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क्या सोनाली गुहा की राह पर चलेंगे तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता ?

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि सांसदों और विधायकों सहित तृणमूल कांग्रेस के छह और नेताओं ने भी इसी तरह की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि घोष ने उनका नाम लेने से इनकार कर दिया.

सोनाली गुहा
सोनाली गुहा
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Published : May 25, 2021, 2:25 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेता क्लस्ट्रोफोबिक (घबराए हुए) महसूस कर रहे थे और एक-एक करके टीएमसी छोड़ भाजपा खेमे में शामिल होते रहे. इस दौरान उन्होंने जनता के हित में काम करने के दावे भी किए. प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने उन्हें बार-बार गद्दार बताया, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी का संदेश दिया है.

सोनाली गुहा की ममता बनर्जी से तृणमूल कांग्रेस की वापसी की अपील इसी बात की संकेत दे रही है. उन्होंने सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में लौटने की अपनी इच्छा की घोषणा की.

अब यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए अन्य नेता भी गुहा का रास्ता अपनाएंगे. गुहा के अलावा सरला मुर्मू और अमल आचार्य भी उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भी तृणमूल में वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है.

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि सांसदों और विधायकों सहित तृणमूल कांग्रेस के छह और नेताओं ने भी इसी तरह की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि घोष ने उनका नाम लेने से इनकार कर दिया.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा नामांकन से इनकार किए जाने के बाद गुहा फूट-फूट कर रोने लगीथी. इसी तरह विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद राजीव बंदोपाध्याय फूट-फूट कर रो पड़े थे.

इसी तरह प्रोबीर घोषाल और बैशाली डालमिया जैसे विधायकों ने हालांकि तृणमूल नेताओं के प्रति अपनी पीड़ा व्यक्त की, लेकिन ममता बनर्जी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला. इसलिए, राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि उनके लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ फिर से जुड़ना आसान होगा.

गुहा ने स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा में शामिल होने का उनका फैसला गलत था, जबकि अन्य ने सीधे तौर पर इसी तरह के दावे नहीं कर रहे हैं,लेकिन वे सभी ममता बनर्जी और उनके भतीजे अविषेक बनर्जी की प्रशंसा कर रहे हैं.

डालमिया ने दावा किया है कि वह भाजपा के साथ हैं और आगे भी रहेंगी. उन्होंने कहा, मैं लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आई. भले ही मैं इस बार बाली विधानसभा क्षेत्र से हार गई, लेकिन मैं वहां की जनता के साथ हूं.

मुझे तृणमूल में वापस जाने का कोई कारण नहीं दिखता. मुझे तृणमूल से निकाल दिया गया. बाली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के बाद बेघर हो गए हैं. मैंने उनमें से कुछ को आश्रय दिया है.

इस मामले में राजीव बंदोपाध्याय ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है. वह इस समय खुद को किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा में शामिल करने को तैयार नहीं हैं. अभी, समय कोविड-19 संकट पर ध्यान केंद्रित करने का है.

हालांकि, सूत्रों के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद उनकी पत्नी ने मुख्यमंत्री से संपर्क किया है.

पढ़ें - अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, कोविड-19 पर होगी चर्चा

हालांकि, कुणाल घोष ने साफ तौर पर कहा है कि ऐसे नेताओं को पार्टी में वापस लिया जाएगा या नहीं, इस पर अभी फैसला होना बाकी है. उन्होंने कहा, 'पार्टी के खिलाफ शिकायतें हो सकती हैं, लेकिन चुनाव से पहले पार्टी छोड़ना माफी योग्य नहीं है.

हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष इस प्रवृत्ति से चिंतित नहीं हैं. उनका मानना है कि सोनाली गुहा जैसे नेता, जो चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, वह विशेष इरादे से भाजपा में शामिल हुए थे.

