दरभंगा : हमारे समाज में सबसे ज्यादा अहमियत रिश्तों को दी जाती है. लेकिन इस महामारी के दौर में कई तस्वीरें ऐसी सामने आई हैं, जिसने रिश्तों को भी शर्मसार कर दिया है. कुछ ऐसा ही नजारा शनिवार की देर रात मुक्तिधाम में दिखने को मिला. जहां कोरोना से जंग हार चुके शख्स की लाश पड़ी रही. लेकिन रिश्तेदारों से लेकर दोस्तों तक ने उसकी अर्थी को कंधा तक नहीं दिया. जिसके बाद पत्नी अकेले शव को लेकर मुक्तिधाम पहुंच गई. पीपीई किट पहन कर उसने पति को खुद मुखाग्नि दी.
पत्नी ने ही अपनी पति का अंतिम संस्कार किया
मृतक की पत्नी महिला मीना देवी ने बताया कि मेरे पति हरिकांत राय अष्टजाम से आए थे. उसी के बाद उन्हें बुखार हो गया. चार दिन तक घर में ही रहे. उसके बाद सभी लोगों ने कोरोना होने की बात कही. जिसके बाद हमने रोसड़ा स्थित सरकारी अस्पताल में जांच करवाने के बाद उनको भर्ती कराया. चार दिन अस्पताल में रहने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. जिसके बाद वहां के चिकित्सकों ने शुक्रवार को डीएमसीएच रेफर कर दिया.
रिश्तेदारों ने किया मना
मीना देवी ने बताया कि इलाज के दौरान उसके पति की मौत हो गई. कोरोना संक्रमण के कारण परिवार या गांव के किसी लोगों ने सहयोग तक नहीं किया. शनिवार को मौत की सूचना मिलने पर दिन के करीब 11 बजे उनके कुछ रिश्तेदार आए. पर शव को ले जाने से इनकार कर दिया.
कबीर सेवा संस्थान के सहयोग से हुआ अंतिम संस्कार
मीना देवी ने बताया कि अकेले पड़ जाने पर कबीर सेवा संस्थान से संपर्क किया. उन्होंने एम्बुलेंस से शव को लेकर मुक्तिधाम आने को कहा. जिसके बाद मैं अकेले ही एम्बुलेंस में शव रखकर श्मशान घाट गई. वहीं पीड़ित महिला ने कहा कि कबीर सेवा संस्थान के संयोजक सह समाजसेवी नवीन सिन्हा ने उनके पति के अंतिम संस्कार में पूरा सहयोग किया. मुखाग्नि देकर निकलने के बाद महिला ने बताया कि उसे घर वापस जाने में भी परेशानी है. क्योंकि परिजनों को संक्रमण का डर है.
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