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छत्तीसगढ़: 200 महिलाओं के समूह ने खोला ऐसा बैंक, जहां जमा नहीं होता कैश

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में एक अनोखा बैंक है. जहां कैश नहीं, बीज जमा किया जाता है. छोटे-छोटे मिट्टी के घड़ों और बर्तनों में बीज संभाल कर रखे जाते हैं. खास बात यह है कि इस बैंक के संचालन का कार्य महिलाएं करती हैं. ताकि विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीजों को बचाया जा सके. जानिए, बीज बैंक की यह कहानी.

Desi seed bank in Kanker
200 महिलाओं के समूह ने खोला स्पेशल बैंक
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Published : Feb 7, 2021, 10:02 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 10:51 PM IST

कांकेर : छत्तीसगढ़ से 35 किलो मीटर की दूरी पर सुंदर पहाड़ियों के बीच निशानहर्रा गांव बसा है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी एक अनोखी शुरुआत से पूरे प्रदेश को संदेश दिया है. वो संदेश है बीजों के संग्रहण का. इस गांव की 200 महिलाओं ने समूह खोला है. समूह की सभी महिलाओं ने बीज बैंक की स्थापना की है. बीज बैंक में विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीज की किस्मों को वह इकट्ठा कर रहीं हैं.

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

समूह की महिलाओं ने बताया कि 20 प्रकार के बीजों का पारम्परिक तरीके से मिट्टी के बने बर्तन में रखरखाव किया जा रहा है. महिलाओं की चाह यह है कि, वो एक दिन ऐसे विलुप्त हो चुके सारे बीजों का संग्रहण कर एक मिसाल कायम करें. महिलाएं चाहती हैं कि इस बीज बैंक से आसपास के किसानों को खेती में मदद मिले.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

विलुप्त होते बीजों का हो रहा संग्रहण

ETV भारत की टीम उन महिलाओं के समूह से बातचीत की. जागेश्वरी नेताम ने बताया हमारे पूर्वज इन्हीं बीजों से खेती करते थे. अब ये सारे देसी बीज विलुप्त हो रहे हैं. कई बीज विलुप्त हो चुके हैं. पूर्वजों की देन को बचाने के लिए बीज बैंक खोला है. ताकि पूर्वजों की देन आसानी से विलुप्त न हो जाए. आने वाली पीढ़ी को पुराने बीजों के बारे में पता चले.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी

निशानहर्रा गांव में महिलाओं का 7 समूह है. 7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी हैं. विलुप्त हो चुके देसी बीज परबत, झुरगा, भदाई, तिल, इसके साथ पुराने धान के देसी बीज गांव के बीज बैंक में महिलाओं ने संरक्षित कर रखा है.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास

जागेश्वरी नेताम ने बताया पहले की साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास थी. अभी सब हाईब्रिड बीज है. सब्जियों में तरह-तरह की दवाइयां डाली जाती हैं. जिससे मिठास खत्म हो जाती है. पहले पूर्वजों के समय बिना दवाई के खेती की जाती थी. उससे पौष्टिक सब्जी और धान की उपज होती थी. अब सब तकनीकी सुविधाएं अपनाई जा रही है. लेकिन उससे गुणवत्ता की कमी हो रही है.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

हाईब्रिड बीज से किसान कर रहे खेती

संगीता शोरी ने बताया हमारा संरक्षण करना ही मुख्य काम नहीं है. हम इस बीज से पारंपरिक खेती करेंगे. इससे जो बीज उत्पन्न होगा, उसे आस-पास के गांव में खेती करने के लिए देंगे. हाईब्रिड बीज से किसान खेती न करें. हमारे पूर्वजों के जमाने की बीजों से खेती किया जाए.

20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया

इस बीच बैंक से किसानों को हाईब्रिड बीज के खरीदी में लगने वाली भारी-भरकम लागत से निजात मिलेगी. जीरो बजट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. इस बीज बैंक में अभी 20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया है. धान के बीज जैसे रमलीपंख, दुबराज,अशोक इत्यादि को संरक्षित किया गया है.

पढ़ें: आईटीबीपी के 'अर्जुन': नक्सलगढ़ के बच्चे गढ़ रहे तीरंदाजी में भविष्य

पारंपरिक खेती से दूरी क्यों?