अब चूंकि वे इरादे पूरे नहीं हुए, इसलिए वे अब वापस तृणमूल में जाना चाहते हैं. इसका बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन अब से हमारा नेतृत्व अन्य दलों के नेताओं को प्रवेश देने में अधिक सतर्क रहेगा.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेता क्लस्ट्रोफोबिक (घबराए हुए) महसूस कर रहे थे और एक-एक करके टीएमसी छोड़ भाजपा खेमे में शामिल होते रहे. इस दौरान उन्होंने जनता के हित में काम करने के दावे भी किए. प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने उन्हें बार-बार गद्दार बताया, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी का संदेश दिया है.

सोनाली गुहा की ममता बनर्जी से तृणमूल कांग्रेस की वापसी की अपील इसी बात की संकेत दे रही है. उन्होंने सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में लौटने की अपनी इच्छा की घोषणा की.

अब यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए अन्य नेता भी गुहा का रास्ता अपनाएंगे. गुहा के अलावा सरला मुर्मू और अमल आचार्य भी उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भी तृणमूल में वापस जाने की इच्छा व्यक्त की है.

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि सांसदों और विधायकों सहित तृणमूल कांग्रेस के छह और नेताओं ने भी इसी तरह की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि घोष ने उनका नाम लेने से इनकार कर दिया.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा नामांकन से इनकार किए जाने के बाद गुहा फूट-फूट कर रोने लगीथी. इसी तरह विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद राजीव बंदोपाध्याय फूट-फूट कर रो पड़े थे.

इसी तरह प्रोबीर घोषाल और बैशाली डालमिया जैसे विधायकों ने हालांकि तृणमूल नेताओं के प्रति अपनी पीड़ा व्यक्त की, लेकिन ममता बनर्जी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला. इसलिए, राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि उनके लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ फिर से जुड़ना आसान होगा.

गुहा ने स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा में शामिल होने का उनका फैसला गलत था, जबकि अन्य ने सीधे तौर पर इसी तरह के दावे नहीं कर रहे हैं,लेकिन वे सभी ममता बनर्जी और उनके भतीजे अविषेक बनर्जी की प्रशंसा कर रहे हैं.

डालमिया ने दावा किया है कि वह भाजपा के साथ हैं और आगे भी रहेंगी. उन्होंने कहा, मैं लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आई. भले ही मैं इस बार बाली विधानसभा क्षेत्र से हार गई, लेकिन मैं वहां की जनता के साथ हूं.

मुझे तृणमूल में वापस जाने का कोई कारण नहीं दिखता. मुझे तृणमूल से निकाल दिया गया. बाली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के बाद बेघर हो गए हैं. मैंने उनमें से कुछ को आश्रय दिया है.

इस मामले में राजीव बंदोपाध्याय ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है. वह इस समय खुद को किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा में शामिल करने को तैयार नहीं हैं. अभी, समय कोविड-19 संकट पर ध्यान केंद्रित करने का है.

हालांकि, सूत्रों के अनुसार चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद उनकी पत्नी ने मुख्यमंत्री से संपर्क किया है.

पढ़ें - अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, कोविड-19 पर होगी चर्चा

हालांकि, कुणाल घोष ने साफ तौर पर कहा है कि ऐसे नेताओं को पार्टी में वापस लिया जाएगा या नहीं, इस पर अभी फैसला होना बाकी है. उन्होंने कहा, 'पार्टी के खिलाफ शिकायतें हो सकती हैं, लेकिन चुनाव से पहले पार्टी छोड़ना माफी योग्य नहीं है.

हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष इस प्रवृत्ति से चिंतित नहीं हैं. उनका मानना है कि सोनाली गुहा जैसे नेता, जो चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, वह विशेष इरादे से भाजपा में शामिल हुए थे.

अब चूंकि वे इरादे पूरे नहीं हुए, इसलिए वे अब वापस तृणमूल में जाना चाहते हैं. इसका बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन अब से हमारा नेतृत्व अन्य दलों के नेताओं को प्रवेश देने में अधिक सतर्क रहेगा.

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