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उत्तराखंड: कोरोना काल के बाद तेजी से बढ़ा महिला अपराध, सबसे अधिक प्रॉस्टिट्यूशन के लिए हुई तस्करी

कोरोना काल के बाद से देश-प्रदेश में महिला के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी देखी जी रही है. आंकड़ों की बात करें तो देश और उत्तराखंड में महिला अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. जिसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार चिंतित है. वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग इसके पीछे अपराध के खिलाफ महिलाओं में बढ़ती जागरूकता भी मान रहा है. जिसकी वजह से ज्यादा संख्या में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं.

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उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध
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Published : Dec 27, 2022, 10:11 PM IST

उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध.

देहरादून: उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले (women crime cases in uttarakhand) पिछले कुछ सालों से तेजी से बढ़े हैं. दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना की दस्तक (global pandemic Corona) के बाद से महिला अपराध में इजाफा (increase in women crime) हुआ है. जिसमें मुख्य रूप से मानव तस्करी के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस बात को माना है कि कोरोना के बाद से महिला अपराध में काफी अधिक वृद्धि हुई है.

श्रद्धा और अंकिता हत्याकांड ने बढ़ाई चिंता: उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में महिला अपराध के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि बढ़ते महिला अपराध के मामलों में न सिर्फ राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) की चिंताओं को बढ़ा दिया है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार भी इसको लेकर चिंतित नजर आ रही है. हाल ही में दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस (shraddha murder case) और उत्तराखंड में हुए अंकिता हत्याकांड (Ankita murder case) मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया. वहीं, महिला अपराध की अनगिनत मामलों में कुछ ही मामले चर्चाओं में आते हैं, जिसकी वजह से कई महिला अपराध मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हो पाता है.

कोरोना के बाद बढ़े मानव तस्करी के मामले: उत्तराखंड में महिला अपराध से जुड़े कई तरह के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन इनमें मुख्य रूप से बढ़ते ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला प्रदेश के लिए चिंताजनक बनी हुई है. साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में काफी उछाल देखा गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी इस बात को मान रही है कि कोरोना संक्रमण के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. यही नहीं, नेपाल और अन्य देशों ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए भारत को रूट बनाया है, ताकि महिलाओं को अन्य देशों में भेजा जा सके.
ये भी पढ़ें: पौड़ी पुलिस के हत्थे चढ़ा सांसी गैंग का इनामी बदमाश, बैग से चुराया था सोना

महिला अपराध के प्रति जागरूकता: देश में लगातार बढ़ रहे महिलाओं से जुड़े अपराध एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. लिहाजा, महिला अपराध पर लगाम लगाने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार कई बड़ी पहल कर रही है. बावजूद इसके महिला अपराध घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के अनुसार महिला अपराध का ग्राफ बढ़ने के कई वजह हैं, जिसमे मुख्य रूप से अब महिलाएं काफी अधिक जागरूक हो गई हैं. जिसके चलते महिला अपराध के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. हालांकि, पहले भी अपराध होते थे, लेकिन तब महिलाएं, लोक लज्जा को देखते हुए मुकदमा दर्ज कराने से बचती थीं.

देश में बढ़ते आपराधिक मामले: रेखा शर्मा ने कहा कि इसका एक पॉजिटिव आस्पेक्ट भी है. क्योंकि आज महिलाएं जागरूक हो गई हैं, जो अपनी बात कह सकती हैं और शिकायत दर्ज करा सकती हैं. ऐसे में बदलाव की ओर यह एक पहला कदम है. आज महिलाएं अपराध के खिलाफ आगे आ रही है. इसलिए शायद क्राइम रेट ज्यादा बढ़ रही है. यही नहीं, वर्तमान समय में भीषण आपराधिक मामले ज्यादा बढ़े हैं. हालांकि, जो बड़े मामले सामने आ रहे हैं. उसकी मुख्य वजह यह भी है कि कुछ लोग वारदात को अंजाम देने से बचने के बजाय वो इस तरह के अपराध करने की सोचते हैं.

ऑनलाइन एसिड बेचने पर शॉपिंग वेबसाइट को समन: रेखा शर्मा ने कहा दिल्ली में हुए एसिड अटैक के बाद देशभर में एसिड बिकने बंद हो गए. क्योंकि एसिड बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी. जिसके तहत बिना लाइसेंस के एसिड बेचना गैरकानूनी हो गया था, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर अभी भी एसिड उपलब्ध है, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि इसको लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने कुछ ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स को समन भेजा था. जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एसिड नहीं बेच सकते हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड की जेलों में क्षमता से 178% ज्यादा महिला कैदी, बजट खर्च करने में भी पीछे!

