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गर्भवती को कपड़े की पालकी के सहारे ले गए अस्पताल, रास्ते में बच्चे का जन्म - lack of roads in kolhapur

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक गर्भवती महिला को कपड़े के पालने में उठाकर अस्पताल ले जाया गया. उसने रास्ते में ही जंगल में बच्चे को जन्म दिया. गनीमत ये रही कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं.

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गर्भवती को कपड़े की पालकी के सहारे ले गए अस्पताल
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Published : Feb 23, 2022, 3:45 PM IST

कोल्हापुर : अजरा तालुका के पेरनोली धनगरवाड़ा (Pernoli Dhangarwada in Ajra taluka) में सड़क नहीं बन पाई है. इस वजह से लोगों को अस्पताल ले जाने तक में परेशानी होती है. 21 फरवरी की रात भी इसी तरह का मामला सामने आया जब एक गर्भवती को कपड़े के सहारे कई लोग उठाकर अस्पताल ले गए.

सौभाग्य से महिला और उसका बच्चा सुरक्षित हैं. महिला के पति ने कहा, पिछले कई सालों से यहां के नागरिक इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं तो क्या किसी की मौत के बाद ही प्रशासन जागेगा?

देखिए वीडियो

जयवंत ज़ोरे के अनुसार, उनकी पत्नी रंजना को 21 फरवरी को रात लगभग 10.30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई. सड़क नहीं होने के कारण परिजनों के सामने सवाल खड़ा हो गया कि उसे अस्पताल कैसे ले जाया जाए. गांव के बाकी 10-15 लोगों ने घर में कपड़े की चादर का पालना बनाकर उसे ले जाने का फैसला किया. सड़क नहीं होने से वाहन नहीं आ सके.

महिला को कपड़े के पालने में लिटाया गया. रोशनी के लिए बैट्री के सहारे उजाला कर किसी तरह अस्पताल के लिए निकले. हालांकि, नवलकरवाड़ी में अस्पताल ले जाने से पहले महिला ने जंगल में पालने में ही बच्चे को जन्म दिया.

पढ़ें- सैल्यूट : पुंछ में सेना के जवानों ने गर्भवती को कंधे पर उठाकर पहुंचाया अस्पताल

मसूरी: बर्फबारी के कारण जाम में फंसी प्रसव पीड़िता, लोगों ने इस तरह पहुंचाया अस्पताल

कोल्हापुर : अजरा तालुका के पेरनोली धनगरवाड़ा (Pernoli Dhangarwada in Ajra taluka) में सड़क नहीं बन पाई है. इस वजह से लोगों को अस्पताल ले जाने तक में परेशानी होती है. 21 फरवरी की रात भी इसी तरह का मामला सामने आया जब एक गर्भवती को कपड़े के सहारे कई लोग उठाकर अस्पताल ले गए.

सौभाग्य से महिला और उसका बच्चा सुरक्षित हैं. महिला के पति ने कहा, पिछले कई सालों से यहां के नागरिक इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं तो क्या किसी की मौत के बाद ही प्रशासन जागेगा?

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जयवंत ज़ोरे के अनुसार, उनकी पत्नी रंजना को 21 फरवरी को रात लगभग 10.30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई. सड़क नहीं होने के कारण परिजनों के सामने सवाल खड़ा हो गया कि उसे अस्पताल कैसे ले जाया जाए. गांव के बाकी 10-15 लोगों ने घर में कपड़े की चादर का पालना बनाकर उसे ले जाने का फैसला किया. सड़क नहीं होने से वाहन नहीं आ सके.

महिला को कपड़े के पालने में लिटाया गया. रोशनी के लिए बैट्री के सहारे उजाला कर किसी तरह अस्पताल के लिए निकले. हालांकि, नवलकरवाड़ी में अस्पताल ले जाने से पहले महिला ने जंगल में पालने में ही बच्चे को जन्म दिया.

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