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Amul Vs Aavin: दूध खरीदने को लेकर 'अमूल' साबित होगा 'आविन' के लिए खतरा? - एमके स्टालिन ने अमित शाह को भेजा संदेश

गुजरात स्थित अमूल ने पिछड़े तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले से दूध की खरीद के लिए छोटे पैमाने पर अपना अभियान शुरू किया है, जिसने राजनीतिक प्रतिष्ठान और तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं को परेशान कर दिया है.

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Published : May 27, 2023, 7:47 PM IST

चेन्नई: मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य में अमूल के प्रवेश को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि यह राज्य की अपनी डेयरी सहकारी अमूल और आविन के बीच एक अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा. हालांकि, किसान अमूल का खुले हाथों से स्वागत कर रहे हैं. अमूल ने अपने कार्यों का विस्तार करने के लिए तमिलनाडु में कदम रखा है. हालांकि अभी बहुत बड़े पैमाने पर नहीं लेकिन इसका विरोध अभी से ही होने लगा है. कर्नाटक के कड़े प्रतिरोध के बाद, यह सामने आया है कि गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), जो अपने लोकप्रिय ब्रांड अमूल के नाम से जाना जाता है, ने तमिलनाडु में प्रवेश किया है. अमूल की एंट्री ऐसे समय में हुई है जब आविन गलत कारणों से चर्चा में था, जैसे आपूर्ति श्रृंखला में बार-बार टूटना और खरीद मूल्य में बढ़ोतरी के लिए दूध आपूर्तिकर्ताओं द्वारा विरोध करना.

अमूल ने हाल ही में तमिलनाडु के कुछ जिलों में विस्तार की योजना के बारे में जानकारी दी थी. इसके अनुसार अमूल कृष्णागिरि जिले में एक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने जा रहा है. अमूल ने यह भी बताया कि कृष्णागिरि जिले के चारों ओर जो भी एरिया आते हैं, वहां से दूध खरीदा जाएगा. इस वजह से कांचीपुरम, तिरुवल्लुर, वेल्लोर, रानीपेट, धर्मपुरी और तिरुपथुर से दूध इस सेंटर पर आएगा.

पूरे राज्य में फैली 9673 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के साथ, आविन दूध की आपूर्ति करने वाले लगभग 4.5 लाख सदस्यों से केवल 35 एलएलपीडी खरीदता है. यह राज्य के दूध उत्पादन का केवल 16% है. आविन पूरे वर्ष एक समान लाभकारी मूल्य का आश्वासन देता है. दूध की आपूर्ति करने वाले सदस्यों को प्रति लीटर 32 से 34 रुपये मिलते हैं. लेकिन, किसानों की शिकायत है कि पैसे के समय पर वितरण में अत्यधिक देरी हो रही है और खरीद मूल्य बहुत कम है. आविन की कई दुग्ध सहकारी समितियों ने 90 दिनों से अधिक समय से भुगतान लंबित रखा है और किसानों का बकाया 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. साथ ही, आविन द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पशु आहार को निम्न गुणवत्ता का बताया जा रहा है. किसानों को न केवल आविन बल्कि निजी दूध कंपनियों से भी शिकायत है.

अमूल के एक अधिकारी ने कहा कि एक विस्तृत सर्वेक्षण के बाद, हमने कृष्णागिरी को चुना है और स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की है, जिनमें में 15 से कम सदस्य नहीं हैं जिनसे हम दूध प्राप्त करते हैं. हम 32 से 36 रुपये प्रति लीटर तक दूध खरीदते हैं. गुणवत्ता के आधार पर यह 42 रुपये तक भी जा सकता है. मासिक भुगतान प्रत्येक आपूर्तिकर्ता को उनके बैंक खाते के माध्यम से महीने के दसवें दिन वितरित किया जाता है. यदि दसवां दिन रविवार को पड़ता है, तो भुगतान शनिवार को ही किया जाता है. अभी हम प्रतिदिन 3500 से 4000 लीटर दुध की खरीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, फिलहाल अन्य जिलों में विस्तार की कोई योजना नहीं है क्योंकि यह प्रबंधन के निर्णय के उपर है.