भारत के रास्ते ह्यूमन ट्रैफिकिंग: राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि कोविड काल के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले बढ़े हैं. नेपाल और दूसरे देश, भारत को रूट बनाकर अन्य देशों में महिलाओं की तस्करी कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले बढ़ रहे हैं. उसी क्रम में पुलिस की मुस्तैदी भी बढ़ी है. क्योंकि तस्करी की गई महिलाओं की रेस्क्यू भी बढ़ी है. भारत सरकार भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले को गंभीरता से ले रही है. लिहाजा जल्द ही भारत सरकार ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर लगाम लगाने को लेकर नया एक्ट ला रही है, जिसे अगले पार्लियामेंट में लाया जा सकता है.

समाज के भय से मुक्त हो रही महिलाएं: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे महिला अपराध पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में महिलाएं आधी आबादी का नेतृत्व करती हैं. ऐसे में महिलाओं के प्रति एक भी अपराध स्वीकार नहीं है. महिलाओं से जुड़े अपराध के जो मामले सामने आ रहे हैं, उसे यह स्पष्ट है कि महिलाएं अब अपराध को सहन नहीं कर रही हैं. अब महिलाएं अपने साथ होने वाले अपराधों को लेकर जगजाहिर होना, समाज क्या कहेगा, शर्मिंदा होना पड़ेगा, इस सबसे मुक्त हो चुकी हैं. ऐसे में महिलाएं अपने अधिकारों को पहचानते हुए मामलों को दर्ज करवा रही हैं. जिन भी लोगों ने महिलाओं के साथ अपराध किए हैं, वो आज जेल में हैं.
ये भी पढ़ें: यूपी के पर्यटक से हुई लूट का खुलासा, तीन आरोपी गिरफ्तार, इनामी ठग भी दबोचा गया

महिलाओं सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाए बड़े कदम: रेखा आर्य ने कहा सिस्टम को और दुरुस्त किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने हाल ही में गौरा शक्ति एप को लॉन्च किया है. जिस पर महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं. इसके अलावा कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत हर जिले में छात्रावास बनाए जाने का निर्णय लिया गया है. महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत 181 और 1090 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. यही नहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी और सभी थानों को इस बाबत निर्देश दिए हैं कि अगर महिलाओं से जुड़े कोई भी शिकायत सामने आते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की जाए.
उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले.

WOMEN CRIME
उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध.

प्रॉस्टिट्यूशन के लिए 15 महिलाओं की तस्करी: आंकड़ों पर गौर करें तो देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के साल 2019 में 2,208 मामले, साल 2020 में 1,714 मामले और साल 2021 में 2,189 मामले सामने आए थे. इसी क्रम में उत्तराखंड में भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में उछाल देखा गया है. साल 2019 में 20 मामले, साल 2020 में 9 मामले और साल 2021 में 22 मामले सामने आए थे. उत्तराखंड में साल 2021 में हुए 22 ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में 9 लड़कियां 18 साल से कम उम्र की और 13 महिलाएं 18 साल से अधिक उम्र की शामिल है. इसके साथ ही इनमें से 15 महिलाओं को प्रॉस्टिट्यूशन के लिए तस्करी किया गया था. हालांकि, ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में पुलिस प्रशासन को करीब शत प्रतिशत सफलता हाथ लगी है.

उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध.

देहरादून: उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले (women crime cases in uttarakhand) पिछले कुछ सालों से तेजी से बढ़े हैं. दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना की दस्तक (global pandemic Corona) के बाद से महिला अपराध में इजाफा (increase in women crime) हुआ है. जिसमें मुख्य रूप से मानव तस्करी के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस बात को माना है कि कोरोना के बाद से महिला अपराध में काफी अधिक वृद्धि हुई है.

श्रद्धा और अंकिता हत्याकांड ने बढ़ाई चिंता: उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में महिला अपराध के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि बढ़ते महिला अपराध के मामलों में न सिर्फ राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) की चिंताओं को बढ़ा दिया है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार भी इसको लेकर चिंतित नजर आ रही है. हाल ही में दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस (shraddha murder case) और उत्तराखंड में हुए अंकिता हत्याकांड (Ankita murder case) मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया. वहीं, महिला अपराध की अनगिनत मामलों में कुछ ही मामले चर्चाओं में आते हैं, जिसकी वजह से कई महिला अपराध मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हो पाता है.

कोरोना के बाद बढ़े मानव तस्करी के मामले: उत्तराखंड में महिला अपराध से जुड़े कई तरह के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन इनमें मुख्य रूप से बढ़ते ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला प्रदेश के लिए चिंताजनक बनी हुई है. साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में काफी उछाल देखा गया है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी इस बात को मान रही है कि कोरोना संक्रमण के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. यही नहीं, नेपाल और अन्य देशों ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए भारत को रूट बनाया है, ताकि महिलाओं को अन्य देशों में भेजा जा सके.
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महिला अपराध के प्रति जागरूकता: देश में लगातार बढ़ रहे महिलाओं से जुड़े अपराध एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. लिहाजा, महिला अपराध पर लगाम लगाने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार कई बड़ी पहल कर रही है. बावजूद इसके महिला अपराध घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के अनुसार महिला अपराध का ग्राफ बढ़ने के कई वजह हैं, जिसमे मुख्य रूप से अब महिलाएं काफी अधिक जागरूक हो गई हैं. जिसके चलते महिला अपराध के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. हालांकि, पहले भी अपराध होते थे, लेकिन तब महिलाएं, लोक लज्जा को देखते हुए मुकदमा दर्ज कराने से बचती थीं.

