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Women Equality Day 2023 :जानें महिला समानता दिवस का इतिहास,  भारत में महिलाओं की स्थिति

आज दुनियाभर में महिला समानता दिवस 2023 मनाया जा रहा है. इस दौरान समानता के अधिकार के लिए आदोलनों को याद किया जाता है. साथ हर क्षेत्र पर समानता के लिए नीति निर्माताओं से सार्वजिनक मंचों से मांग की जाती है. पढ़ें पूरी खबर.

Women Equality Day
महिला समानता दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2023, 12:31 AM IST

हैदराबाद : आज यानि 26 अगस्त को संयुक्त राज्य अमेरिका में महिला मताधिकार की 103वीं वर्षगांठ है. इस दिवस के अवसर पर महिला समानता दिवस के रूप में दुनिया भर में महिला मताधिकार आंदोलन का जश्न मनाया जाता है और उनके सम्मान के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

https://www3.weforum.org/docs/WEF_GGGR_2023.pdf
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 203

नीति निर्माता, महिला अधिकारों के लिए आंदोलनरत संगठनों सहित अन्य एजेंसियों की ओर से महिला समानता की दिशा में बाधाओं को पहचान कर उन्हें दूर करने के लिए मॉडल पर चर्चा करते हैं. महिलाओं को समानता और प्रगति की दिशा में जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा उस पीड़ा को याद करने के लिए महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि पहली बार 1971 में एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था और 1973 में आधिकारिक तौर पर अपनाया गया.

Women Equality Day
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 203

महिला समानता दिवस का इतिहास

  • 1973 में प्रतिनिधि बेला अबजग-Rep. Bella Abzug (डी-एनवाई) के आदेश पर, अमेरिकी कांग्रेस ने 26 अगस्त को "महिला समानता दिवस" ​​के रूप में नामित किया. इस तारीख का फैसला 1920 में संविधान के 19वें संशोधन के बाद किया गया था, जिससे महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला.
  • 1848 में न्यूयॉर्क के सेनेका फॉल्स में दुनिया के पहले महिला अधिकार सम्मेलन में महिलाओं द्वारा एक विशाल, शांतिपूर्ण नागरिक अधिकार आंदोलन की परिणति हुई, जिसकी औपचारिक शुरुआत हुई.
  • अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन, 4 जून, 1919 को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था और 18 अगस्त 1920 को इसकी पुष्टि की गई थी. यह सभी अमेरिकी महिलाओं को वोट देने के अधिकार की गारंटी देता है. 1920 में यह दिन महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर नागरिक अधिकार आंदोलन के 72 वर्षों के अभियान के परिणाम के रूप में मनाया गया.
  • महिला समानता दिवस का आयोजन न केवल 19वें संशोधन के पारित होने की याद दिलाता है, बल्कि पूर्ण समानता की दिशा में महिलाओं के निरंतर प्रयासों/अभियानों पर भी ध्यान आकर्षित करता है. कार्यस्थल, पुस्तकालय, संगठन और सार्वजनिक सुविधाएं अब महिला समानता दिवस कार्यक्रमों प्रदर्शनों, वीडियो प्रदर्शनों या अन्य गतिविधियों में भाग लेती हैं.

महिला समानता दिवस थीम 2023: महिला समानता दिवस के लिए इस वर्ष की थीम #EmbraceEquity (एम्ब्रेसइक्विटी) है. 2021-26 रणनीतिक योजना के हिस्से के रूप में डब्ल्यूटीएस इंटरनेशनल महिलाओं के हर काम में समानता, पहुंच और अवसर को प्राथमिकता देता है. यह लैंगिक समानता हासिल करने के महत्व पर बल देता है, जो न केवल आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. बल्कि बुनियादी मानवाधिकारों का एक बुनियादी पहलू भी है.

महिला समानता दिवस का महत्व: यह दिवस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह महिलाओं को सशक्त बनाता है और समाज में उनके समान योगदान, विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों, समानता का अधिकार, लैंगिक समानता, आर्थिक विकास, शिक्षा का अधिकार, कार्यस्थलों में समान वेतन, समान को मान्यता देता है.

भारत में महिला समानता दिवस: कई दशकों से दुनिया भर में महिलाओं के साथ असमान व्यवहार किया जाता है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है. अभी भी महिलाओं को अपने जीवन में अपने घरों और कार्यस्थलों सहित कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है. लैंगिक भेदभाव, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और असमान वेतन प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. कन्या भ्रूण हत्या और शिशुहत्या, बाल विवाह, किशोर गर्भावस्था, बच्चों का घरेलू काम, खराब शिक्षा और स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बने हुए हैं. महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हर साल यौन उत्पीड़न और हमले की कई घटनाएं सामने आती हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह, भारत को भी महिलाओं के अधिकार की बात आने पर कारण को स्वीकार करने के लिए महिला समानता दिवस मनाने की जरूरत है. भारत वह स्थान है जहां संस्कृति और परंपरा के नाम पर लड़कियों के साथ अभी भी समाज द्वारा गलत व्यवहार किया जाता है.

