अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवसारी तालुका के खुदवेल गांव में एक भीड़ को संबोधित करने वाले हैं. यहां पर मुख्य रूप से जनजातीय आबादी रहती है. चुनाव से पहले सभी पार्टियां जनजातीय आबादी को प्रभावित करने में लगी हुईं हैं. भाजपा भी इसी रणनीति से काम कर रही है. पार्टी के बड़े अधिकारी और सरकारी अधिकारी भी वहां बार-बार दौरा कर रहे हैं. पीएम मोदी खुद 10 जून को गुजरात का दौरा करने वाले हैं.
1995 से ही भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है. जाहिर है, उसके सामने बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा की स्थिति और कमजोर न्यायिक व्यवस्था जैसी चुनौतियां हैं. हिंदुत्व का मुद्दा है. राज्य स्तर पर अलग रणनीति है और केंद्र स्तर पर अलग ढंग की चुनौती है. कांग्रेस पार्टी अपने आंतरिक विरोध में ही उलझी पड़ी है. लेकिन भाजपा के सामने आम आदमी पार्टी जैसी बड़ी चुनौती है. द. गुजरात में जनजातीय आबादी वाले इलाके में बीटीपी की अच्छी पकड़ है. और बीटीपी आप के प्रति सहानुभूति रखती है. आप गुजरात में बिल्कुल ही एक नई क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपने आप को संवार रही है. माना जा रहा है कि वह दिसंबर में होने वाले चुनाव में भाजपा को आमने-सामने की कड़ी टक्कर दे सकती है.
गुजरात में भाजपा को उच्च जाति की पार्टी माना जाता है. कांग्रेस की पैठ जनजातीय इलाकों, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों के बीच है. भाजपा भी कई जातियों की ओर देख रही है. परंपरागत रूप से कहा जाए तो भाजपा किसी भी सूरत में 150 से अधिक सीटें नहीं जीत सकती है, जबतक कि उसे अन्य जातियों का समर्थन न मिल जाए. भाजपा शासनकाल में कुछ खास जातियों का प्रभाव बढ़ा है.
गुजरात में जनजातीय आबादी 15 फीसदी है. 24 सीटों पर उनका सीधा असर है. पिछले चुनाव में भाजपा को 182 में से मात्र 99 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को इन जनजातीय सीटों में से 13 पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा नौ सीटें जीती थीं. बीटीपी को दो सीटें मिली थीं. भाजपा ने इन्हें प्रभावित करने के लिए नर्मदा तापी पार कनेक्शन योजना को रद्द कर दिया था. जाहिर है जनजातीय इलाकों में कुपोषण बड़ी समस्या है. भाजपा सरकार ने इसके लिए फूड प्रोग्राम की शुरुआत की है.
भाजपा के राज्य अध्यक्ष नवसारी से आते हैं. वह सांसद भी हैं. यहीं पर पीएम मोदी बैठक करने वाले हैं. वलसाड को 1997 में जिला का दर्जा हासिल हुआ था. यहां पर विधानसभा की चार सीटें हैं. गणदेवी और वासंदा जनजाति के पास दो-दो सीटें हैं. जिनमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास एक-एक सीट है. बाकी दो सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. नतीजतन, भाजपा के पास चार में से तीन सीटें हैं. बहुत जल्द राहुल गांधी भी यहां पर कार्यक्रम करने वाले हैं.
आदिवासी क्षेत्र की सीटों में, कांग्रेस के पास दांता, खेड़ब्रह्मा, भिलोदा, ज़ालोद, दाहोद, गरबाडा, छोटाउदपुर, जेतपुर, नन्दोद, व्यारा, निज़ार, वासंदा और कपराडा है. संतरामपुर, मोरवाहदाफ, फतेहपुरा, लिमखेड़ा, सांखेड़ा, महुआ, गंडवी, धर्मपुर और उमरगाम उन सीटों में से हैं, जिन पर भाजपा का कब्जा है. बीटीपी के पास दो सीटें हैं, ज़घड़िया और दडियापाड़ा. इसका नेतृत्व छोटू वसावा के पास है.
राजनीतिक विश्लेषक हरेश जाला का दावा है कि बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे बड़े नेता हैं. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका सीधा फायदा मिल सकता है. वह नवसारी में तापी नर्मदा पर कनेक्शन परियोजना के संबंध में बहुत कम या कुछ नहीं कहेंगे. उनकी सरकार के कार्यकाल में आदिवासी समुदायों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. यह उनके हित में काम करेगा. ओबीसी नेताओं को मंत्री पदों पर नियुक्त करके भाजपा 52% वोट हासिल करना चाहती है. यदि भाजपा को आदिवासियों का भी वोट मिलता है, तो जाहिर है उसकी स्थिति और मजबूत होगी. लेकिन फिर विपक्ष का क्या होगा ?