नई दिल्ली : संसद में चल रहा गतिरोध क्या मंगलवार को खत्म होगा? ये सवाल इस बात को लेकर उठ रहा है क्योंकि सरकार की तरफ से चौतरफा प्रयास किए जा रहे कि मंगलवार से सदन सुचारु रूप से चले और बजट पास करवा लिया जाए. इस बात के संकेत इससे भी साफ हैं कि सोमवार को लोकसभा स्पीकर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सभी दलों के नेताओं से मिलकर गतिरोध दूर करने का प्रयास किया.
सोमवार को राहुल गांधी ने नियम 357 के तहत लोक सभा में बोलने के लिए नोटिस दिया, लेकिन स्पीकर ने कहा कि नियमानुसार बोलने की ही अनुमति दी जाएगी. दोपहर बाद गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात भी लोकसभा स्पीकर से हुई जिसके बाद इस बात के भी संकेत मिले कि मंगलवार को राहुल को सदन में बोलने की इजाजत दी जा सकती है. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने ये भी संकेत दिए हैं कि सदन में अगर शांति बहाली होती है तभी बोलने का समय दिया जा सकेगा.
यही नहीं सोमवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश भी की. दोनों पक्षों से स्पीकर बिरला ने सदन चलाने का आग्रह भी किया. स्पीकर ने कहा कि सदन सबका है, देश की जनता सदन को चलते हुए और इसमें कार्य होते हुए देखना चाहती है. उन्होंने ये भी कहा कि वो हमेशा से सभी सदस्यों को बोलने का मौका देते रहे हैं.
जब तक सदन ऑर्डर में नहीं आता तब तक वो बोलने का मौका कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि सदन के नियम के अंतर्गत वो सबको बोलने का मौका देंगे. यही नहीं 2 बजे दोनों सदन के स्थगित होने के बाद भी स्पीकर बिरला ने प्रयास किया. अलग अलग पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर सदन चलाने पर चर्चा की.
सूत्रों के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला चाहते हैं कि फाइनेंस बिल सहित महत्वपूर्ण विषयों पर सदन में चर्चा हो. यही कारण है कि सदन के स्थगित होने के बाद भी स्पीकर ने लोक सभा में गतिरोध सुलझाने के लिए बातचीत के माध्यम से पहल की. इस दौरान सूत्रों की मानें तो स्पीकर ने अलग-अलग दलों के नेताओं से चर्चा की और ये प्रयास किया कि मंगलवार से सदन सुचारु रूप से चलने लगे, ताकि सदन में बजट और फाइनेंस बिल पर चर्चा हो सके.
अब देखना ये है कि स्पीकर के माध्यम से सरकार की ये कोशिश कितना रंग लाती है. क्या स्पीकर की बात विपक्षी दल मानेंगे और फाइनेंस बिल पारित कराने तक जेपीसी की अपनी मांग को स्थगित करेंगे और फाइनेंस बिल पारित करवाकर सरकार अनिश्चित काल के लिए स्थगित करेगी?
फिलहाल ये तमाम सवाल हैं. लेकिन मंगलवार को विपक्षी पार्टियों के रुख को देखते हुए ही कुछ कहा जा सकता है. यदि राहुल गांधी सदन में बोलते हैं तो वो अपने विदेश में दिए भाषण पर माफी मांगेंगे या सरकार के ऊपर कुछ और हमले करेंगे ये भी अपने आप में महत्वपूर्ण होगा.
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