मुजफ्फरपुर : परिवार नियोजन.. परिवार नियोजन.. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक परिवार नियोजन को लेकर चीख-चीखकर चिल्लाते हैं. पर जिस राज्य के मुख्यमंत्री इस बात को लेकर जोर देते हैं उसी राज्य में सरकारी अमला इसका पलीदा लगा रहे हैं. जी हां कुछ ऐसा ही मुजफ्फरपुर में देखने को मिला है.
नसबंदी के बावजूद बच्चे का जन्म : बात अजीब जरूर लग रही होगी, पर ये बात सौ टका सच है. नसबंदी के बाद भी बच्चों ने जन्म लिया. वो भी एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार. इसके बाद से एक परिवार कार्यालय का चक्कर काट रहा है. पूरा मामला मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट क्षेत्र के केवटसा का है.
नसबंदी के बाद भी महिला हो रही गर्भवती : 35 वर्षीय महिला सीमा देवी (बदला हुआ नाम) ने वर्ष 2015 में नसबंदी कराई. इसके बाद भी उन्हें बच्चा हुआ. उन्होंने नसबंदी के बाद दो बच्चो को जन्म दिया. अब वर्ष 2023 में वह फिर से गर्भवती हैं. इसके बाद से उनका पूरा परिवार काफी चिंतित है. पति धीमान सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि सीमा की नसबंदी गायघाट के सरकारी अस्पताल में कराई थी.
''नसबंदी ऑपरेशन होने के बावजूद भी गर्भ ठहर गया. गर्भ का पता चलने पर तत्कालीन सिविल सर्जन के पास शिकायत दर्ज कराई. लेकिन, सब ठंडे बस्ते में चला गया. शिकायत के बाद भी सीमा ने बच्चो को जन्म दिया.''- धीमान सिंह, सीमा देवी के पति
गायघाट पीएचसी में कराया ऑपरेशन : धीमान ने बताया कि वह दूसरे के खेतों में मेहनत-मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं. लगभग 20 साल पहले उनकी शादी सीमा से हुई थी. परिवार में पहले से चार संतान है. जिसमें 2008 में बेटी, 2009 में बेटा, 2011 और 2013 में बेटियों का जन्म हुआ. इसके बाद परिवार सीमित रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर 2015 में पत्नी का परिवार नियोजन ऑपरेशन गायघाट पीएचसी में लगे कैंप में करवा दिया था.
ऑपरेशन के तीन साल बाद हो गया बच्चा : परिवार नियोजन ऑपरेशन के 3 साल के बाद 2018 में सीमा एक बार फिर से गर्भवती हुई. इसकी जानकारी तत्कालीन सिविल सर्जन को दी. शिकायत के बाद जांच का आदेश सिविल सर्जन ने दिया. जांच के क्रम में ही 2018 में बेटे और 2020 में बेटी का जन्म हुआ. फिर सीमा को तत्कालीन सिविल सर्जन के द्वारा 6000 रुपया की मुआवजा की राशि भी दी गई.
फिर से जांच का दिया गया भरोसा : बताया जाता है कि, नसबंदी ऑपरेशन फेल होने की शिकायत और संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए यह परिवार पिछले 9 वर्षो से स्वास्थ्य विभाग का चक्कर लगा रहा है, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली. जब इस पूरे मामले को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर ज्ञान शंकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ''मुझे इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है. क्योंकि यह नसबंदी मेरे समय का नहीं है, फिर भी पता करता हूं. जांच की जाएगी.''
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