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Watch: मणिपुर में यूपीएफ और केएनओ उग्रवादी समूहों से एसओओ वापस लें : COCOMA

मणिपुर में कुकी और मेइती के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के बीच गृह मंत्रालय बुधवार को उग्रवादी संगठनों के साथ एसओओ के विस्तार की समीक्षा करेगा. इसे लेकर मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन न बढ़ाने की अपील की है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

COCOMA के प्रवक्ता अथौबा
अथौबा
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Published : Jul 25, 2023, 11:01 PM IST

सुनिए क्या कहा

नई दिल्ली: सभी समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाले प्रभावशाली नागरिक निकाय, मणिपुर इंटीग्रिटी समन्वय समिति (COCOMA) ने मंगलवार को गृह मंत्रालय (MHA) से यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO), मणिपुर स्थित उग्रवादी संगठनों के 18 घटकों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) को नहीं बढ़ाने की अपील की. मणिपुर में कुकी और मेइती के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के बीच गृह मंत्रालय बुधवार को इन उग्रवादी संगठनों के साथ एसओओ के विस्तार की समीक्षा करेगा.

COCOMA के प्रवक्ता अथौबा ने नई दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार मणिपुर की मूल आबादी को बचाने के लिए इन चिन-कुकी-ज़ो उग्रवादी समूहों से एसओओ वापस ले.'

उन्होंने कहा कि 'सशस्त्र चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों के साथ भारत सरकार का व्यवहार और प्रबंधन, मणिपुर के स्वदेशी मैतेई नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.' उन्होंने कहा, इसने उनके अस्तित्व को वैध बना दिया है.

अथौबा ने दावा किया, 'चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों द्वारा सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) ग्राउंड नियमों के उल्लंघन के कई सबूतों के बावजूद भारत सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. ये गैरकानूनी है.'

2008 से पूर्व उग्रवादी समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूपीएफ और केएनओ ने भारत सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर अपनी नाकेबंदी भी वापस ले ली है. 22 अगस्त, 2008 को कुकी नेशनल फ्रंट (मिलिट्री काउंसिल), कुकी नेशनल फ्रंट (ज़ोगम), यूनाइटेड सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी आर्मी (यूएसआरए), यूनाइटेड माइनॉरिटी लिबरेशन आर्मी (ओल्ड कुकी), यूनाइटेड कोमेर रिवोल्यूशनरी आर्मी, ज़ौमी रीयूनिफिकेशन फ्रंट, ज़ू डिफेंस वालंटियर, हमार नेशनल आर्मी, कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी (एकीकरण), कुकी लिबरेशन आर्मी (केएलए), कुकी नेशनल आर्मी सहित यूपीएफ और केएनओ घटकों ने भारत और मणिपुर सरकार के साथ एसओओ पर हस्ताक्षर किए हैं.

यह कहते हुए कि मणिपुर सरकार ने एसओओ से हटने और चिन-कुकी सशस्त्र समूहों को आतंकवादी घोषित करने का फैसला किया है, अथौबा ने इन सभी उग्रवादी संगठनों पर युद्धविराम के जमीनी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.

मणिपुर सरकार ने 10 मार्च, 2023 को KNA, ZRA, KNF (MC) जैसे उग्रवादी समूहों के साथ SoO से हटने का फैसला किया. इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अथौबा ने कहा कि 125000 एकड़ पहाड़ी इलाकों में पोस्ता की खेती होती है. उन्होंने कहा कि 'मणिपुर के कुकी के पहाड़ी इलाकों से हर साल लगभग 650 मीट्रिक टन अफ़ीम का उत्पादन होता है. सालाना 50,000 करोड़ से 65,000 करोड़ राजस्व सृजन. इन क्षेत्रों की सुरक्षा और प्रबंधन सशस्त्र चिन-कुकी उग्रवादियों द्वारा किया जाता है. सभी कुकी बस्ती क्षेत्रों और आसपास की पहाड़ियों के पहाड़ी इलाकों में संचालित होते हैं...' अथौबा ने पूछा कि 'क्या भारत सरकार जानबूझकर इस क्षेत्र में नार्को-आतंकवाद का समर्थन कर रही है?'

उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार इन सभी सबूतों के बावजूद चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों को शामिल करना और उन्हें वैध बनाना जारी रखती है, तो मणिपुर के लोग मणिपुर में उभरते चिन-कुकी नार्को-आतंकवाद से लड़ने के लिए अपना भविष्य निर्धारित करने के लिए हर चीज को चुनौती देंगे.

COCOMI के प्रवक्ता ने कहा, 'भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ने इन सभी हिंसाओं के पीछे की राजनीति को समझने के लिए पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं और फिर भी कुछ नहीं कर रही है. हम अपने अस्तित्व के लिए, अपनी युवा पीढ़ियों के लिए लड़ने के लिए अपने लोगों की पूरी ताकत का उपयोग करेंगे. हम नार्को-इकोनॉमी सहित इन SoO समझौतों की छाया में भारत सरकार द्वारा खेले जा रहे छद्म खेल का पर्दाफाश करेंगे.'

अथौबा ने कहा कि 'संघर्ष में जेडआरए कैडरों की खुली भागीदारी है, मैतेई गांवों के तलहटी नागरिक क्षेत्रों में झंडे फहराए जा रहे हैं और चूराचांदपुर शहर में अत्याधुनिक हथियारों के साथ पूर्ण लड़ाकू कपड़े पहने कैडरों का प्रदर्शन किया जा रहा है.ट

अथौबा ने कहा, 'भारत सरकार ज़िम्मेदार है और एसओओ उन्हें अफ़ीम की खेती में सीधे शामिल होने से बचाता है और प्रोत्साहित करता है. मणिपुर दुनिया में अफीम के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है और चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी और एसओओ समूह प्रमुख खिलाड़ी हैं जिनकी भारत सरकार राजनीतिक रूप से उनकी अवैध गतिविधियों को वैध बना रही है. इसका सीधा असर देश के युवाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ेगा और इससे भी बड़ी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई भू-राजनीतिक प्रभाव वाली स्थिति और भी कठिन हो जाएगी.'

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नई दिल्ली: सभी समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाले प्रभावशाली नागरिक निकाय, मणिपुर इंटीग्रिटी समन्वय समिति (COCOMA) ने मंगलवार को गृह मंत्रालय (MHA) से यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO), मणिपुर स्थित उग्रवादी संगठनों के 18 घटकों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) को नहीं बढ़ाने की अपील की. मणिपुर में कुकी और मेइती के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के बीच गृह मंत्रालय बुधवार को इन उग्रवादी संगठनों के साथ एसओओ के विस्तार की समीक्षा करेगा.

COCOMA के प्रवक्ता अथौबा ने नई दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार मणिपुर की मूल आबादी को बचाने के लिए इन चिन-कुकी-ज़ो उग्रवादी समूहों से एसओओ वापस ले.'

उन्होंने कहा कि 'सशस्त्र चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों के साथ भारत सरकार का व्यवहार और प्रबंधन, मणिपुर के स्वदेशी मैतेई नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.' उन्होंने कहा, इसने उनके अस्तित्व को वैध बना दिया है.

अथौबा ने दावा किया, 'चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों द्वारा सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) ग्राउंड नियमों के उल्लंघन के कई सबूतों के बावजूद भारत सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. ये गैरकानूनी है.'