Women Equality Day
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 204

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (GGGI) 2023 : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार 2023 में अलग-अलग मापदंडों के माध्यम से लैंगिक समानता की स्थिति पर 146 देशों को रैंक दिया गया है. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (Global Gender Gap Index) में भारत 127वें स्थान पर है. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2021 में भारत की रैंकिंग 140वीं थी लेकिन 2022 में यह घटकर 135वीं हो गई है. इस वर्ष यह संख्या 2021 में जारी आंकड़ों के हिसाब से 127वें स्थान पर पहुंच गई है. भारत का स्कोर 0.625 है और यह 2022 में 0.629 से बढ़कर 2023 में 0.643 हो गया है.

भारत में महिलाओं की जनसंख्या: जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121.1 करोड़ थी जिसमें 48.5% महिला आबादी थी. 2036 के दौरान महिला आबादी (48.8) के थोड़े बेहतर प्रतिशत के साथ कुल जनसंख्या 152.2 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. जनसंख्या वृद्धि 1971 में 2.2% की औसत वार्षिक वृद्धि दर से धीमी होकर 2021 में 1.1% हो गई है, जिसके 2036 में 0.58% तक गिरने का अनुमान है.

भारतीय महिलाओं की शिक्षा: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, भारत में महिला और पुरुष 2022 रिपोर्ट, भारत में साक्षरता दर के आंकड़ों से पता चलता है कि यह दर 1981 में 43.6% से बढ़कर 2017 में 77.7% हो गई है, जिसमें 6 वर्षों में 12.2% की उच्चतम वृद्धि है. (2011 से 2017) ग्रामीण महिलाओं द्वारा अनुभव किया गया. भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है. 2011 में साक्षरता दर 73% थी. पिछली जनगणना के आंकड़ों की तुलना में 4% की वृद्धि हुई है. पुरुष साक्षरता दर 84.7% है जबकि महिला साक्षरता दर 70.3% है.

अर्थव्यवस्था में भागीदारी: 2021-2022 में, पुरुष आबादी के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात ग्रामीण क्षेत्र में 54.7 और शहरी क्षेत्र में 55.0 है, लेकिन महिला आबादी के लिए क्रमशः 26.6 और 17.3 है। डब्ल्यूपीआर के मामले में भी महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता अभी भी अधिक है.

निर्णय लेने में भागीदारी:

  • केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2015 में 17.8% से घटकर 2019 में 10.5% हो गया है. लेकिन 15वें राष्ट्रीय चुनाव तक, 60% से कम महिला मतदाताओं ने ही चुनावों में भाग लिया और पुरुषों का मतदान प्रतिशत महिलाओं की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक था.
  • हालांकि, पहले के चुनावों की तुलना में 2014 में अधिक महिलाएं मतदान के लिए निकलीं, 2014 में भागीदारी 65.6% थी जो 2019 में बढ़कर 67.2% हो गई.
  • साल 2022 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में कार्यरत 29 न्यायाधीशों में से केवल 3 महिलाएं थीं. उच्च न्यायालयों में भी केवल 13 फीसदी महिलाएं ही न्यायाधीश हैं.
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रबंधकीय पदों पर काम करने वाले अधिकारियों में 2020 में 18.8 फीसदी और 2021 में 18.1 फीसदी महिलाएं थीं. 2022 के आकड़ों के अनुसार भारत में उच्च स्तर पर जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों के रूप में काम करने वाले श्रमिकों में 22.2 फीसदी महिलाएं थीं.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा दर: NCRB द्वारा प्रकाशित ताजा आंकड़ों के अनुसार, जांच के लिए कुल मामलों में से 68% थे. पुलिस द्वारा निस्तारण किया गया। निपटान "महिलाओं को अपमानित करने के इरादे से उन पर हमला" की श्रेणी में अधिकतम थे. विनम्रता'' (74%) के बाद ''बलात्कार (71%)'', ''पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (71%)'' और ''परेशान करने का प्रयास'' श्रेणियां हैं. बलात्कार करें (70%). 2021 में सुनवाई के लिए कुल मामले 21.22 लाख थे, जिनमें से 83536 मामले (3.93%) निपटाए जा चुके हैं।

भारत में बाल विवाह: एनएफएचएस के अनुसार, 18 वर्ष से पहले शादी करने वाली 20-24 वर्ष की महिलाओं का प्रतिशत कम हो गया है. 2015-16 में 26.8 से बढ़कर 2019-21 में 23.3% हो गया. 2019-21 एनएफएचएस के आंकड़ों से पता चलता है कि 15-19 वर्ष की महिलाओं के लिए किशोर प्रजनन दर 2015-16 में 51 से घटकर 43 हो गई है.

