मेरठ: लालालाजपत राय मेडिकल कॉलेज (Lala Lajpat Rai Memorial Medical College Meerut) में ये ऑपरेशन हुआ. इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले डॉक्टर रोहित चौहान ने कहा कि 210 मिनट तक मरीज का दिल बंद रहा, लेकिन हाईटेक मशीनों से उसका दिल धड़कता रहा. अगर तीन मिनट ब्रेन को ब्लड नहीं मिला, तो ब्रेन डेड हो जाएगा. तीन मिनट वो गोल्डन टाइम है, जिसमें लाइफ मिल सकती है और डेथ भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज मेरठ में ऐसा आपरेशन पहली बार हुआ है. लालालाजपत राय मेडिकल कॉलेज में इस ऑपरेशन का खर्चा भी बेहद कम आया है.
मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर वीडी पाण्डेय ने बताया 34 वर्षीय कविता पत्नी राजू का ऑपरेशन हुआ. वो मेरठ के कंकरखेडा की रहने वाली हैं. उनको घबराहट, असामान्य हृदय गति और छाती में दर्द की परेशानी पिछले दो साल से थी. उन्होंने कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में परामर्श लिया, लेकिन वेटिंग लिस्ट लम्बी होने के कारण वहां उनका इलाज नहीं हो सका. इसके बाद उन्होंने मेडिकल कालेज मेरठ के कार्डियो थोरेसिक सर्जरी ओपीडी में परामर्श लिया. जांच कराने पर पता चला कि मरीज का माइट्रल वाल्व खराब हो चुका है. इस कारण रक्त का प्रत्यावहन (बैक फ्लो) हो रहा है. मरीज को माइट्रल वॉल्व को बदलने की सर्जरी का परामर्श दिया गया.
कार्डियो थोरेसिक सर्जरी विभाग के सह आचार्य डाक्टर रोहित कुमार चौहान एवं उनकी टीम (ऐनेस्थीसिया डॉ. सुभाष दहिया, सर्जन डॉ. रोहित कुमार चौहान, परफयूज़निस्ट विमल चौहान, ओटी इंचार्ज हिमाली पौहान, स्टाफ बुशरा और नीतू ने मैकेनिकल हार्ट वाल्व का सफल प्रत्यारोपण हार्ट लंग मशीन की सहायता से मेडिकल कालेज मेरठ में करने का कीर्तिमान हासिल किया.
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