देश में बढ़ते आपराधिक मामले: रेखा शर्मा ने कहा कि इसका एक पॉजिटिव आस्पेक्ट भी है. क्योंकि आज महिलाएं जागरूक हो गई हैं, जो अपनी बात कह सकती हैं और शिकायत दर्ज करा सकती हैं. ऐसे में बदलाव की ओर यह एक पहला कदम है. आज महिलाएं अपराध के खिलाफ आगे आ रही है. इसलिए शायद क्राइम रेट ज्यादा बढ़ रही है. यही नहीं, वर्तमान समय में भीषण आपराधिक मामले ज्यादा बढ़े हैं. हालांकि, जो बड़े मामले सामने आ रहे हैं. उसकी मुख्य वजह यह भी है कि कुछ लोग वारदात को अंजाम देने से बचने के बजाय वो इस तरह के अपराध करने की सोचते हैं.

ऑनलाइन एसिड बेचने पर शॉपिंग वेबसाइट को समन: रेखा शर्मा ने कहा दिल्ली में हुए एसिड अटैक के बाद देशभर में एसिड बिकने बंद हो गए. क्योंकि एसिड बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी. जिसके तहत बिना लाइसेंस के एसिड बेचना गैरकानूनी हो गया था, लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर अभी भी एसिड उपलब्ध है, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि इसको लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने कुछ ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स को समन भेजा था. जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एसिड नहीं बेच सकते हैं.
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भारत के रास्ते ह्यूमन ट्रैफिकिंग: राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि कोविड काल के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले बढ़े हैं. नेपाल और दूसरे देश, भारत को रूट बनाकर अन्य देशों में महिलाओं की तस्करी कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले बढ़ रहे हैं. उसी क्रम में पुलिस की मुस्तैदी भी बढ़ी है. क्योंकि तस्करी की गई महिलाओं की रेस्क्यू भी बढ़ी है. भारत सरकार भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले को गंभीरता से ले रही है. लिहाजा जल्द ही भारत सरकार ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर लगाम लगाने को लेकर नया एक्ट ला रही है, जिसे अगले पार्लियामेंट में लाया जा सकता है.

समाज के भय से मुक्त हो रही महिलाएं: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे महिला अपराध पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में महिलाएं आधी आबादी का नेतृत्व करती हैं. ऐसे में महिलाओं के प्रति एक भी अपराध स्वीकार नहीं है. महिलाओं से जुड़े अपराध के जो मामले सामने आ रहे हैं, उसे यह स्पष्ट है कि महिलाएं अब अपराध को सहन नहीं कर रही हैं. अब महिलाएं अपने साथ होने वाले अपराधों को लेकर जगजाहिर होना, समाज क्या कहेगा, शर्मिंदा होना पड़ेगा, इस सबसे मुक्त हो चुकी हैं. ऐसे में महिलाएं अपने अधिकारों को पहचानते हुए मामलों को दर्ज करवा रही हैं. जिन भी लोगों ने महिलाओं के साथ अपराध किए हैं, वो आज जेल में हैं.
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महिलाओं सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाए बड़े कदम: रेखा आर्य ने कहा सिस्टम को और दुरुस्त किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने हाल ही में गौरा शक्ति एप को लॉन्च किया है. जिस पर महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं. इसके अलावा कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत हर जिले में छात्रावास बनाए जाने का निर्णय लिया गया है. महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत 181 और 1090 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. यही नहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी और सभी थानों को इस बाबत निर्देश दिए हैं कि अगर महिलाओं से जुड़े कोई भी शिकायत सामने आते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की जाए.
उत्तराखंड में महिला अपराध के मामले.

WOMEN CRIME
उत्तराखंड में बढ़ता महिला अपराध.

प्रॉस्टिट्यूशन के लिए 15 महिलाओं की तस्करी: आंकड़ों पर गौर करें तो देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के साल 2019 में 2,208 मामले, साल 2020 में 1,714 मामले और साल 2021 में 2,189 मामले सामने आए थे. इसी क्रम में उत्तराखंड में भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में उछाल देखा गया है. साल 2019 में 20 मामले, साल 2020 में 9 मामले और साल 2021 में 22 मामले सामने आए थे. उत्तराखंड में साल 2021 में हुए 22 ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में 9 लड़कियां 18 साल से कम उम्र की और 13 महिलाएं 18 साल से अधिक उम्र की शामिल है. इसके साथ ही इनमें से 15 महिलाओं को प्रॉस्टिट्यूशन के लिए तस्करी किया गया था. हालांकि, ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में पुलिस प्रशासन को करीब शत प्रतिशत सफलता हाथ लगी है.

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