सूरत : आने वाले दिनों में ब्लड प्रेशर मशीन (blood pressure machine) की तरह घुटने की बीमारी की जानकारी घर बैठे आसानी से मिल सकेगी. इस सुविधा के लिए सूरत में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Sardar Vallabhbhai Patel National Institute of Technology ) के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor of Electronics department) और उनके पीएचडी छात्रों ने एक विशेष सेंसर तकनीक तैयार की है.
SVNIT में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीयूष पटेल (Dr. Piyush Patel)और पीएचडी के छात्र अर्पण शाह (Arpan Shah) और हिरेन धुडा (Hiren Dhuda) द्वारा एक विशेष सेंसर विकसित किया गया है.
इस मामले में डॉ पीयूष पटेल ने ईटीवी भारत से कहा कि घुटने की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिससे ज्यादातर लोग पीड़ित हैं. इसमें एक्स-रे डायग्नोसिज (X-ray diagnosis) के बाद उपचार किया जाता है, जबकि एक्स-रे रेडिएशन (X-ray radiation) घातक भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में हमें अपने सेंसर के लिए एक पैटर्न मिला है.
इसे घुटने के दर्द के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें लगे डिजाइन एंटीना सेंसर (antenna sensors) से डॉक्टर मरीज के घुटने को देखता है और एक्स-रे के लिए कहता है और फिर एक्स-रे इमेज से निदान करने में सक्षम होता है.
डॉ पीयूष पटेल ने आगे कहा कि जब हम इस सेंसर को अपने घुटनों पर लगाएंगे, तो घुटने के अंदर पानी, खून या मवाद होगा, तो सेंसर में लगाए गए फिल्टर से पता चल जाएगा कि घुटने में कितना पानी है.
उन्होंने बताया कि अभी यह डिजाइन मोड (design mode) में है और हम एक सिम्युलेटर (simulator) पर काम कर रहे हैं. हमने अपने सिम्युलेटर को फैंटम बॉडी पर प्रयोग किया है और अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं.
हमारे पास एक कम्प्यूटरीकृत इम्ब्रोइडरी मशीन (computerized embroidery machine) है. हम इम्ब्रोइडरी मशीन पर डिजाइन किए गए सेंसर को प्रिंट करेंगे. इसके लिए प्रशिक्षण बोर्ड (training board ) भी खरीदा जाएगा. परियोजना को SVNIT के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Biotechnology Department ) से 18 लाख रुपये का अनुदान मिला है.
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उन्होंने कहा कि इसमें ब्लड प्रेशर मशीन की तरह ही बेल्ट होगी. मरीजों को एक्स-रे के लिए अस्पताल या लैब जाना पड़ता है, जहां समय लगता है और फिर एक्स रे डॉक्टर के पास आती है.
यह मशीन पोर्टेबल होगी और सिर्फ 10 मिनट में यह इमेजनिंग करके आपको बता देगी कि घुटने में कितना पानी है. दूसरी बात यह है कि इसमें, जो रेडिएशन होता है वह भी बहुत कम हानिकारक होता है.