2008 से पूर्व उग्रवादी समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूपीएफ और केएनओ ने भारत सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर अपनी नाकेबंदी भी वापस ले ली है. 22 अगस्त, 2008 को कुकी नेशनल फ्रंट (मिलिट्री काउंसिल), कुकी नेशनल फ्रंट (ज़ोगम), यूनाइटेड सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी आर्मी (यूएसआरए), यूनाइटेड माइनॉरिटी लिबरेशन आर्मी (ओल्ड कुकी), यूनाइटेड कोमेर रिवोल्यूशनरी आर्मी, ज़ौमी रीयूनिफिकेशन फ्रंट, ज़ू डिफेंस वालंटियर, हमार नेशनल आर्मी, कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी (एकीकरण), कुकी लिबरेशन आर्मी (केएलए), कुकी नेशनल आर्मी सहित यूपीएफ और केएनओ घटकों ने भारत और मणिपुर सरकार के साथ एसओओ पर हस्ताक्षर किए हैं.

यह कहते हुए कि मणिपुर सरकार ने एसओओ से हटने और चिन-कुकी सशस्त्र समूहों को आतंकवादी घोषित करने का फैसला किया है, अथौबा ने इन सभी उग्रवादी संगठनों पर युद्धविराम के जमीनी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.

मणिपुर सरकार ने 10 मार्च, 2023 को KNA, ZRA, KNF (MC) जैसे उग्रवादी समूहों के साथ SoO से हटने का फैसला किया. इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अथौबा ने कहा कि 125000 एकड़ पहाड़ी इलाकों में पोस्ता की खेती होती है. उन्होंने कहा कि 'मणिपुर के कुकी के पहाड़ी इलाकों से हर साल लगभग 650 मीट्रिक टन अफ़ीम का उत्पादन होता है. सालाना 50,000 करोड़ से 65,000 करोड़ राजस्व सृजन. इन क्षेत्रों की सुरक्षा और प्रबंधन सशस्त्र चिन-कुकी उग्रवादियों द्वारा किया जाता है. सभी कुकी बस्ती क्षेत्रों और आसपास की पहाड़ियों के पहाड़ी इलाकों में संचालित होते हैं...' अथौबा ने पूछा कि 'क्या भारत सरकार जानबूझकर इस क्षेत्र में नार्को-आतंकवाद का समर्थन कर रही है?'

उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार इन सभी सबूतों के बावजूद चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों को शामिल करना और उन्हें वैध बनाना जारी रखती है, तो मणिपुर के लोग मणिपुर में उभरते चिन-कुकी नार्को-आतंकवाद से लड़ने के लिए अपना भविष्य निर्धारित करने के लिए हर चीज को चुनौती देंगे.

COCOMI के प्रवक्ता ने कहा, 'भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ने इन सभी हिंसाओं के पीछे की राजनीति को समझने के लिए पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं और फिर भी कुछ नहीं कर रही है. हम अपने अस्तित्व के लिए, अपनी युवा पीढ़ियों के लिए लड़ने के लिए अपने लोगों की पूरी ताकत का उपयोग करेंगे. हम नार्को-इकोनॉमी सहित इन SoO समझौतों की छाया में भारत सरकार द्वारा खेले जा रहे छद्म खेल का पर्दाफाश करेंगे.'

अथौबा ने कहा कि 'संघर्ष में जेडआरए कैडरों की खुली भागीदारी है, मैतेई गांवों के तलहटी नागरिक क्षेत्रों में झंडे फहराए जा रहे हैं और चूराचांदपुर शहर में अत्याधुनिक हथियारों के साथ पूर्ण लड़ाकू कपड़े पहने कैडरों का प्रदर्शन किया जा रहा है.ट

अथौबा ने कहा, 'भारत सरकार ज़िम्मेदार है और एसओओ उन्हें अफ़ीम की खेती में सीधे शामिल होने से बचाता है और प्रोत्साहित करता है. मणिपुर दुनिया में अफीम के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है और चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी और एसओओ समूह प्रमुख खिलाड़ी हैं जिनकी भारत सरकार राजनीतिक रूप से उनकी अवैध गतिविधियों को वैध बना रही है. इसका सीधा असर देश के युवाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ेगा और इससे भी बड़ी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई भू-राजनीतिक प्रभाव वाली स्थिति और भी कठिन हो जाएगी.'

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