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समुद्र में 6 किमी गहरा गोता लगाएंगे भारतीय, 'डीप ओशन' क्षेत्र में होगा प्रवेश - sanjib kumar barua

भारतीय नौसेना की सहायता से तीन भारतीय और गहरे समुद्री खनिजों और ऊर्जा का दोहन करने के उद्देश्य से भारतीय हिंद महासागर में एक पनडुब्बी यान में लगभग 6,000 मीटर की गहराई तक डुबकी लगाएंगे. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

'डीप ओशन'
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Published : Jun 16, 2021, 9:03 PM IST

नई दिल्ली : निकट भविष्य में बहुत जल्द भारतीय नौसेना ( Indian Navy) की सहायता से तीन भारतीय एक डीप पनडुब्बी यान (deep submersible craft) में मध्य हिंद महासागर (central Indian Ocean) के गहरे पानी में 6000 मीटर या 6 किमी की यात्रा करेंगे.

भारतीय नौसेना प्रमुख (Indian Navy chief) एडमिरल करमबीर सिंह (Admiral Karambir Singh) ने पहले कहा था कि मानवसहित और मानव रहित पनडुब्बियों के संचालन में नौसेना का अनुभव, और पानी के भीतर डोमेन ( underwater domain ) की इसकी समझ राष्ट्रीय प्रयास में शामिल होगी, जो कि 'डीप ओशन मिशन' का एक प्रमुख घटक है.

बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी मिशन में मिनिस्टरी ऑफ अर्थ (Ministry of Earth Sciences) नोडल मंत्रालय होगा.

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, मिशन का उद्देश्य पॉली-मेटालिक नोड्यूल्स (poly-metallic nodules), हाइड्रोथर्मल डिपॉजिट्स (hydrothermal deposits) के सर्वेक्षण के साथ-साथ गहरे समुद्र में जैव-विविधता (bio-diversity) पर शोध करना होगा.

बड़े पैमाने पर झरझरा, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल छोटे गोलाकार पिंड (are small roundish lumps ) होते हैं जो समुद्र तल पर 4,000-6,000 मीटर की गहराई पर पाए जाते हैं.

इन पिंडों में मैंगनीज, लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा और दुर्लभ पृथ्वी तत्व और धातुएं होती हैं, जो उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो कंप्यूटर और मोबाइल फोन से लेकर लड़ाकू जेट (fighter jets) तक के उत्पादों की एक श्रृंखला बनाते हैं.

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने वाले पांच वर्ष चलने वाले मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपये होगी. तीन साल (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये होगी.

जिस तरह से सबमर्सिबल वैज्ञानिक सेंसर (scientific sensors) और उपकरणों का एक सूट ले जाएगा, जबकि गहरे समुद्र में खनिजों और ऊर्जा की खोज और दोहन के व्यापक उद्देश्य के साथ पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली विकसित की जाएगी.

एक्सप्लोरेशन (exploration) के प्रयास के बाद संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) द्वारा विकसित किए जाने के बाद वाणिज्यिक शोषण (वाणिज्यिक कमर्शियल एक्सप्लोयटेशन (commercial exploitation) शुरू हो जाएगा.

गौरतलब है कि बहुत कम देशों के पास इस तरह के गहरे समुद्र में उद्यम करने की तकनीक है.

पढ़ें - इस फैसले के बाद आपके सोने का क्या होगा ? जानिये हॉलमार्क से जुड़े हर सवाल का जवाब

सबसे गहरे मानवयुक्त समुद्री गोता लगाने का रिकॉर्ड एक एक्सप्लोर्र विक्टर वेस्कोवो (Victor Vescovo) के नाम है, जिन्होंने मई, 2019 में मारियाना ट्रेंच समुद्र तल (Mariana Trench sea floor) को 10,928 मीटर पर छुआ था.

10 नवंबर 2020 को मारियाना ट्रेंच पर पृथ्वी के सबसे गहरे बिंदुओं में से एक पर एक चीनी सबमर्सिबल क्राफ्ट (Chinese submersible craft) फेन्डौज़े तीन शोधकर्ताओं को लगभग 10,909 मीटर की प्लंबिंग गहराई तक ले गया था.

फेन्डौज़े का संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ एकॉस्टिक्स (Institute of Acoustics) ,चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज ( Chinese Academy of Sciences ) द्वारा किया जाता है.

