ETV Bharat / bharat

दरबार मूव पर राजनेताओं की बंटी राय, क्या वाकई खत्म होगी प्राचीन परंपरा? - क्या वाकई खत्म होगी प्राचीन परंपरा?

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) प्रशासन ने हाल ही में दरबार मूव (Darbar Move) की 149 साल पुरानी परंपरा को खत्म करने का फैसला किया है. कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि भाजपा इसके पक्ष में है. भाजपा का कहना है कि इस पर खर्च होने वाला धन कल्याणकारी योजनाओं पर किया जा सकता है.

दरबार मूव
दरबार मूव
author img

By

Published : Jul 5, 2021, 9:38 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 11:13 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में कुछ राजनीतिक दल एलजी प्रशासन के दरबार मूव (Darbar Move) को खत्म करने के कदम का विरोध कर रहे हैं. अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी का कहना है कि दरबार मूव न केवल दोनों क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे के करीब आने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम कारोबारियों के लिए रोजगार भी प्रदान करता है.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में दरबार मूव की 149 साल पुरानी परंपरा को खत्म करने का फैसला किया है. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन ने भी कुछ दिन पहले श्रीनगर और जम्मू सिविल सचिवालय के कर्मचारियों को सरकारी आवास 21 दिनों के भीतर खाली करने का आदेश जारी किया था.

दरबार मूव पर राजनेताओं की बंटी राय

क्वार्टर खाली करने के दिए थे आदेश

आदेश के अनुसार, श्रीनगर के कर्मचारियों को जम्मू में उपलब्ध कराए गए आवास को खाली करना होगा, जबकि जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर में अपना आवासीय क्वार्टर खाली करना होगा.

इससे पहले प्रशासन ने यह भी घोषणा की थी कि जम्मू और श्रीनगर में सिविल सचिवालय मिलकर काम करेगा. कश्मीर के कर्मचारी श्रीनगर में काम करेंगे और जम्मू क्षेत्र के कर्मचारी जम्मू के सिविल सचिवालय में काम करेंगे. जबकि प्रशासनिक सचिव जम्मू और श्रीनगर का बारी-बारी से शेड्यूल के अनुसार दौरा करेंगे.

प्रबंधन ने कहा कि पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया गया है और ई-सिस्टम की शुरुआत से कहीं से भी काम करना संभव हो गया है. इस प्रक्रिया से न सिर्फ लोगों का जीवन आसान होगा बल्कि कोर्ट को स्थानांतरित करने पर खर्च होने वाले 200 करोड़ रुपये की भी बचत होगी.

भाजपा ने किया फैसले का स्वागत

जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव के वार्षिक स्थानांतरण को रद्द करने के उपराज्यपाल प्रशासन के प्रस्तावित निर्णय का स्वागत करते हुए, भाजपा प्रवक्ता मंजूर अहमद बट ने कहा कि सदियों पुरानी परंपरा को बदलने की जरूरत है क्योंकि सालाना दरबार मूव पर होने वाला खर्च आखिरकार जनता के पैसे से होता है.

कारोबारियों को रोजगार देता है दरबार मूव : अपनी पार्टी

इस बीच, जम्मू-कश्मीर में कुछ राजनीतिक दल एलजी प्रशासन के इस कदम का विरोध कर रहे हैं. अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी का कहना है कि दरबार मूव न केवल क्षेत्र के लोगों को एक-दूसरे के करीब आने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम कारोबारियों को रोजगार भी प्रदान करता है.

फैसले की जरूरत क्यों पड़ी : पीडीपी

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी इस फैसले को जनविरोधी बता रही है. पीडीपी के वरिष्ठ नेता रऊफ बट ने कहा कि एलजी प्रबंधन को यह बताना चाहिए कि इस फैसले की जरूरत क्यों पड़ी. क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर के लोगों में कई डर पैदा कर दिए हैं.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले महीने घोषणा की थी कि मूव के दो बार हस्तांतरण को रद्द करने से करोड़ों रुपये की बचत होगी और धन का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाएगा. लेकिन अब ज्यादातर राजनीतिक दलों के विरोध के बाद देखना होगा कि प्रशासन अपने फैसले पर कायम रहता है या फैसले में कोई बदलाव होता है.