अमूल के अधिकारी ने बताया कि आविन (44 रुपये) की तुलना में अमूल के दूध (66 रुपये प्रति लीटर) की कीमत बहुत अधिक कीमत इसलिए है क्योंकि अमूल एक प्रीमियम उत्पाद है. जबकि स्टालिन ने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में अमूल की विस्तार योजनाओं पर गंभीर आशंका व्यक्त की है, राजनीतिक दलों ने मांग की है कि आविन अपनी खरीद की मात्रा बढ़ाए.

आविन की खरीद की मात्रा, बढ़ने के बजाय, पिछले दो वर्षों में 40 एलएलपीडी से घटकर 30 एलएलपीडी हो गई है. खरीद दर भी वही रखी गई है, क्योंकि सत्ता पक्ष दूध के खुदरा बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी के खिलाफ है. उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आविन में सुधार लंबे समय से लंबित हैं और गंदगी को साफ करना होगा ताकि राज्य का गौरव आविन प्रतिस्पर्धा से आगे रहे.

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अमूल ने हाल ही में तमिलनाडु के कुछ जिलों में विस्तार की योजना के बारे में जानकारी दी थी. इसके अनुसार अमूल कृष्णागिरि जिले में एक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने जा रहा है. अमूल ने यह भी बताया कि कृष्णागिरि जिले के चारों ओर जो भी एरिया आते हैं, वहां से दूध खरीदा जाएगा. इस वजह से कांचीपुरम, तिरुवल्लुर, वेल्लोर, रानीपेट, धर्मपुरी और तिरुपथुर से दूध इस सेंटर पर आएगा.

पूरे राज्य में फैली 9673 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के साथ, आविन दूध की आपूर्ति करने वाले लगभग 4.5 लाख सदस्यों से केवल 35 एलएलपीडी खरीदता है. यह राज्य के दूध उत्पादन का केवल 16% है. आविन पूरे वर्ष एक समान लाभकारी मूल्य का आश्वासन देता है. दूध की आपूर्ति करने वाले सदस्यों को प्रति लीटर 32 से 34 रुपये मिलते हैं. लेकिन, किसानों की शिकायत है कि पैसे के समय पर वितरण में अत्यधिक देरी हो रही है और खरीद मूल्य बहुत कम है. आविन की कई दुग्ध सहकारी समितियों ने 90 दिनों से अधिक समय से भुगतान लंबित रखा है और किसानों का बकाया 600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. साथ ही, आविन द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पशु आहार को निम्न गुणवत्ता का बताया जा रहा है. किसानों को न केवल आविन बल्कि निजी दूध कंपनियों से भी शिकायत है.

अमूल के एक अधिकारी ने कहा कि एक विस्तृत सर्वेक्षण के बाद, हमने कृष्णागिरी को चुना है और स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की है, जिनमें में 15 से कम सदस्य नहीं हैं जिनसे हम दूध प्राप्त करते हैं. हम 32 से 36 रुपये प्रति लीटर तक दूध खरीदते हैं. गुणवत्ता के आधार पर यह 42 रुपये तक भी जा सकता है. मासिक भुगतान प्रत्येक आपूर्तिकर्ता को उनके बैंक खाते के माध्यम से महीने के दसवें दिन वितरित किया जाता है. यदि दसवां दिन रविवार को पड़ता है, तो भुगतान शनिवार को ही किया जाता है. अभी हम प्रतिदिन 3500 से 4000 लीटर दुध की खरीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा, फिलहाल अन्य जिलों में विस्तार की कोई योजना नहीं है क्योंकि यह प्रबंधन के निर्णय के उपर है.

अमूल के अधिकारी ने बताया कि आविन (44 रुपये) की तुलना में अमूल के दूध (66 रुपये प्रति लीटर) की कीमत बहुत अधिक कीमत इसलिए है क्योंकि अमूल एक प्रीमियम उत्पाद है. जबकि स्टालिन ने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में अमूल की विस्तार योजनाओं पर गंभीर आशंका व्यक्त की है, राजनीतिक दलों ने मांग की है कि आविन अपनी खरीद की मात्रा बढ़ाए.

आविन की खरीद की मात्रा, बढ़ने के बजाय, पिछले दो वर्षों में 40 एलएलपीडी से घटकर 30 एलएलपीडी हो गई है. खरीद दर भी वही रखी गई है, क्योंकि सत्ता पक्ष दूध के खुदरा बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी के खिलाफ है. उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आविन में सुधार लंबे समय से लंबित हैं और गंदगी को साफ करना होगा ताकि राज्य का गौरव आविन प्रतिस्पर्धा से आगे रहे.

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