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हैदराबाद : आज यानि 26 अगस्त को संयुक्त राज्य अमेरिका में महिला मताधिकार की 103वीं वर्षगांठ है. इस दिवस के अवसर पर महिला समानता दिवस के रूप में दुनिया भर में महिला मताधिकार आंदोलन का जश्न मनाया जाता है और उनके सम्मान के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

https://www3.weforum.org/docs/WEF_GGGR_2023.pdf
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 203

नीति निर्माता, महिला अधिकारों के लिए आंदोलनरत संगठनों सहित अन्य एजेंसियों की ओर से महिला समानता की दिशा में बाधाओं को पहचान कर उन्हें दूर करने के लिए मॉडल पर चर्चा करते हैं. महिलाओं को समानता और प्रगति की दिशा में जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा उस पीड़ा को याद करने के लिए महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि पहली बार 1971 में एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था और 1973 में आधिकारिक तौर पर अपनाया गया.

Women Equality Day
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 203

महिला समानता दिवस का इतिहास

  • 1973 में प्रतिनिधि बेला अबजग-Rep. Bella Abzug (डी-एनवाई) के आदेश पर, अमेरिकी कांग्रेस ने 26 अगस्त को "महिला समानता दिवस" ​​के रूप में नामित किया. इस तारीख का फैसला 1920 में संविधान के 19वें संशोधन के बाद किया गया था, जिससे महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला.
  • 1848 में न्यूयॉर्क के सेनेका फॉल्स में दुनिया के पहले महिला अधिकार सम्मेलन में महिलाओं द्वारा एक विशाल, शांतिपूर्ण नागरिक अधिकार आंदोलन की परिणति हुई, जिसकी औपचारिक शुरुआत हुई.
  • अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन, 4 जून, 1919 को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था और 18 अगस्त 1920 को इसकी पुष्टि की गई थी. यह सभी अमेरिकी महिलाओं को वोट देने के अधिकार की गारंटी देता है. 1920 में यह दिन महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर नागरिक अधिकार आंदोलन के 72 वर्षों के अभियान के परिणाम के रूप में मनाया गया.
  • महिला समानता दिवस का आयोजन न केवल 19वें संशोधन के पारित होने की याद दिलाता है, बल्कि पूर्ण समानता की दिशा में महिलाओं के निरंतर प्रयासों/अभियानों पर भी ध्यान आकर्षित करता है. कार्यस्थल, पुस्तकालय, संगठन और सार्वजनिक सुविधाएं अब महिला समानता दिवस कार्यक्रमों प्रदर्शनों, वीडियो प्रदर्शनों या अन्य गतिविधियों में भाग लेती हैं.

महिला समानता दिवस थीम 2023: महिला समानता दिवस के लिए इस वर्ष की थीम #EmbraceEquity (एम्ब्रेसइक्विटी) है. 2021-26 रणनीतिक योजना के हिस्से के रूप में डब्ल्यूटीएस इंटरनेशनल महिलाओं के हर काम में समानता, पहुंच और अवसर को प्राथमिकता देता है. यह लैंगिक समानता हासिल करने के महत्व पर बल देता है, जो न केवल आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. बल्कि बुनियादी मानवाधिकारों का एक बुनियादी पहलू भी है.

महिला समानता दिवस का महत्व: यह दिवस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह महिलाओं को सशक्त बनाता है और समाज में उनके समान योगदान, विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों, समानता का अधिकार, लैंगिक समानता, आर्थिक विकास, शिक्षा का अधिकार, कार्यस्थलों में समान वेतन, समान को मान्यता देता है.

भारत में महिला समानता दिवस: कई दशकों से दुनिया भर में महिलाओं के साथ असमान व्यवहार किया जाता है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है. अभी भी महिलाओं को अपने जीवन में अपने घरों और कार्यस्थलों सहित कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है. लैंगिक भेदभाव, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और असमान वेतन प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं. कन्या भ्रूण हत्या और शिशुहत्या, बाल विवाह, किशोर गर्भावस्था, बच्चों का घरेलू काम, खराब शिक्षा और स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बने हुए हैं. महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हर साल यौन उत्पीड़न और हमले की कई घटनाएं सामने आती हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह, भारत को भी महिलाओं के अधिकार की बात आने पर कारण को स्वीकार करने के लिए महिला समानता दिवस मनाने की जरूरत है. भारत वह स्थान है जहां संस्कृति और परंपरा के नाम पर लड़कियों के साथ अभी भी समाज द्वारा गलत व्यवहार किया जाता है.