जानिए क्या है दरबार मूव

जम्मू और कश्मीर में दो राजधानियों-श्रीनगर और जम्मू में हर साल सचिवालय स्थानांतरित किया जाता है. मई में श्रीनगर और अक्टूबर-नवंबर में जम्मू. दरबार मूव या राजधानी के परिवर्तन की यह पारंपरिक प्रथा 1872 से प्रचलन में है, जब डोगरा के पूर्व शासक महाराजा रणबीर सिंह ने इसे शुरू किया था. इस पर 200 करोड़ से अधिक का व्यय किया जाता है.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव की परंपरा खत्म

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 1987 में इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी, जब उन्होंने श्रीनगर में सचिवालय को पूरे साल खुला रखने के आदेश जारी किए थे. हालांकि, इस फैसले ने जम्मू क्षेत्र में एक नाराज प्रतिक्रिया पैदा की, जहां वकीलों और राजनीतिक दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया और अब्दुल्ला को अपना निर्णय रद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में कुछ राजनीतिक दल एलजी प्रशासन के दरबार मूव (Darbar Move) को खत्म करने के कदम का विरोध कर रहे हैं. अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी का कहना है कि दरबार मूव न केवल दोनों क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे के करीब आने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम कारोबारियों के लिए रोजगार भी प्रदान करता है.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में दरबार मूव की 149 साल पुरानी परंपरा को खत्म करने का फैसला किया है. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन ने भी कुछ दिन पहले श्रीनगर और जम्मू सिविल सचिवालय के कर्मचारियों को सरकारी आवास 21 दिनों के भीतर खाली करने का आदेश जारी किया था.

दरबार मूव पर राजनेताओं की बंटी राय

क्वार्टर खाली करने के दिए थे आदेश

आदेश के अनुसार, श्रीनगर के कर्मचारियों को जम्मू में उपलब्ध कराए गए आवास को खाली करना होगा, जबकि जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर में अपना आवासीय क्वार्टर खाली करना होगा.

इससे पहले प्रशासन ने यह भी घोषणा की थी कि जम्मू और श्रीनगर में सिविल सचिवालय मिलकर काम करेगा. कश्मीर के कर्मचारी श्रीनगर में काम करेंगे और जम्मू क्षेत्र के कर्मचारी जम्मू के सिविल सचिवालय में काम करेंगे. जबकि प्रशासनिक सचिव जम्मू और श्रीनगर का बारी-बारी से शेड्यूल के अनुसार दौरा करेंगे.

प्रबंधन ने कहा कि पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया गया है और ई-सिस्टम की शुरुआत से कहीं से भी काम करना संभव हो गया है. इस प्रक्रिया से न सिर्फ लोगों का जीवन आसान होगा बल्कि कोर्ट को स्थानांतरित करने पर खर्च होने वाले 200 करोड़ रुपये की भी बचत होगी.

भाजपा ने किया फैसले का स्वागत

जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव के वार्षिक स्थानांतरण को रद्द करने के उपराज्यपाल प्रशासन के प्रस्तावित निर्णय का स्वागत करते हुए, भाजपा प्रवक्ता मंजूर अहमद बट ने कहा कि सदियों पुरानी परंपरा को बदलने की जरूरत है क्योंकि सालाना दरबार मूव पर होने वाला खर्च आखिरकार जनता के पैसे से होता है.

कारोबारियों को रोजगार देता है दरबार मूव : अपनी पार्टी

इस बीच, जम्मू-कश्मीर में कुछ राजनीतिक दल एलजी प्रशासन के इस कदम का विरोध कर रहे हैं. अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी का कहना है कि दरबार मूव न केवल क्षेत्र के लोगों को एक-दूसरे के करीब आने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आम कारोबारियों को रोजगार भी प्रदान करता है.

फैसले की जरूरत क्यों पड़ी : पीडीपी

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी इस फैसले को जनविरोधी बता रही है. पीडीपी के वरिष्ठ नेता रऊफ बट ने कहा कि एलजी प्रबंधन को यह बताना चाहिए कि इस फैसले की जरूरत क्यों पड़ी. क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर के लोगों में कई डर पैदा कर दिए हैं.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले महीने घोषणा की थी कि मूव के दो बार हस्तांतरण को रद्द करने से करोड़ों रुपये की बचत होगी और धन का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाएगा. लेकिन अब ज्यादातर राजनीतिक दलों के विरोध के बाद देखना होगा कि प्रशासन अपने फैसले पर कायम रहता है या फैसले में कोई बदलाव होता है.

जानिए क्या है दरबार मूव

जम्मू और कश्मीर में दो राजधानियों-श्रीनगर और जम्मू में हर साल सचिवालय स्थानांतरित किया जाता है. मई में श्रीनगर और अक्टूबर-नवंबर में जम्मू. दरबार मूव या राजधानी के परिवर्तन की यह पारंपरिक प्रथा 1872 से प्रचलन में है, जब डोगरा के पूर्व शासक महाराजा रणबीर सिंह ने इसे शुरू किया था. इस पर 200 करोड़ से अधिक का व्यय किया जाता है.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव की परंपरा खत्म

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 1987 में इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी, जब उन्होंने श्रीनगर में सचिवालय को पूरे साल खुला रखने के आदेश जारी किए थे. हालांकि, इस फैसले ने जम्मू क्षेत्र में एक नाराज प्रतिक्रिया पैदा की, जहां वकीलों और राजनीतिक दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया और अब्दुल्ला को अपना निर्णय रद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

Last Updated : Jul 5, 2021, 11:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.