प्राचीन समय में किसान एक दूसरे के सहयोग से उन्नत बीजों का आदान-प्रदान कर कृषि कार्य करते थे. कृषि कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करते थे. कृषक महिलाएं अगले वर्ष के लिए खड़ी फसल से उन्नत बीजों को जुटाती थी. अब लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई है. अधिक उत्पादन की होड़ के कारण किसान देसी बीजों से खेती नहीं कर रहे हैं. खेती को घाटे का सौदा समझा जा रहा है.

कांकेर : छत्तीसगढ़ से 35 किलो मीटर की दूरी पर सुंदर पहाड़ियों के बीच निशानहर्रा गांव बसा है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी एक अनोखी शुरुआत से पूरे प्रदेश को संदेश दिया है. वो संदेश है बीजों के संग्रहण का. इस गांव की 200 महिलाओं ने समूह खोला है. समूह की सभी महिलाओं ने बीज बैंक की स्थापना की है. बीज बैंक में विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीज की किस्मों को वह इकट्ठा कर रहीं हैं.

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

समूह की महिलाओं ने बताया कि 20 प्रकार के बीजों का पारम्परिक तरीके से मिट्टी के बने बर्तन में रखरखाव किया जा रहा है. महिलाओं की चाह यह है कि, वो एक दिन ऐसे विलुप्त हो चुके सारे बीजों का संग्रहण कर एक मिसाल कायम करें. महिलाएं चाहती हैं कि इस बीज बैंक से आसपास के किसानों को खेती में मदद मिले.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

विलुप्त होते बीजों का हो रहा संग्रहण

ETV भारत की टीम उन महिलाओं के समूह से बातचीत की. जागेश्वरी नेताम ने बताया हमारे पूर्वज इन्हीं बीजों से खेती करते थे. अब ये सारे देसी बीज विलुप्त हो रहे हैं. कई बीज विलुप्त हो चुके हैं. पूर्वजों की देन को बचाने के लिए बीज बैंक खोला है. ताकि पूर्वजों की देन आसानी से विलुप्त न हो जाए. आने वाली पीढ़ी को पुराने बीजों के बारे में पता चले.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी

निशानहर्रा गांव में महिलाओं का 7 समूह है. 7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी हैं. विलुप्त हो चुके देसी बीज परबत, झुरगा, भदाई, तिल, इसके साथ पुराने धान के देसी बीज गांव के बीज बैंक में महिलाओं ने संरक्षित कर रखा है.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास

जागेश्वरी नेताम ने बताया पहले की साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास थी. अभी सब हाईब्रिड बीज है. सब्जियों में तरह-तरह की दवाइयां डाली जाती हैं. जिससे मिठास खत्म हो जाती है. पहले पूर्वजों के समय बिना दवाई के खेती की जाती थी. उससे पौष्टिक सब्जी और धान की उपज होती थी. अब सब तकनीकी सुविधाएं अपनाई जा रही है. लेकिन उससे गुणवत्ता की कमी हो रही है.

Desi seed bank in Kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

हाईब्रिड बीज से किसान कर रहे खेती

संगीता शोरी ने बताया हमारा संरक्षण करना ही मुख्य काम नहीं है. हम इस बीज से पारंपरिक खेती करेंगे. इससे जो बीज उत्पन्न होगा, उसे आस-पास के गांव में खेती करने के लिए देंगे. हाईब्रिड बीज से किसान खेती न करें. हमारे पूर्वजों के जमाने की बीजों से खेती किया जाए.

20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया

इस बीच बैंक से किसानों को हाईब्रिड बीज के खरीदी में लगने वाली भारी-भरकम लागत से निजात मिलेगी. जीरो बजट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. इस बीज बैंक में अभी 20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया है. धान के बीज जैसे रमलीपंख, दुबराज,अशोक इत्यादि को संरक्षित किया गया है.

पढ़ें: आईटीबीपी के 'अर्जुन': नक्सलगढ़ के बच्चे गढ़ रहे तीरंदाजी में भविष्य

पारंपरिक खेती से दूरी क्यों?

प्राचीन समय में किसान एक दूसरे के सहयोग से उन्नत बीजों का आदान-प्रदान कर कृषि कार्य करते थे. कृषि कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करते थे. कृषक महिलाएं अगले वर्ष के लिए खड़ी फसल से उन्नत बीजों को जुटाती थी. अब लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई है. अधिक उत्पादन की होड़ के कारण किसान देसी बीजों से खेती नहीं कर रहे हैं. खेती को घाटे का सौदा समझा जा रहा है.

Last Updated : Feb 7, 2021, 10:51 PM IST
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