Women Equality Day
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 पेज 204

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (GGGI) 2023 : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार 2023 में अलग-अलग मापदंडों के माध्यम से लैंगिक समानता की स्थिति पर 146 देशों को रैंक दिया गया है. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (Global Gender Gap Index) में भारत 127वें स्थान पर है. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2021 में भारत की रैंकिंग 140वीं थी लेकिन 2022 में यह घटकर 135वीं हो गई है. इस वर्ष यह संख्या 2021 में जारी आंकड़ों के हिसाब से 127वें स्थान पर पहुंच गई है. भारत का स्कोर 0.625 है और यह 2022 में 0.629 से बढ़कर 2023 में 0.643 हो गया है.

भारत में महिलाओं की जनसंख्या: जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121.1 करोड़ थी जिसमें 48.5% महिला आबादी थी. 2036 के दौरान महिला आबादी (48.8) के थोड़े बेहतर प्रतिशत के साथ कुल जनसंख्या 152.2 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. जनसंख्या वृद्धि 1971 में 2.2% की औसत वार्षिक वृद्धि दर से धीमी होकर 2021 में 1.1% हो गई है, जिसके 2036 में 0.58% तक गिरने का अनुमान है.

भारतीय महिलाओं की शिक्षा: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, भारत में महिला और पुरुष 2022 रिपोर्ट, भारत में साक्षरता दर के आंकड़ों से पता चलता है कि यह दर 1981 में 43.6% से बढ़कर 2017 में 77.7% हो गई है, जिसमें 6 वर्षों में 12.2% की उच्चतम वृद्धि है. (2011 से 2017) ग्रामीण महिलाओं द्वारा अनुभव किया गया. भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है. 2011 में साक्षरता दर 73% थी. पिछली जनगणना के आंकड़ों की तुलना में 4% की वृद्धि हुई है. पुरुष साक्षरता दर 84.7% है जबकि महिला साक्षरता दर 70.3% है.

अर्थव्यवस्था में भागीदारी: 2021-2022 में, पुरुष आबादी के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात ग्रामीण क्षेत्र में 54.7 और शहरी क्षेत्र में 55.0 है, लेकिन महिला आबादी के लिए क्रमशः 26.6 और 17.3 है। डब्ल्यूपीआर के मामले में भी महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता अभी भी अधिक है.

निर्णय लेने में भागीदारी:

  • केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2015 में 17.8% से घटकर 2019 में 10.5% हो गया है. लेकिन 15वें राष्ट्रीय चुनाव तक, 60% से कम महिला मतदाताओं ने ही चुनावों में भाग लिया और पुरुषों का मतदान प्रतिशत महिलाओं की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक था.
  • हालांकि, पहले के चुनावों की तुलना में 2014 में अधिक महिलाएं मतदान के लिए निकलीं, 2014 में भागीदारी 65.6% थी जो 2019 में बढ़कर 67.2% हो गई.
  • साल 2022 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में कार्यरत 29 न्यायाधीशों में से केवल 3 महिलाएं थीं. उच्च न्यायालयों में भी केवल 13 फीसदी महिलाएं ही न्यायाधीश हैं.
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रबंधकीय पदों पर काम करने वाले अधिकारियों में 2020 में 18.8 फीसदी और 2021 में 18.1 फीसदी महिलाएं थीं. 2022 के आकड़ों के अनुसार भारत में उच्च स्तर पर जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधकों के रूप में काम करने वाले श्रमिकों में 22.2 फीसदी महिलाएं थीं.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा दर: NCRB द्वारा प्रकाशित ताजा आंकड़ों के अनुसार, जांच के लिए कुल मामलों में से 68% थे. पुलिस द्वारा निस्तारण किया गया। निपटान "महिलाओं को अपमानित करने के इरादे से उन पर हमला" की श्रेणी में अधिकतम थे. विनम्रता'' (74%) के बाद ''बलात्कार (71%)'', ''पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (71%)'' और ''परेशान करने का प्रयास'' श्रेणियां हैं. बलात्कार करें (70%). 2021 में सुनवाई के लिए कुल मामले 21.22 लाख थे, जिनमें से 83536 मामले (3.93%) निपटाए जा चुके हैं।

भारत में बाल विवाह: एनएफएचएस के अनुसार, 18 वर्ष से पहले शादी करने वाली 20-24 वर्ष की महिलाओं का प्रतिशत कम हो गया है. 2015-16 में 26.8 से बढ़कर 2019-21 में 23.3% हो गया. 2019-21 एनएफएचएस के आंकड़ों से पता चलता है कि 15-19 वर्ष की महिलाओं के लिए किशोर प्रजनन दर 2015-16 में 51 से घटकर 43 हो गई है.

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