महासागर का पृथ्वी के 70 प्रतिशत सतह क्षेत्र के हिस्से पर कब्जा है, जिनमें से लगभग 95 प्रतिशत गहरे महासागर का अन्वेषण नहीं किया जा सका है. 7,517 किमी लंबी तटरेखा और 1,382 द्वीपों के साथ भारत की एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है.

नई दिल्ली : निकट भविष्य में बहुत जल्द भारतीय नौसेना ( Indian Navy) की सहायता से तीन भारतीय एक डीप पनडुब्बी यान (deep submersible craft) में मध्य हिंद महासागर (central Indian Ocean) के गहरे पानी में 6000 मीटर या 6 किमी की यात्रा करेंगे.

भारतीय नौसेना प्रमुख (Indian Navy chief) एडमिरल करमबीर सिंह (Admiral Karambir Singh) ने पहले कहा था कि मानवसहित और मानव रहित पनडुब्बियों के संचालन में नौसेना का अनुभव, और पानी के भीतर डोमेन ( underwater domain ) की इसकी समझ राष्ट्रीय प्रयास में शामिल होगी, जो कि 'डीप ओशन मिशन' का एक प्रमुख घटक है.

बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी मिशन में मिनिस्टरी ऑफ अर्थ (Ministry of Earth Sciences) नोडल मंत्रालय होगा.

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, मिशन का उद्देश्य पॉली-मेटालिक नोड्यूल्स (poly-metallic nodules), हाइड्रोथर्मल डिपॉजिट्स (hydrothermal deposits) के सर्वेक्षण के साथ-साथ गहरे समुद्र में जैव-विविधता (bio-diversity) पर शोध करना होगा.

बड़े पैमाने पर झरझरा, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल छोटे गोलाकार पिंड (are small roundish lumps ) होते हैं जो समुद्र तल पर 4,000-6,000 मीटर की गहराई पर पाए जाते हैं.

इन पिंडों में मैंगनीज, लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, सीसा और दुर्लभ पृथ्वी तत्व और धातुएं होती हैं, जो उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो कंप्यूटर और मोबाइल फोन से लेकर लड़ाकू जेट (fighter jets) तक के उत्पादों की एक श्रृंखला बनाते हैं.

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने वाले पांच वर्ष चलने वाले मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपये होगी. तीन साल (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये होगी.

जिस तरह से सबमर्सिबल वैज्ञानिक सेंसर (scientific sensors) और उपकरणों का एक सूट ले जाएगा, जबकि गहरे समुद्र में खनिजों और ऊर्जा की खोज और दोहन के व्यापक उद्देश्य के साथ पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली विकसित की जाएगी.

एक्सप्लोरेशन (exploration) के प्रयास के बाद संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) द्वारा विकसित किए जाने के बाद वाणिज्यिक शोषण (वाणिज्यिक कमर्शियल एक्सप्लोयटेशन (commercial exploitation) शुरू हो जाएगा.

गौरतलब है कि बहुत कम देशों के पास इस तरह के गहरे समुद्र में उद्यम करने की तकनीक है.

पढ़ें - इस फैसले के बाद आपके सोने का क्या होगा ? जानिये हॉलमार्क से जुड़े हर सवाल का जवाब

सबसे गहरे मानवयुक्त समुद्री गोता लगाने का रिकॉर्ड एक एक्सप्लोर्र विक्टर वेस्कोवो (Victor Vescovo) के नाम है, जिन्होंने मई, 2019 में मारियाना ट्रेंच समुद्र तल (Mariana Trench sea floor) को 10,928 मीटर पर छुआ था.

10 नवंबर 2020 को मारियाना ट्रेंच पर पृथ्वी के सबसे गहरे बिंदुओं में से एक पर एक चीनी सबमर्सिबल क्राफ्ट (Chinese submersible craft) फेन्डौज़े तीन शोधकर्ताओं को लगभग 10,909 मीटर की प्लंबिंग गहराई तक ले गया था.

फेन्डौज़े का संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ एकॉस्टिक्स (Institute of Acoustics) ,चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज ( Chinese Academy of Sciences ) द्वारा किया जाता है.

महासागर का पृथ्वी के 70 प्रतिशत सतह क्षेत्र के हिस्से पर कब्जा है, जिनमें से लगभग 95 प्रतिशत गहरे महासागर का अन्वेषण नहीं किया जा सका है. 7,517 किमी लंबी तटरेखा और 1,382 द्वीपों के साथ भारत की एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है.

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