुत से कार्य किए.'

ये भी पढ़ें - भारत जनकल्याण के लिए काम करने में यकीन रखता है : लेखी

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता सोनल शुक्ला (women’s rights activist Sonal Shukla ) का दिल का दौरा पड़ने से यहां बृहस्पतिवार को निधन हो गया. वह 80वर्ष की थीं.

उनके एक सहयोगी ने यह जानकारी दी. शुक्ला 'वाचा' धर्मार्थ न्यास की संस्थापक और प्रबंध न्यासी थीं. वह पिछले चालीस साल से लड़कियों और महिलाओं के लिए काम कर रही थीं. वह 'सोनल बेन' के नाम से प्रसिद्ध थीं और 'फोरम अगेंस्ट रेप' नामक समूह की सह-संस्थापिका थीं जिसे आज 'फोरम अगेंस्ट ऑप्रेशन ऑफ वूमन' के नाम से जाना जाता है.

वाचा की शुरुआत 1987 में एक पुस्तकालय और महिलाओं के लिए संसाधन केंद्र के रूप में की गई थी. केवल महिलाओं के लिए खुला यह पहला पुस्तकालय था जिसमें तीन हजार से ज्यादा पुस्तकें थीं. वर्ष 1991 में इस संस्था ने दो संगीत एल्बम और स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी पर दो वृत्तचित्र बनाये थे.

मुंबई के सांताक्रूज में एक क्लिनिक चलाने वाली डॉ वर्षा गुप्ता ने कहा, 'उन्होंने हमें बहुत कुछ सिखाया, हमारी अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान में सुधार किया और लड़कियों के लिए बहुत से कार्य किए.'

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(पीटीआई-भाषा)

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